रांची। उग्रवादी संगठन टीपीसी के सेकेंड सुप्रीमो और 15 लाख के इनामी उग्रवादी मुकेश गंझू उर्फ मुनेश्वर गंझू ने हथियार के साथ चतरा पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया है। पुलिस ने हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की है। सूत्रों के अनुसार मुकेश को किसी गुप्त स्थान पर रखकर पूछताछ की जा रही है। संभावना जताई जा रही है कि पुलिस शुक्रवार को मीडिया के सामने इसकी औपचारिक घोषणा कर सकती है। मुकेश गंझू के खिलाफ झारखंड के चतरा में ही दो दर्जन मामले दर्ज हैं। बिहार, ओड़िशा, छत्तीसगढ़ में भी मुकेश पर मामले दर्ज हैं। मुकेश पूर्व में भाकपा माओवादी में था लेकिन 2004 में संगठन से अलग होकर उसने ब्रजेश गंझू के साथ टीपीसी का गठन किया था।
मुकेश गंझू के सरेंडर को झारखंड पुलिस की बड़ी कामयाबी माना जा रहा है। टीपीसी के संस्थापकों में एक रहे मुकेश की तलाश कई राज्यों की पुलिस के अलावा राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को भी विगत दो सालों से थी। एनआईए ने वांटेड उग्रवादियों की सूची में मुकेश को भी शामिल किया था। एनआईए ने मुकेश के साथ-साथ टीपीसी सुप्रीमो ब्रजेश गंझू और आक्रमण को भी वांटेड घोषित किया था। जानकारी के मुताबिक कुछ सप्ताह पूर्व मुकेश राज्य पुलिस मुख्यालय के अधिकारियों के संपर्क में आया था। इसके बाद स्पेशल ब्रांच ने उसके सरेंडर के पहलुओं पर जांच की। बाद में मुकेश से अधिक से अधिक जानकारी जुटाने के लिए चतरा पुलिस को सौंप दिया गया। चतरा पुलिस ही मुकेश को पुराने मामलों में जेल भेजेगी।
एनआईए अलग से मुकेश को रिमांड पर लेकर अलग से पूछताछ करेगी। एनआईए अधिकारियों के मुताबिक न्यायिक हिरासत में भेजे जाने के बाद एनआईए मुकेश को रिमांड पर लेगी। लेवी वसूली के अलावे हथियार बरामदगी के केस में भी एनआईए से पूछताछ होगी।
मुकेश गंझू सीसीएल के अशोका, पिपराडीह कोल परियोजना के साथ साथ मगध- आम्रपाली परियोजना से वसूली का मास्टरमाइंड था। भीखन गंझू के साथ मिलकर कोल कारोबारियों, लोडरों से वह प्रति टन पैसे की वसूली करता था। टीपीसी उग्रवादियों की कमिटी को हर माह करोड़ों की रकम लेवी के तौर पर मिलती थी। 2016 में चतरा के टंडवा में सभी उग्रवादियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। 2018 में एनआईए ने कोल परियोजनाओं में टेरर फंडिंग से जुड़ा मामला दर्ज किया। मामला दर्ज होने के बाद एनआईए ने जांच में मुकेश , कोहराम, ब्रजेश गंझू, अनिश्चय गंझू, कमलेश समेत कई के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी।