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छपरा
जिला मलेरिया कार्यालय सभाकक्ष में डेंगू रोग नियंत्रण को लेकर कार्यशाला का आयोजन
By Deshwani | Publish Date: 30/10/2019 4:45:36 PM
जिला मलेरिया कार्यालय सभाकक्ष में डेंगू रोग नियंत्रण को लेकर कार्यशाला का आयोजन

• सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च के सहयोग से हुआ कार्यशाला
• डेंगू रोग नियंत्रण व बचाव के बारे में दी गयी जानकारी
• इलाज से बेहतर है बचाव 
 
छपरा। जिला मलेरिया कार्यालय सभाकक्ष में सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च के सहयोग से डेंगू रोग नियंत्रण को लेकर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. दिलीप कुमार सिंह की अध्यक्षता में आयोजित कार्यशाला में जिले में डेंगू रोग के नियंत्रण, इससे बचाव आदि के बारे में जानकारी दी गई। 
 
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिारी डॉ. दिलीप कुमार सिंह  ने कहा कि डेंगू से बचाव ही इलाज से बेहतर है।  डेंगू से बचाव के लिए जागरूकता जरूरी है। यह बीमारी भी मच्छर के काटने से फैलता है। उन्होंने कहा कि लोगों को इस बात के लिए जागरूक किया जाए कि वे सोते वक्त मच्छरदानी का प्रयोग जरूर करें। अपने घर के आस पास जल जमाव व गंदगी ना फैलने दें। बुखार होने पर तत्काल रक्तपट्ट की जांच करानी चाहिए। सीएस कार्यशाला में भाग रहे कर्मियों से कहा कि क्षेत्र भ्रमण के दौरान ग्रामीणों को इसके लिए आवश्यक रूप से जागरूक करें। घरों के पास साफ सफाई करने, ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव करने सहित कई निर्देश दिए गए। 
 
इस अवसर पर सीफार के एसपीएम रणविजय कुमार, रंजित कुमार, सरिता मलिक, अमन कुमार, गणपत आर्यन, जिला मलेरिया कार्यालय के मुस्तफा अंसारी, सुधीर सिंह समेत अन्य मौजूद थे।
 
जिले में कुल 43 मरीज है
जिले में कुल 43 डेंगू के मरीज पाये गये है। जिसमें 41 यहां के है और 2 मरीज बाहर के हैं। सरकारी अस्पतालों में 8 मरीज इलाजरत हैं। वहीं अन्य मरीजों का इलाज किसी निजी क्लिनिक या फिर बाहर के अस्पतालों हो रहा है। 
 
सभी अस्पतालों में इलाज की सुविधा उपलब्ध  
जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में डेंगू के इलाज की सुविधा उपलब्ध है। सदर अस्पताल में 5 बेड का वार्ड बनाया गया है।  जिलास्तर से लेकर प्रखंडस्तर के अस्पतालों में इसका इलाज हो रहा है। इसके लिए प्रत्येक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर अलग से डेंगू के लिए 2 बेड सुरक्षित भी किया गया है।
 
सभी अस्पतालों में आरडीटी कीट उपलब्ध 
सदर अस्पताल समेत सभी स्वास्थ्य संस्थानों पर डेंगू के मरीजों की जांच के लिए आरडीटी कीट उपलब्ध है। जहां आरडीटी कीट के माध्यम से डेंगू के मरीजों का जांच किया जा रहा है। वहीं इसके अलावां सभी पीएचसी पर अतिरिक्त 5-5 आरडीटी कीट रखने का निर्देश दिया गया है। 
 
डेंगू से बचाव को लेकर हो रहा छिड़काव
डेंगू से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग ने अभियान चल रहा है। जल-जमाव वाले जगहों पर एंटी लार्वा केमिकल का छिड़काव किया जा रहा है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से एक टीम को लगाया गया है।  डेंगू एवं चिकनगुनिया जैसे गंभीर रोग से निपटने के लिए जिले में रैपिड रेस्पोंस टीम का गठन किया गया है। जिला स्तर से लेकर सामुदायिक स्तर पर आम लोगों में इन रोगों के प्रति जागरूकता एवं ईलाज की सटीक जानकारी देने के साथ आपातकाल स्थिति में सक्रिय रहने की ज़िम्मेदारी इस टीम को दी गयी है।  
 
मच्छरों से रहें सावधान: डेंगू एवं चिकनगुनिया की बीमारी संक्रमित एडीस मच्छर के काटने से होती है. यह मच्छर सामान्यता दिन में काटता है एवं यह स्थिर पानी में पनपता है। डेंगू का असर शरीर में 3 से 9 दिनों तक रहता है। इससे शरीर में अत्यधिक कमजोरी आ जाती है और शरीर में प्लेटलेट्स लगातार गिरने लगती है। वहीँ चिकनगुनिया का असर शरीर में 3 माह तक होती है। गंभीर स्थिति में यह 6 माह तक रह सकती है। डेंगू एवं चिकनगुनिया के लक्षण तक़रीबन एक जैसे ही होते हैं। 
 
 इन लक्षणों के प्रति सावधान रहने की जरूरत है
• तेज बुखार, बदन, सर एवं जोड़ों में दर्द 
• जी मचलाना एवं उल्टी होना 
• आँख के पीछे दर्द. त्वचा पर लाल धब्बे/ चकते का निशान 
• नाक, मसूढ़ों से रक्त स्त्राव 
• काला मल का आना 
 
ऐसे करें बचाव 
• घर में साफ सफाई पर ध्यान रखें 
• कूलर एवं गमले का पानी रोज बदलें
• सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें. मच्छर भागने वाली क्रीम का इस्तेमाल दिन में करें
• पूरे शरीर को ढंकने वाले कपडे पहने एवं कमरों की साफ़-सफाई के साथ उसे हवादार रखें
• आस-पास गंदगी जमा नहीं होने दें. जमा पानी एवं गंदगी पर कीटनाशक का प्रयोग करें
• खाली बर्तन एवं समानों में पानी जमा नहीं होने दें 
• जमे हुए पानी में मिट्टी का तेल डालें
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