दलहन पर लगाई गई स्टॉक लिमिट हटी नहीं बल्कि सख्ती से लागू, सोशल मीडिया पर लिमिट हटाने की जानकारी गलत
नई दिल्ली। केन्द्र सरकार ने सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही इस खबर को गलत बताया है जिसमें कहा जा रहा है कि दलहन से स्टॉक लिमिट हटा ली गई है। केन्द्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि 2 जुलाई को दलहन पर स्टॉक लिमिट लगाई गई थी। जिसे हटाया नहीं गया है। बल्कि केन्द्र सरकार ने राज्य सरकारों को इसपर सख्त निगरानी रखने को कहा है।
केन्द्र सरकार ने राज्यों के साथ यह जानकारी भी साझा की है कि क्या उपभोक्ता मामले विभाग द्वारा विकसित पोर्टल पर स्टॉकिस्ट द्वारा घोषित स्टॉक तथा दलहन स्टॉक बैंक से लिए गए ऋण या आयातकों द्वारा आयातित मात्रा के बीच मेल नहीं है। राज्यों से स्टॉक लिमिट का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाने को कहा गया है।
खबरों के अनुसार, बयान में कहा गया है कि इस तरह की अटकलों से बचा जाना चाहिए। सरकार ने कहा कि वह राज्य सरकारों द्वारा इस आदेश के क्रियान्वयन की निगरानी कर रही है। सरकार ने राज्यों से कहा है कि जो भी दुकानदार या कारोबारी स्टॉक लिमिट नियमों का उल्लंघन कर रहा हो, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। केंद्र सरकार ने राज्यों के साथ यह जानकारी भी शेयर की है जहां स्टॉकिस्ट की तरफ से घोषित स्टॉक लिमिट उपभोक्ता मामलों के विभाग की वेबसाइट से मैच नहीं कर रहा है।
स्टॉक लिमिट लागू कर केन्द्र सरकार कारोबारियों को बताया था कि किसी भी दाल या दलहन का सरकार की तरफ से तय लिमिट से ज्यादा का स्टॉक नही रख पाएंगे। सरकार ने रिटेल कारोबारियों के लिए 5 टन स्टॉक की लिमिट तय की है जबकि थोक कारोबारियों और आयातकों के लिए 200 टन की लिमिट तय की गई है, जिसमें किसी एक वैरायटी का स्टॉक 100 टन से ज्यादा नहीं हो सकता है। दाल मिल भी अपनी कुल सालाना क्षमता का 25 फीसदी से ज्यादा का स्टॉक नही रख पाएंगी।
गौरतलब है कि दालों की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार ने स्टॉक लिमिट तय की है। इसके दायरे में खुदरा और थोक कारोबारियों के साथ-साथ दाल मिलों को भी लिया गया है. केंद्र के इस निर्णय के बाद दाल कीमतों में 150 से 200 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आई है।
जब केन्द्र सरकार ने दलहन पर स्टॉक लिमिट लगाया था तब राजस्थान के कतिपय व्यापार संगठनों ने इसका विरोध किया था।