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नौकरीपेशा लोगों को बड़ा तोहफा, अब 5 साल नहीं एक साल की नौकरी पर ही मिल जाएगी ग्रेच्युटी
By Deshwani | Publish Date: 24/9/2020 9:10:19 PM
नौकरीपेशा लोगों को बड़ा तोहफा, अब 5 साल नहीं एक साल की नौकरी पर ही मिल जाएगी ग्रेच्युटी

नई दिल्ली। अकसर देखा गया है कि प्राइवेट सेक्टर में नौकरीपेशा लोग सिर्फ ग्रेच्युटी के इंतजार में लगातार पांच साल तक एक ही कंपनी में रह जाते हैं, या अगर किसी वजह से उन्हें जॉब छोड़नी पड़ी या छूट गई तो उन्हें ग्रेच्युटी का फायदा नहीं मिल पाता है। अब ऐसा करने की जरूरत नहीं है। नए लेबर कोड की वजह से अब पांच साल की जगह एक साल की नौकरी पर ही ग्रेच्युटी मिलेगी। संसद की ओर से पारित नए लेबर कोड के मुताबिक अब एक साल की नौकरी पूरी कर छोड़ने पर उसी अनुपात में ग्रेच्युटी मिलेगी। अभी तक पांच साल की नौकरी पूरी करने पर हर साल 15 दिन के वेतन के हिसाब से ग्रेच्युटी मिलती है।

 
कॉन्ट्रैक्ट पर नौकरियों के बढ़ते चलन और कर्मचारियों के जल्द जॉब चेंज करने की वजह से पांच साल से कम समय में नौकरी पर ही ग्रेच्युटी देने की जरूरत महसूस की जा रही थी। लेबर मार्केट का एक्सपर्ट्स  का मानना था कि पांच साल की नौकरी पूरी करने की शर्त अब प्रासंगिक नहीं रह गई है इसलिए अब इससे कम अवधि की नौकरी पूरी करने पर भी ग्रेच्युटी मिलनी चाहिए।
 
क्या है ग्रेच्युटी? 
दरअसल लंबे समय तक काम करने वाले कर्मचारियों को सैलरी, पेंशन और प्रोविडेंट फंड के अलावा ग्रेच्युटी भी दी जाती है। अगर कर्मचारी नौकरी की कुछ शर्तों को पूरा करता है तो ग्रेच्‍युटी का भुगतान एक निर्धारित फॉर्मूले के जरूर होता है। दरअसल सैलरी से एक छोटा हिस्सा काट कर उसे ग्रेच्युटी के तौर पर दिया जाता है। अभी तक पांच साल की नौकरी पूरी करने पर ग्रेच्युटी देने का नियम था लेकिन अब एक साल की नौकरी पूरी करने पर ही उसे यह दे दिया जाएगा।
 
ग्रेच्युटी का कैलकुलेकशन कैसे होता है? 
ग्रेच्युटी हर साल की नौकरी पर 15 दिन का वेतन होता है। वेतन का मतलब डीए और बेसिक सैलरी होता है। महीने की गणना 26 दिन की होती है क्योंकि चार साप्ताहिक छुट्टी होती है। पेमेंट ऑफ ग्रेच्‍युटी एक्‍ट, 1972 के तहत इसका लाभ उस संस्‍थान के हर कर्मचारी को मिलता है जहां दस से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं। अगर कर्मचारी नौकरी बदलता है, रिटायर हो जाता है या किसी कारणवश नौकरी छोड़ देता है लेकिन वह ग्रेच्‍युटी के नियमों को पूरा करता है तो उसे ग्रेच्‍युटी का पूरा लाभ मिलता है। अगर कोई कर्मचारी छह महीने से ज्यादा काम करता है तो उसकी गणना एक साल के तौर पर की जाएगी। मसलन, अगर कोई कर्मचारी 5 साल 7 महीने काम करता है तो उसे छह साल माना जाएगा।
 
कैसे कैलकुलेट होती है रकम
कुल ग्रेच्युटी की रकम = (अंतिम सैलरी) x (15/26) x (कंपनी में कितने साल काम किया)। 
 
उदाहरण से समझिए
मान लीजिए कि X ने 7 साल एक ही कंपनी में काम किया। X की अंतिम सैलरी 35000 रुपये (बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ता मिलाकर) है।  तो कैलकुलेशन कुछ इस प्रकार होगा— (35000) x (15/26) x (7)= 1,41,346 रुपये
 
मतलब ये कि X को 1,41,346 रुपये का भुगतान कर दिया जाएगा। 
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