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'जीनोमएशिया 100के' से मिले मैक्रोजेन शोध परिणामों को नेचर पत्रिका ने प्रकाशित किया
By Deshwani | Publish Date: 5/12/2019 5:30:00 AM
Business Wire India
सटीक औषधि और जैव तकनीक कंपनी मैक्रोजेन (अध्‍यक्ष- जिआंग-सुन सिओ, www.macrogen.com) (केओएसडीएक्‍यू: 038290) ने 5 दिसंबर को बताया कि इसके एशियाई जीनोम विश्लेषण के नतीजे को नेचर पत्रिका के ताजातरीन अंक में मुखपृष्ठ पर जगह मिली है (लेख का शीर्षक है- द जीनोम एशिया 100के प्रोजेक्‍ट इनेबल्‍स जेनेटिक डिस्‍कवरीज अक्रॉस एशिया यानी जीनोमएशिया 100के परियोजना ने समूचे एशिया में आनुवंशिक खोजों को मुमकिन बनाया।)। यह जीनोम विश्लेषण जीनोमएशिया 100के इनिशिएटिव नामक एक अंतरराष्ट्रीय संघ के माध्यम से किया गया है।
 
जीनोमएशिया 100के इनिशिएटिव एक गैर-लाभकारी अंतरराष्ट्रीय संघ है। इसने 2016 से 1,00,000 एशियाई लोगों के जीनोम डेटा का विश्लेषण करने के लिए व्यापक पैमाने पर अनुसंधान परियोजना का संचालन किया है। इसमें सहभागिता करने वाले संगठनों में शामिल हैं: मैक्रोजेन (कोरिया) और सियोल नेशनल यूनिवर्सिटी बुंडैंग हॉस्पिटल (एसएनयूबीएच) का प्रिसिज़न मेडिसिन सेंटर (कोरिया), नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (एनटीयू) (सिंगापुर), मेडजीनोम, एक जीनोम विश्लेषण कंपनी (भारत) और जेनटेक, रोश ग्रुप (यूएसए) की सहायक कंपनी। प्रोफेसर जिआंग-सुन सिओ, मैक्रोजेन के चेयरमैन व एसएनयूबीएच एसओ के प्रतिष्ठित प्रोफेसर, और एनटीयू के प्रोफेसर स्टीफन शस्टर ने संयुक्त प्रधान अनुसंधानकर्ताओं के रूप में अनुसंधान टीम का नेतृत्व किया।

जीनोमएशिया 100के इनिशिएटिव द्वारा चलाए गए एशियाई जीनोम विश्लेषण में 64 देशों के कुल 219 जातीय समूहों को कवर किया गया है। यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि अब तक दुनिया भर में संकलित सभी एशियाई संदर्भ पैनलों के बीच इसमें एशियाई क्षेत्रों और नस्लों की सबसे बड़ी संख्या शामिल है। इसका अर्थ यह है कि शोधकर्ता एशियाई-विशिष्ट रोगों के लिए शोध में पारंपरिक यूरोपीय संदर्भ पैनलों के बजाय एशियाई संदर्भ पैनलों की रचना और उपयोग कर सकेंगे। इसके चलते एशियाई-विशिष्ट सटीक औषधि के विकास में बड़े योगदान की उम्मीद रहेगी।

शोध दल ने भारत के 598, मलेशिया के 156, कोरिया के 152, पाकिस्तान के 113, मंगोलिया के 100, चीन के 70, पापुआ न्यू गिनी के 70, इंडोनेशिया के 68, फिलीपींस के 52, जापान के 35 और रूस के 32 सहित कुल 1,739 व्यक्तियों के लिए समग्र-जीनोम अनुक्रमण किया।
 
अध्ययन से पता चला कि एशिया में निवासरत लगभग 142 जातीय समूहों की आनुवंशिक विविधता पिछले अध्ययनों में मिली विविधता से कहीं व्यापक है। इस अध्ययन के आधार पर, यह भी पता चला कि प्रमुख दवाओं के प्रति अपनी प्रतिक्रिया के संदर्भ में एशियाई जातीय समूह भिन्न हैं। उदाहरण के लिए, जहां कुछ रोगी आमतौर पर हृदय रोग से पीड़ित रोगियों के लिए लिखी जाने वाली एंटीकोएगुलेंट वारफारिन के प्रति अच्छी तरह से प्रतिक्रिया करते हैं, वहीं कुछ आनुवंशिक उत्परिवर्तन वाले अन्य रोगियों को एलर्जी जैसे दवा के प्रतिकूल रिएक्शनों का अनुभव हो सकता है। अनुसंधान ने बताया कि वारफारिन के प्रति संवेदनशीलता की संभावना कोरिया, चीन, जापान और मंगोलिया के साथ-साथ उत्तर एशियाई मूल के अन्य व्यक्तियों में अधिक है।

संघ ने उत्तरी मंगोलियाई जनजातियों से लेकर इंडोनेशिया में छोटे द्वीपों पर अलग-थलग निवासरत जनजातियों तक का जीनोम डेटा एकत्र किया और इस डेटा का उपयोग विभिन्न एशियाई नस्लों की उत्पत्ति का सफलतापूर्वक विश्लेषण करने और जीनोम डेटा बनाने के लिए किया। इस परियोजना के परिणाम अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे न केवल एशियाई लोगों के लिए बल्कि दुनिया भर में वंशानुगत तौर पर एशियाई आनुवांशिक विशेषताएं रखने वाली नस्लों के लिए उसके अनुसार निदान और चिकित्सा की नींव रखते हैं।

मैक्रोजेन ने परियोजना के माध्यम से हासिल डेटाबेस का इस्तेमाल अपने स्वयं के डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर जेनेटिक परीक्षण सेवा के विकास के लिए करने की योजना बनाई है। यह सेवा विभिन्न नस्लीय विशेषताओं को दर्शाएगी और मैक्रोजेन के संबद्ध विदेशी निगमों और शाखाओं के माध्यम से दुनिया भर में संबंधित डेटा की आपूर्ति करेगी।

एक नया 'ग्लोबल क्लीनिकल जीनोम सुपरमार्केट (जीसीजीएस)' मुख्य रूप से चिकित्सा पेशेवरों द्वारा उपयोग के लिए एक सेवा के रूप में विकसित किया जाएगा। जीसीजीएस प्रत्येक क्षेत्र और नस्ल के लिए विशिष्ट नैदानिक सेवाएं प्रदान करेगा, और इसमें एशियाइयों के लिए विशेष रूप से तैयार क्लीनिकली निदान और उपचार शामिल होंगे। मैक्रोजेन वैश्विक क्लीनिकली निदान बाजार को लक्षित करने का गंभीर इरादा रखता है।
 
शोध में एक अग्रणी प्रधान अनुसंधानकर्ता के रूप में कार्य करने वाले, मैक्रोजेन के अध्‍यक्ष और एसएनयूबीएच के प्रोफेसर जिआंग-सुन सिओ ने कहा कि, "हमारे पास जितने अधिक एशियाई जीनोम डेटा होंगे, हम उतने ही बेहतर ढंग से यह विश्लेषण कर पाएंगे कि एशियाइयों को किसी खास रोग का अधिक जोखिम तो नहीं है और वे किसी खास औषधि को लेकर अधिक प्रतिक्रियाशील तो नहीं हैं। हमने 100,000 व्यक्तियों के एशियाई जीनोम बिग डेटा को सफलतापूर्वक पूरा करने, और एशियाइयों में रोग और औषधि जीन के बारे में कोरिया में और उसके बाहर शोध की योजना बनाई है। हम एशियाइयों की विशिष्ट जरूरतों के अनुरूप सटीक दवा निर्माण की आधारशिला रखने में अग्रणी भूमिका निभाएंगे।”
 
एनटीयू के प्रोफेसर, संघ के साइंटिफिक चेयरमैन और अध्ययन के सह-नेतृत्वकर्ता, स्टीफन सी. शस्टर ने एशिया में विशाल जीनोमिक विविधता के बारे में जीनोमएशिया 100के के प्रारंभिक निष्कर्षों का महत्व समझाया: “इसे बेहतर ढंग से समझने के लिए, कल्पना करें कि हमने सभी यूरोपीय लोगों का अच्छी तरह अवलोकन किया और देखा कि उनकी आनुवंशिक विविधता के स्तर के आधार पर, उन सभी को केवल एक पैतृक वंश या जनसमूह में वर्गीकृत किया जा सकता है। अब, यदि हम एशियाई लोगों के अपने नए डेटा को लेकर ऐसा ही दृष्टिकोण रखते हैं, तो आनुवांशिक विविधता के कहीं अधिक उच्च स्तर के आधार पर, हम कहेंगे कि एशिया में 10 अलग-अलग पैतृक समूह या वंश हैं। 'जीनोमएशिया 100के' एक महत्वपूर्ण और दूरगामी परियोजना है, जो दुनिया भर में एशियाई लोगों के कल्याण और स्वास्थ्य को सकारात्मक रूप से प्रभावित करेगी।”
 
मेडजीनोम में मुख्‍य वैज्ञानिक अधिकारी और शोधपत्र एक लेखक तथा औषधि अनुसंधान को गति देने के लिए आनुवंशिकी के प्रयोग के एक विशेषज्ञ, डॉ. एंड्रयू पीटरसन ने कहा, "आनुवंशिक वैरिएंस के कारण ही हम एक-दूसरे से अलग-अलग हैं। इस विभिन्नता में अपने जीवनकाल के दौरान हम जिन रोगों से पीड़ित होते हैं उनमें अंतर भी शामिल है। इन अंतरों को समझना खोजपरक नई दवाओं की खोज को गति देने के लिए सूत्रों का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत है।”

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संपर्क:
मैक्रोजेन इंक.
ह्यून-अह ली, +82-2-2180-7029
pr@macrogen.com
 
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