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दीपावली पर आरबीआई का तोहफा, रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती
By Deshwani | Publish Date: 4/10/2019 2:36:50 PM- होम, ऑटो और पर्सनल लोन होगा सस्ता, घटेगी आपकी ईएमआई
मुम्बई/नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने आज ब्याज दर में कटौती कर लोगों को दीपावली का तोहफा दिया है। मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की समीक्षा बैठक के बाद आज आरबीआई ने रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट यानी (0.25 फीसदी) की कटौती की है। ऐसे में बैंक भी ब्याज दर घटाएंगे और लोगों के होम लोन, ऑटो लोन की ईएमआई कम हो जाएगी। छह सदस्यीय एमपीसी की बैठक की अध्यक्षता आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने की। बता दें कि वर्तमान में आरबीआई बैँकों को 5.40 फीसदी की दर पर ब्याज देता है।
आरबीई ने लगातार पांचवीं बार रेपो रेट में कटौती की है। आरबीआई के इस फैसले से रेपो रेट 9 साल में सबसे कम है। इससे पहले आरबीआई ने तीन बार फरवरी, अप्रैल और जून पॉलिसी में 0.25-0.25 फीसदी की कटौती की थी। वहीं, अगस्त की पॉलिसी में रेपो रेट में 0.35 फीसदी की बड़ी कटौती की गई थी।
बैठक की बड़ी बातें
- रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वृद्धि दर का अनुमान 6.9 फीसदी से घटाकर 6.1 फीसदी किया।
- आरबीआई ने कहा कि अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए सरकार के प्रोत्साहन उपायों से निजी क्षेत्र में खपत बढ़ेगी। साथ ही निजी निवेश बढ़ाने में मदद मिलेगी। रिजर्व बैँक ने कहा कि मौद्रिक नीति में कटौती का लाभ आगे ग्राहकों तक पहुंचाने का काम आधा-अधूरा।
- सीआरआर (CRR) 4 फीसदी पर स्थिर है।
- आरबीआई के गवर्नर ने कहा कि अगस्त-सितंबर में नकदी की कई समस्या नहीं।
- मौद्रिक नीति के सभी सदस्यों ने रेपो रेट में कटौती के पक्ष में वोट किया था। चेटन घाटे, पमी दुआ, माइकल देबोव्रत पात्रा, बिभु प्रसाद कानूनगो और शक्तिकांत दास ने 25 बेसिस अंक की कटौती के पक्ष में वोट किया था। वहीं रविंद्र एच ढोलकिया ने 40 बेसिस अंक की कटौती के पक्ष में वोट किया था। 100 बेसिस एक 1 फीसदी के बराबर होता है।
क्या होता है रेपो रेट
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से लोन लेते हैं। दरअसल, ये बैंकों के लिए फंड की लागत होती है। यह लागत घटने पर बैंक अपने लोन की ब्याज दर भी कम करते हैं। इस साल जनवरी से अभी तक रिजर्व बैंक रेपो रेट में 1.35 फीसदी तक की कटौती कर चुका है। रिजर्व बैंक की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) इसके बारे में निर्णय लेती है।