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जीडीपी वृद्धि को मजबूती देने के लिए फिर मिल सकती है दरों में कटौती की सौगात, 4 को होगा फैसला
By Deshwani | Publish Date: 3/10/2019 4:50:17 PMनई दिल्ली। देश की आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए अब तक उठाये गए कदम नाकाफी प्रतीत हो रहे हैं। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि रिजर्व बैंक शुक्रवार को साल में लगातार पांचवीं बार 4 अक्टूबर को नीतिगत दरों में एक बार और कटौती कर सकता है। महंगाई दर के काबू में होने की वजह से भी इस बात की संभावना काफी प्रबल मानी जा रही है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑप पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी (एनआईपीएफपी) के प्रो. एन. आर. भानुमूर्ति ने बताया कि अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए एक बार फिर आरबीआई 0.25 फीसदी तक की कटौती कर सकता है।
उन्होंने कहा कि यदि आरबीआई सभी पैरामीटर और राजकोषीय घाटा को ध्यान में रखते हुए रेपो रेट की कटौती करता है तो मौजूदा परिस्थिति में वह 0.25 फीसदी से ज्यादा की कटौती भी कर सकता है, जैसा कि पिछली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में रिजर्व बैंक ने 0.35 तक की कटौती की थी लेकिन हालात राजकोषीय घाटा को ध्यान में रखते हुए काबू करना है तो 0.25 फीसदी तक की कटौती तय है।
दरअसल सरकार ने त्योहारी सीजन में आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहन देने के लिए कॉरपोरेट टैक्स की दरों में कटौती और कर्ज दिये जाने को लेकर कई कदम उठाए हैं। इसी कड़ी में देश के 250 जिलों में बैंकों ने 3 अक्टूबर से शिविर लगाकर होम, कृषि, ऑटो, एजुकेशन आदि लोन लोगों को तुरंत मुहैया करा रहे हैं। इसको देखते हुए माना जा रहा है कि आरबीआई भी रेपो रेट में एक कटौती कर सकता है।
उल्लेखनीय है कि आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अगुवाई वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिवसीय बैठक के बाद 4 अक्टूबर को चालू वित्त वर्ष की चौथी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा की घोषणा करेगी। गौरतलब है कि जनवरी से अभी तक रिजर्व बैंक 4 बार में रेपो रेट में कुल 1.10 फीसदी की कटौती कर चुका है। इससे पहले अगस्त में हुई पिछली मौद्रिक समीक्षा बैठक के बाद आरबीआाई ने रेपो दर को 0.35 फीसदी घटाकर 5.40 फीसदी कर दिया था।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने सार्वजनिक और निजि क्षेत्र के सभी बैंकों को 1 अक्टूबर से अपनी कर्ज दरों को एक्सटर्नल बेंचमार्क जैसे रेपो रेट से जोड़ने का निर्देश दिया है। मौद्रिक नीति समिति की बैठक से पहले शक्तिकांत दास की अगुवाई वाली वित्तीय स्थिरता एवं विकास परिषद (एफएसडीसी) की उप समिति ने भी मैक्रो इकोनॉमिक स्थिति पर विचार-विमर्श की है। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार के हाथ बंधे हुए हैं और अब पहल करने का काम रिजर्व बैंक को करना है। ऐसे में रेपो रेट में एक और कटौती तो तय मानी जा रही है।