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एमपीसी ने रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती की, होम लोन हो सकता है सस्ता
By Deshwani | Publish Date: 6/6/2019 5:31:11 PM
एमपीसी ने रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती की, होम लोन हो सकता है सस्ता

मुम्बई। भारतीय रिजर्व बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (एमपीसी) ने आज ब्याज दरों में कटौती करने का फैसला लिया है। तीन जून से छह जून तक चली एमपीसी की बैठक में रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती की गई है। रेपो रेट की दर मौजूदा 6 फीसदी से घटकर 5.75 फीसदी कर दी गई है। हालांकि केन्द्रीय बैंक ने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की दर को घटाकर सरकार को झटका दिया है। बेरोजगारी और मंहगाई के मोर्चे पर भी सरकार को ठोस कदम उठाने की नसीहत दी है।

 
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) की मौद्रिक समीक्षा बैठक में 0.25 बेस प्‍वाइंट की कटौती की गई है। मौजूदा सरकार के दूसरे कार्यकाल में यह पहली मौद्रिक समीक्षा बैठक थी। आरबीआई की पिछली दो बैठकों में भी एमपीसी सदस्यों ने रेपो रेट में क्रमश: 0.25  फीसदी की कटौती करने का फैसला किया था। जून में लगातार तीसरी बार केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट घटाया है। रिजर्व बैंक के इतिहास में पहली बार हुआ है जब आरबीआई गवर्नर की नियुक्‍ति के बाद लगातार तीसरी बार रेपो रेट में कमी आई है। पिछले साल दिसम्बर महीने में आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल के इस्‍तीफे के बाद शक्तिकांता दास को सरकार ने गवर्नर नियुक्‍त किया था। 
 
दरअसल, रीपो रेट ब्याज की वह दर होती है, जिस पर रिजर्व बैंक बैकों को फंड मुहैया कराता है। चूंकि रीपो रेट घटने से बैंकों को आरबीआई से सस्ती फंडिंग प्राप्त हो सकेगी, इसलिए बैंक भी अब कम ब्याज दर पर होम लोन, कार लोन सहित अन्य लोन ऑफर कर पाएंगे। इससे नया लोन सस्ता हो जाएगा, जबकि लोन ले चुके लोगों को या तो ईएमआई में या रीपेमेंट पीरियड में कटौती का फायदा मिल सकता है। हालांकि, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि बैंक आरबीआई के फैसले का फायदा आम ग्राहकों तक पहुंचाते हैं या नहीं। क्योंकि पिछले दो रेट कट का फायदा आम ग्राहकों को अभी तक नहीं मिल पाया है। 
 
उल्लेखनीय है कि  30 मई को जारी आंकड़ों के मुताबिक देश की जीडीपी की ग्रोथ घटकर 5 साल के निचले स्तर पर आ गई है। इसके साथ ही निवेश में कमी आई है। ऑटो सेक्टर की डिमांड कम होने से जीडीपी में कमी आई है। आरबीआई ने अप्रैल 2019 के द्वि-मासिक मौद्रिक नीति समीक्षा के बाद सीपीआई मुद्रास्फीति की अनुमानित दर वित्त वर्ष 2018-19 के आखिरी तिमाही के लिए 2.4 फीसदी का अनुमान लगाया है। जबकि वित्त वर्ष 2019-20 की पहली छमाही के लिए 2.9-3.0 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2019-20 की दूसरी तिमाही के लिए 3.5-3.8 प्रतिशत का अनुमान लगाया है।
 
आरबीआई ने संभावना जताई है कि कंजम्पशन घटने से देश की अर्थव्यवस्था की ग्रोथ धीमी हो सकती है। आरबीआई ने वित्त वर्ष 2020 के लिए जीडीपी ग्रोथ घटाकर 7.1 फीसदी कर दिया है। अपने पिछले पॉलिसी रिव्यू में आरबीआई ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट 7.4 फीसदी से घटाकर 7.2 फीसदी कर दिया था। मुद्रास्फीति (इनफ्लेशन) के मामले में आरबीआई ने कहा है कि इस बार सरकार को राहत है। महंगाई दर 4 फीसदी मीडियम टर्म टारगेट के नीचे है। इसके साथ केंद्रीय बैंक ने स्मॉल फाइनेंस सेक्टर की बैंकों के लिए अगस्त 2019 तक नए दिशा निर्देश जारी करने की बात कही है।
 
आरबीआई मुख्यालय में आयोजित तीन दिवसीय मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में एमपीसी के सभी सदस्य डॉ. चेतन घाटे, डॉ. पामी दुआ, डॉ. रवींद्र एच. ढोलकिया, डॉ. माइकल देवव्रत पात्रा, डॉ. विरल वी. आचार्य और गवर्नर शक्तिकांता दास मौजूद थे। सर्वसम्मति से पॉलिसी रेपो दर को 25 बेसिस पॉइंट कम करने फैसला किया गया।
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