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आगामी वित्त वर्ष में भारतीय जीडीपी के 7 फीसदी से नीचे रहने की संभावना बेहद अधिक: नोमुरा
By Deshwani | Publish Date: 7/3/2019 4:02:29 PM
आगामी वित्त वर्ष में भारतीय जीडीपी के 7 फीसदी से नीचे रहने की संभावना बेहद अधिक: नोमुरा

नई दिल्‍ली। जापानी फाइनेंशियल ब्रोकरेज एजेंसी नोमुरा की रिपोर्ट के मुताबिक अगले वित्‍त वर्ष में भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था की वृद्धि दर 7 फीसदी से नीचे रह सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक कच्चे तेल की गिरती कीमतों और विस्तारवादी बजट के बावजूद 2019-20 में भारत की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के 7 फीसदी से नीचे रहने की संभावना ‘बहुत अधिक’ है। 

 
चुनावी साल की राजनीतिक अनिश्चितता है बड़ी रोड़ा 
नोमुरा के रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्‍लोबल मंदी, सख्त वित्तीय स्थिति और चुनावी साल की राजनीतिक अनिश्चितता आर्थिक वृद्धि की राह में सबसे बड़ी चुनौतियां होंगी। नोमुरा ने कहा है कि 'इन चुनौतियों की वजह से खपत और निवेश में कमी आएगी, जिससे वृद्धि दर को झटका लगेगा।' साथ ही चुनाव की वजह से नए निवेश की ‘संभावना बेहद कमजोर’ हो गई है। 
 
आरबीआई का है 7.4 फीसदी जीडीपी का अनुमान
ब्रोकरेज एजेंसी ने वित्त वर्ष 2020 के लिए 6.8 फीसदी जबकि वित्त वर्ष 2019 के लिए करीब 7 फीसदी का अनुमान जताया है। भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2020 के लिए 7.4 फीसदी जीडीपी का अनुमान जाहिर किया है।

सरकार ने भी अनुमान घटाकर किया है 7 फीसदी 
दिसंबर तिमाही के जीडीपी आंकड़े आने के बाद सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी अनुमान को घटाकर 7 फीसदी कर दिया है। इससे पहले यह अनुमान 7.2 फीसदी का था। भारत ने यह अनुमान वैसे समय में घटाया है, जब लगातार दूसरी तिमाही में जीडीपी में गिरावट आई है। दरअसल दिसंबर तिमाही में भारतीय जीडीपी 6.4 फीसदी रही, जिसके बाद सरकार ने पूरे साल के लिए जारी पूर्वानुमान को संशोधित कर दिया।
 
कटौती के बावजूद भारत तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्‍यवस्‍था 
हालांकि इस कटौती के बाद भी भारत दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था वाला देश बना रहेगा। चीन ने इस साल के लिए जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के अनुमान को आधिकारिक रूप से घटाकर 6-6.5 फीसदी कर दिया है। चीन की अर्थव्यवस्था निर्यात पर आधारित है और पिछले साल यह 6.6 फीसदी की दर से आगे बढ़ी थी, जो पिछले तीन दशक में सबसे कमजोर ग्रोथ रेट थी। 
रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्‍लोबल मंदी सख्त वित्तीय स्थिति और चुनावी साल की राजनीतिक अनिश्चितता आर्थिक वृद्धि की राह में सबसे बड़ी चुनौतियां होंगी।
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