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सेबी के इस निर्णय से म्‍युचुअल फंड निवेशकों की होगी चांदी, ज्‍यादा पैसों का होगा निवेश
By Deshwani | Publish Date: 19/9/2018 12:30:08 PM
सेबी के इस निर्णय से म्‍युचुअल फंड निवेशकों की होगी चांदी, ज्‍यादा पैसों का होगा निवेश

नई दिल्‍ली। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड ने म्‍युुचुअल फंडों में निवेश करने वाले निवेशकों को बड़ी खुशखबरी दी है। बाजार नियामक सेबी ने निवेशकों से वसूले जाने वाले म्‍युुचुअल फंड के शुल्‍क की सीमा तय कर दी है। अब म्‍युुचुअल फंडों में निवेश करने का कुल खर्च (TER) 2.25 फीसदी होगा। म्‍युुचुअल फंड के खर्च की कुल सीमा तय करने से निवेशकों को मिलने वाले रिटर्न में बढ़ोतरी होगी क्‍योंकि कुल खर्च के तौर पर काटी जाने वाली अतिरिक्‍त राशि का भी अब निवेश किया जाएगा।
 
टॉरस म्‍युुचुअल फंड के सीईओ वकार नकवी ने बताया कि कुल खर्च अनुपात की सीमा अधिकतम 2.25 फीसदी की गई और यह म्‍युुचुअल फंड स्‍कीम के एयूएम पर निर्भर करता है कि कुल खर्च के तौर पर अधिकतम राशि कितनी वसूली जाएगी। उन्‍होंने उदाहरण देते हुए बताया कि अगर कोई निवेशक ऐसे म्‍युुचुअल फंड में निवेश करता है जिसका एयूएम 750-2,000 करोड़ रुपए है तो पहले उसे जहां 2.10 फीसदी शुल्‍क देना पड़ता था वहीं अब उसे 1.75 फीसदी देना होगा। इस प्रकार निवेशक के निवेश का 0.35 फीसदी बचेगा जिसका निवेश किया जाएगा। 
 
भले ही यह आंकड़ा कम लग रहा हो लेकिन अगर कोई निवेशक पहले ऐसी स्‍कीम अगर एक लाख रुपए का निवेश करता था तो उसे शुल्‍क के तौर पर लगभग 2,100 रुपए देने होते थे। कुल खर्च (TER) घटाए जाने के बाद अब उसे कुल खर्च के तौर पर अधिकतम 1,750 रुपए देने होंगे। निवेश की राशि में 350 रुपए की बढ़ोतरी होगी जो रिटर्न अर्जित करेगा।
 
सेबी के चेयरमैन अजय त्‍यागी ने कहा कि म्‍युुचुअल फंड उद्योग को सभी योजनाओं के लिए कमीशन का फुल-ट्रेल मॉडल निश्चित रूप से अपनाना चाहिए। ट्रेल-फी मॉडल से उन वितरकों को फायदा होता है जिनके निवेशक लंबे समय तक म्‍युुचुअल फंडों में निवेश बनाए रखते हैं। सेबी के ऐसे निर्णयों से म्‍युचुअल फंडों में निवेश का खर्च घटेगा, पारदर्शिता आएगी और मिस-सेलिंग पर भी अंकुश लग पाएगा। 
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