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डोनाल्ड ट्रंप की सख्ती से अमरीका में मौजूद भारतीय प्रोफैशनल्स पर संकट
By Deshwani | Publish Date: 1/5/2018 11:18:58 AM नई दिल्ली। इस समय अमरीका सहित दुनिया के कई विकसित देशों में वीजा संबंधी नियमों में फेरबदल या उन्हें सख्त किए जाने की वजह से वहां रहकर काम कर रहे भारतीय समुदाय की मुश्किलें और चिंताएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। खासतौर से अमरीका में डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की ‘बाय अमरीकन, हायर अमरीकन’ नीति के तहत नई वीजा संबंधी कठोरताओं के चलते भारतीय प्रोफैशनल्स पर संकट छा गया है।
हाल ही में ट्रंप प्रशासन ने एच-4 वीजा धारकों के वर्क परमिट को खत्म करने की योजना को अंतिम रूप दिया है। इस आशय का पत्र अमरीकी नागरिक एवं आव्रजन सेवा विभाग द्वारा प्रकाशित किया गया है। एच-1बी वीजा धारकों के जीवन साथियों को एच-4 वीजा दिया जाता है। इस नए बदलाव के बाद अब अमरीका में यदि पति के पास एच-1बी वीजा है तो भी पत्नी को कार्य करने की अनुमति नहीं होगी। इसी तरह पत्नी के पास एच-1बी वीजा होने पर पति को वर्क परमिट नहीं मिलेगा। माना जा रहा है कि इस कदम से अमरीका में कार्यरत 60,000 से अधिक पेशेवरों को अब आगे काम की अनुमति नहीं मिलेगी और वे बेरोजगार हो जाएंगे।
ऐसे में नए नियम तहत जारी एच-1बी वीजा की अवधि 3 साल से भी कम हो सकती है। वीजा संबंधी इन नए नियमों से अमरीका में भारतीय आई.टी. कम्पनियों के थर्ड-पार्टी सप्लायर बेस को तगड़ा झटका लगा है। साथ ही ये नियम भारतीय कुशल पेशेवरों के लिए बेहद परेशानीजनक हैं। अमरीकी थिंक टैंक द नैशनल फाऊंडेशन फॉर अमरीकन पॉलिसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि अमरीका में वीजा नियमों में सख्ती के कारण वर्ष 2017 में भारतीय कम्पनियों के लिए 8468 नए एच-1बी वीजा प्राप्त हुए। यह संख्या वर्ष 2015 की तुलना में 43 प्रतिशत कम है।
अमरीकी आई.टी. कम्पनियों में काम करने वाले विदेशियों में से करीब 70 प्रतिशत कर्मचारी भारतीय हैं जिनकी अमरीका के वीजा संबंधी नियमों में बदलाव से मुश्किलें बढ़ जातीं और उन्हें अमरीका छोडऩा पड़ सकता था। इसके अलावा भारत के लिए सालाना 115 अरब डॉलर की विदेशी मुद्रा कमाने वाले आई.टी. सैक्टर पर जबरदस्त प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता था।