नई दिल्ली। अगर आप समय-समय पर ईएमआई भरते हैं तो इससे आपका प्रभाव कर्ज देने वाले पर अच्छा पड़ता है। हम आपको कुछ उन तरीकों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हें आप होम लोन ईएमआई को मैनेज करने में अपना सकते हैं।
समय पर ई.एम.आई. भरने से बैंकों एवं अन्य वित्तीय संस्थानों का आप पर भरोसा बढ़ता है। कभी ई.एम.आई. भरने के पैसे नहीं बचें, ऐसी परिस्थिति को टालने के लिए ई.एम.आई. शेड्यूल को वेतन मिलनी की तारीख के नजदीक करवा लें। समय पर ई.एम.आई. नहीं भरने पर कर्ज देने वाले संस्थान भारी-भरकम जुर्माना तो वसूलते ही हैं, क्रेडिट स्कोर भी कम कर देते हैं। अगर ई.एम.आई. लगातार नहीं भर पा रहे तो घर अटैच होने की भी आशंका होती है।
23,000 रुपए के मुकाबले 35,000 रुपए की ई.एम.आई. बड़ी तो है लेकिन लोन रीपेमेंट के मामले में 'बड़ा ही बेहतर' है। अगर आप कम ई.एम.आई. रखने के चक्कर में लोन चुकाने की अवधि बढ़ा लेते हैं तो आपको ज्यादा ब्याज देना होता है। मसलन, 9 फीसदी की दर से 60 लाख रुपए के होम लोन पर 20 वर्ष के लिए 53,984 रुपए की ई.एम.आई. पड़ती है जो 48,277 रुपए पर 30 वर्ष की हो जाएगी यानी, 5,707 रुपए की कम ई.एम.आई. के लिए 10 साल तक कर्ज के जाल में फंसे रहना पड़ेगा।
हर साल एक अतिरिक्त ई.एम.आई. भरने की कोशिश करें। हालांकि, शुरू-शुरू में ऐसा करना कठिन होगा लेकिन आगे जाकर यह फायदेमंद होगा। सामान्यतः ब्याज दरों में बदलाव वाले निश्चित अवधि के लोन के लिए प्रीमेंट पर कोई चार्ज नहीं लिया जाता है। अगर आप हर वर्ष एक ई.एम.आई. ज्यादा भरते हैं तो कर्ज की बची रकम घटती है। जरा सोचकर देखिए, अगर आपने 10, 15 या 20 वर्ष के होम लोन पर हर वर्ष एक ज्यादा ई.एम.आई. भरते हैं तो कितना फायदा होगा।