नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली की ही बात करें तो डीजल यहां अपने सबसे उच्चतम भाव पर है। वहीं, पेट्रोल के दाम भी चार साल के रिकॉर्ड स्तर पर हैं। इसी को लेकर कांग्रेस नेता और सांसद शशि थरूर ने एक ट्वीट किया है। उन्होंने पीएमओ को टैग करते हुए पूछा है कि "अब आप क्या कहेंगे, क्या ये आपकी सरकार के फेल होने का कारण है। दरअसल, शशि थरूर ने पीएम मोदी के ही एक पुराने ट्वीट को याद करते हुए उसे री-ट्वीट किया है।
2012 में गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी ने पेट्रोल-डीजल की कीमतों को लेकर एक ट्वीट किया था। उन्होंने लिखा था "पेट्रोल के दाम में बड़ी बढ़ोतरी ही यूपीए सरकार के फेल होने का साफ उदाहरण है। इससे गुजरात के ऊपर करोड़ों रुपए का बोझ बढ़ेगा। अब उसी ट्वीट को री-ट्वीट करते हुए शशि थरूर ने उसी अंदाज में ट्वीट लिखा है। थरूर ने ट्वीट में लिखा "डियर, पीएमओइंडिया, आप क्या सोचते हैं क्या आपकी सरकार के फेल होने का भी यह साफ उदाहरण है? पूरी दुनिया में तेल के दाम 2012 के स्तर से बेहद कम हैं। ऐसे में आपके टैक्स की वजह से घरेलू बाजार में दाम काफी ऊपर हैं। यूपीए सरकार के समय के भाव से बहुत ज्यादा है।"
पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी कीमतों को लेकर कह चुके हैं कि वो पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने पर जोर दे रहे हैं। जीएसटी काउंसिल से उन्होंने इस संबंध में बात भी की है। हालांकि, इंटरनेशनल मार्केट के ट्रेंड्स पर ही तेल कीमतें तय होती हैं और उसी मकैनिज्म पर चलती हैं।
दिल्ली में इस वक्त पेट्रोल की कीमत 73.95 रुपए प्रति लीटर है. वहीं, मुंबई में 81.80 रुपए प्रति लीटर। लगातार छठे दिन पेट्रोल-डीजल की कीमतों में तेजी जारी है। रविवार को चार साल के उच्चतम स्तर पर पहुंचने के बाद पेट्रोल-डीजल के दाम अब भी बढ़ रहे हैं। आपको बता दें, तेल के दाम रोजाना सुबह 6 बजे बदलते हैं। यह लगातार छठा दिन है जब पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ी हैं।
खाड़ी देशों के तेल निर्यातक संगठन ओपेक और रूस ने क्रूड उत्पादन में और कटौती का फैसला किया है। इससे अगले कुछ महीनों में तेल के दाम और बढ़ने की आशंका है। घरेलू बाजार में पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर भी इसका असर देखने को मिलेगा।
आपको बता दें, वर्ष 2017 में कच्चे तेल का औसत दाम 47.56 डॉलर प्रति बैरल था, जो अप्रैल 2018 में बढ़कर 76.60 डॉलर प्रति बैरल हो गया है। तेल मंत्रालय की पेट्रोलियम योजना एवं विश्लेषण शाखा के अनुसार, कच्चे तेल का औसत दाम एक माह में 63.80 डॉलर से 76.84 डॉलर प्रति बैरल के साथ 13 डॉलर बढ़ चुका है।
सबसे बड़े तेल उत्पादक रूस और ओपेक ने कच्चे तेल के रोजाना उत्पादन में करीब दो फीसदी की कटौती का फैसला किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि व्यापार युद्ध और कोरियाई देशों में तनाव कम होने से भी कच्चे तेल की कीमतों में इजाफा हो सकता है। अगर कच्चा तेल महंगा होता है तो पेट्रोल-डीजल के भाव में भी तेजी आएगी।