बिज़नेस
दुनिया भर में बढ़ते संरक्षणवाद से भारतीय कंपनियां चिंतित
By Deshwani | Publish Date: 21/3/2018 4:12:32 PMनई दिल्ली। दुनिया भर में बढ़ रहे संरक्षणवाद को लेकर भारतीय कंपनियों सबसे ज्यादा चितित हैं। इसकी वजह सीमा पार व्यापार और अंतरराष्ट्रीय व्यवसाय की लागत बढ़ना है। एक सर्वेक्षण में यह बात कही गयी है। एचएसबीसी के वैश्विक सर्वेक्षण के मुताबिक देश में 10 में से 9 कंपनियों को लगता है कि सरकारें तेजी से संरक्षणवादी रुख अपना रही है। इस सर्वेक्षण में 26 बाजारों की 6,000 कंपनियों को शामिल किया गया है। नेविगेटर नाउ, नेक्स्ट एंड हाउ फॉर बिजनेस' शीर्षक से किए सर्वेक्षण के मुताबिक वैश्विक स्तर पर पांच में से तीन प्रतिभागियों (61 प्रतिशत) को लगता है कि सरकारें अपनी घरेलू अर्थव्यवस्थाओं के लिए अधिक संरक्षणवादी बनती जा रही हैं।
सर्वेक्षण में कहा गया है कि संरक्षणवाद बढ़ने से अंतरराष्ट्रीय कारोबार करने की लागत में बढ़ोत्तरी हुई है, व्यापारिक मार्गों में फ़ेरबदल और व्यापार के कर्ज हासिल करने में बाधाएं जैसी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। अन्य क्षेत्र जहां संरक्षणवाद को लेकर धारणा मजबूत है, उनमें मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका क्षेत्र( 70 प्रतिशत) और एशिया प्रशांत (68 प्रतिशत) शामिल हैं। अमेरिका में 61 प्रतिशत का मानना है कि संरक्षणवाद बढ़ रहा है जबकि यूरोप में 50 प्रतिशत कंपनियां संरक्षणवादी प्रवृत्तियों में वृद्धि देख रही हैं।
एचएसबीसी इंडिया के वाणिज्यिक बैंकिग प्रमुख रजत वर्मा ने कहा, ’’ सीमापार व्यापार और अंतरराष्ट्रीय कारोबार करने की लागत बढ़ने की वजह से संरक्षणवादी प्रवृत्तियों में वृद्धि चिता का विषय है।’’ वर्मा ने आगे कहा इससे बचने के लिए कंपनियां जो रणनीति अपना रही हैं उनमें क्षेत्रीय व्यापार बढ़ाना, ज्यादातर बाजारों में संयुक्त उद्यम या घरेलू ईकाई की स्थापना और डिजीटल प्रौद्योगिकियों और उपभोक्ता मांग में रुख को भूनाना शामिल है।