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चोटिया खदान के प्रारंभ न होने से सरकार को करोड़ों का नुकसान
By Deshwani | Publish Date: 1/2/2018 7:19:07 PM
चोटिया खदान के प्रारंभ न होने से सरकार को करोड़ों का नुकसान

कोरबा (हि.स.)। कोरबा के चोटिया में संचालित बालको की खदान प्रारंभ न होने की वजह से राज्य सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है। भूमिगत खदान से बालको ने ओपन कास्ट खदान के लिए विभाग के पास अनुमति हेतु आवेदन किया है लेकिन पर्यावरणीय स्वीकृति मिलने से पहले खनिज विभाग खनन की अनुमति प्रदान नहीं कर सकता है।
खनिज विभाग की नज़रें अब पर्यावरणीय अनुमति मिलने पर है जिसके बाद उसके राजस्व में बढ़ोतरी होगी। बालको खदान प्रारंभ होने से संयंत्र को कोयले की आपूर्ति निर्बाध गति से सुनिश्चित होने के साथ ही स्थानीय हितों की पूर्ति करने में सहयोग की बात कह रहा है। हालांकि बाल्को ने चोटिया कोल ब्लॉक-2 भूमिगत परियोजना को ओपन कास्ट में परिवर्तन करने की कवायद शुरू कर दी है। 0.25 एमटी प्रतिवर्ष क्षमता वाली इस अंडरग्राउंड माइंस को ओपन कास्ट करने के बाद एक मिलियन टन कोयला उत्पादन करने का लक्ष्य रखा गया है। इस वित्तीय वर्ष में कोयला उत्खनन प्रारंभ नहीं होने की वजह से राज्य सरकार को करोड़ों का नुकसान हो रहा है।
जिला खनिज अधिकारी डॉ. डी. के. मिश्रा ने गुरुवार को बताया कि पिछले वित्तीय वर्ष में बालको की चोटिया स्थित खदान से प्रीमियम और रॉयल्टी मिला 75 करोड़ की राशि प्राप्त हुई थी लेकिन इस वर्ष उत्खन्न नहीं होने से राशि प्राप्त नहीं हो सकी है। खनिज विभाग की ओर से उत्खनन में कोई रोक नहीं है लेकिन बालको चोटिया-2 के लिए भूमिगत खदान से ओपन कास्ट के लिए जब तक पर्यावरणीय स्वीकृति नहीं मिल जाती तब तक खनन नहीं करने दिया जा सकता है। निश्चित तौर पर बालको के कोल ब्लॉक से रॉयल्टी नहीं मिलने से राजस्व का नुकसान हो रहा है।
इधर बालको के कंपनी संवाद प्रमुख आशीष रंजन की मानें तो खदान के प्रारंभ होने से बालको को आपूर्ति होने वाले कोयले में सहुलियत होने के साथ ही स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त हो सकेंगे। 6 जनवरी को इसी को लेकर जनसुनवाई का आयोजन किया गया था। अनुमति मिलने के बाद यथाशीघ्र खनन प्रारंभ कर दिया जाएगा। खदान से कोयला निकालने के एवज में खनिज विभाग को रायल्टी संबंधित कंपनी प्रदान करती है। शासन के नियमानुसार मूल बेसिक प्राइज की 14 फीसदी राशि खनिज विभाग के रायल्टी खाते में जाती है। चोटिया खदान से कोयला निकालने के एवज में बाल्को को मूल बेसिक 3025 रुपये का 14 फीसदी 423.50 रुपये प्रति टन रायल्टी के रूप में खनिज विभाग को देना पड़ता है तो उत्खन्न न होने की दिशा में सरकार के लिए नुकसानदायक है।
दरअसल फरवरी, 2015 में बाल्को ने 3025 रुपए प्रति टन की दर से बोली लगाकर चोटिया कोल ब्लॉक को नीलामी के माध्यम से हासिल किया। इसमें तत्कालीन तौर पर कोयला उत्खनन कर रही चोटिया की एक नंबर खदान के अलावा चोटिया-2 अंतर्गत भूमिगत एवं ओपन कास्ट परियोजना भी शामिल रही। अप्रैल, 2015 में खदान का अधिपत्य बाल्को ने लेने के बाद कोयला उत्पादन कर रही चोटिया की एक नंबर खदान से कोयला निकाला। उत्खनन महंगा पड़ने की वजह से फिलहाल खदान को बंद कर दिया गया है। इससे राजस्व का नुकसान होने के साथ ही बालको को बाहर से कोयला खरीदना पड़ रहा है। इसलिए अब पुनः चोटिया खदान खोलने की कवायद शुरू हो गई है। बंद की गई एक नंबर खदान के बदले बाल्को ने चोटिया-2 अंतर्गत भूमिगत परियोजना को ओपन कास्ट में परिवर्तन करने का प्रस्ताव रखा है। अंडरग्राउंड माइंस की क्षमता 0.25 मिलियन टन प्रतिवर्ष है। इसे ओपन कास्ट कर 1 मिलियन टन प्रतिवर्ष कोयला उत्पादन किया जाएगा। खदान से 19 अप्रैल, 2036 तक कोयला उत्पादन किया जाना है। इस ब्लॉक से कोल उत्खनन शुरू होने के बाद बाल्को को कोल संकट से जूझना नहीं पड़ेगा। वर्तमान में एसईसीएल से कोयला की आपूर्ति बाल्को को हो रही है।

 

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