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आजमगढ़ में सरकारी कोल्ड स्टोर बंद, सड़ रहा है किसानों का हजारों कुंतल आलू
By Deshwani | Publish Date: 11/1/2018 4:48:22 PM
आजमगढ़ में सरकारी कोल्ड स्टोर बंद, सड़ रहा है किसानों का हजारों कुंतल आलू

आजमगढ़ (हि.स.)। आजमगढ़ जिले में तत्कालीन सरकार ने वर्ष 1967 में 20 हजार कुंतल क्षमता वाले एक शीत गृह का निर्माण कराया था लेकिन यह शीतगृह बंद पड़ा है जबकि प्रतिवर्ष किसानों का हजारों कुंतल आलू या तो सड़ जाता है अथवा वे मजबूरन औने पौने दामों पर बेचने को मजबूर हो रहे हैं। 

बूढनपुर तहसील क्षेत्र के कस्बे में 20 हजार कुंतल आलू भंडारण की क्षमता वाले शीतगृह का शिलान्यास अगस्त 1967 में जिला सहकारिता मंत्री गंगाभक्त सिंह ने किया था। जिला सहकारी संघ लिमिटेड के तत्कालीन संचालक मंडल पदेन अध्यक्ष/जिलाधिकारी गुलाम मुहम्मद मुर्तजा, रामकुंवर सिंह उपाध्यक्ष एवं 14 निर्वाचित सदस्यों के साथ सभाजीत सिंह एडवोकेट अवैतनिक मंत्री की देखरेख में निर्माण कार्य शुरू हुआ। 29 मार्च 1969 को तत्कालीन सहकारिता मंत्री लक्ष्मी शंकर यादव ने इसका उद्घाटन किया। तत्कालीन समिति के अध्यक्ष/जिलाधिकारी दुर्गाशंकर आर्य, अवैतनिक मंत्री सभाजीत सिंह एडवोकेट व संचालक मंडल की देखरेख में शीतगृह ने कार्य प्रारंभ किया लेकिन 1974 में किसानों का आलू सड़ गया। मुआवजा न मिलने पर दरियापुर निवासी रामकुमार वर्मा व दूसरे किसानों ने शीतगृह पर मुकदमा कर दिया। मुकदमे के कुछ वर्षों बाद राजकुमार वर्मा का निधन हो गया। 
राजकुमार के पुत्र बृजलाल वर्मा ने बताया कि यह मुकदमा अभी भी इलाहाबाद हाईकोर्ट में लंबित है। 1984 में आलू किसान फिर कुप्रबंधन का शिकार हुए। किसानों का आलू बाहर सड़क के किनारे फेंक दिया गया। बाजार में महामारी फैलने से कुछ लोगों की मौत हो गई थी लेकिन किसी की भी जिम्मेदारी नहीं तय की गई। इसके बाद से किसानों के साथ धोखे का सिलसिला चल पड़ा जिसके बाद शीतगृह बंद कर दिया गया। 
शीतगृह में 1978 से बंद होने तक काम कर रहे उदयराज वर्मा निवासी कैथेपुर ने बताया कि इसे एक बार पुनः 1987 और 1988 में चालू करने का प्रयास किया गया, लेकिन प्रयास विफल रहा और यह शीतगृह सदा के लिए बंद हो गया। 
उनका कहना है कि अगर यह शीतगृह चालू रहा होता तो इस क्षेत्र के किसान न तो आलू की खेती छोड़ने के लिए मजबूर होते और ना ही जो खेती कर रहे हैं उन्हें अपना उत्पाद औने-पौने दामों में बेचना पड़ता। किसानों ने कई बार शीत गृह चालू कराने की मांग की लेकिन सरकारों ने इसे अनसुना कर दिया। 
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