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इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड संशोधन को संसद की मंजूरी
By Deshwani | Publish Date: 2/1/2018 8:49:59 PM
इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड संशोधन को संसद की मंजूरी

 नई दिल्ली, (हि.स.)। केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली ने मंगलवार को संसद के उच्च सदन राज्यसभा में इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (संशोधन) विधेयक, 2017 पर सदन को बताया कि उनकी सरकार कारोबारी जगत में एक नए युग की शुरूआत करने जा रही है। इस विधेयक के जरिए हम कारोबारी जगत में फरेब, धोखाधड़ी और झूठ को बहुत हद तक खत्म कर देंगे। इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (संशोधन) विधेयक, 2017 मंगलवार को राज्यसभा में ध्वनिमत से पारित हो गया। इससे पहले ये संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश किया गया था। लोकसभा से पारित होने के बाद उसे राज्यसभा की मंजूरी के लिए लाया गया था। 

दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (संशोधन) विधेयक, 2017 पर राज्यसभा में बोलते हुए जेटली ने खुलासा किया कि इससे पहले इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी मामलों में हमारे कानून कमजोर साबित होते रहे। डीआरटी, सिका जैसे कदमों से भी कारोबारी जगत में फरेब और धोखाधड़ी को रोका नहीं जा पा रहा था। पहले ये होता था कि किसी कंपनी के दिवालिया होने पर जब मामला एनसीएलटी (नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल) के पास जाता था, तो जिन लोगों के चलते कंपनी दिवालिया हुई थी या जो इसके प्रमोटर्स, निदेशक, प्रबंधन में से होते थे, वे ही कंपनी को नीलामी मेंं 30-40 फीसदी कीमत देकर फिर से खरीद लेते थे, क्योंकि घाटे में जा चुकी कंपनी को कोई और तो खरीदने आगे नहीं आता था। इस तरह बकायादारों को बिना पैसा चुकाए ये लोग कंपनी को वापस खरीद लेते थे। 
 
हमने इस बार इन सब बातों का ध्यान रखा है। हमारी कोशिश है कि ऐसे लोगों को जिनकी वित्तीय साख संदिग्ध हो, कारोबारी जगत में ऑपरेट नहीं किया जाने देना चाहिए। साथ ही हम बकायदारों को होने वाले नुकसान को भी बचाना चाहते हैं, फिर वो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक हो या निजी बकायदार। 
 
सरकार ने हाल के वर्षों में कंपनियों द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से हजारों करोड़ का कर्ज लेकर नहीं लौटने के बढ़ते मामलों को देखते हुए मौजूदा कानूनों में बदलाव का फैसला किया है। सरकार के सामने सार्वजनिक क्षेत्र की बैकों का एनपीए (नहीं लौटनेवाले कर्ज) एक बड़ी वित्तीय चुनौती के रूप में है। 
 
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