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भारत में 69 फीसदी करप्शन बढ़ा, विदेशी निवेशकों की राह में बाधक: क्रॉल
By Deshwani | Publish Date: 1/1/2018 1:29:20 PMमुंबई, (हि.स.)। केंद्र सरकार की पारदर्शी व भ्रष्टाचारमुक्त कारोबार व इज ऑफ डूइंग बिजनेस की नीतियों को गहरा झटका लगा है। अमेरिकी रिस्क मैनेजमेंट कंपनी क्रॉल बांड इंक का कहना है कि भारत में अभी भी विदेशी निवेशकों के लिए करप्शन सबसे बड़ी दिक्कत बनी हुई है। भारत में घूसखोरी के मामलों में 69 फीसदी और वियतनाम में 65 फीसदी बढ़ोतरी हुई है। निवेशकों व कारोबारियों को घूस देकर काम करवाना पड़ा है। सबसे बड़ी अर्थ व्यवस्था की ओर बढ़ रहे चीन में घूसखोरी की प्रवृत्ति केवल 26 फीसदी है, जबकि पाकिस्तान में 40 फीसदी दर्ज हुई है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में निवेश का फैसला करनेवाले विदेशी निवेशकों को करप्शन के अलावा कॉरपोरेट गवर्नेंस और एसेट की सिक्युरिटी से जुड़े रिस्क का भी सामना करना पड़ रहा है। अमेरिकी कंपनी क्रॉल के अनुसार, साल 2014 में जब केंद्र सरकार का गठन हुआ, तो ग्लोबल निवेशकों को नई सरकार से काफी उम्मीदें थीं। केंद्र सरकार ने भी भारत में बिजनेज के तरीके में बड़ा बदलाव करने की आस बंधाई थी। लेकिन ऑरेन इन्वेस्टर्स की उम्मीदों के अनुसार ऐसा कुछ नहीं हुआ। टैक्स में एकरूपता न होने, टैक्स से जुड़े मामले में पूर्व की अनुधारणा में बदलाव नहीं होने, बेरोजगारी की बढ़ती चिंताओं के साथ सामाजिक विषमता राज्य और केंद्र के बीच की राजनीतिक पूर्वाग्रहों और बैंकिंग सिस्टम में कैपिटल की दिक्कत जैसी बातों ने विदेशी निवेशकों को फैसला लेने में परेशानी खड़ी की है। नई सरकार ने ग्लोबल निवेशकों के साथ ही देश के कारोबारियों को भी भरोसा दिलाया था। विदेशी निवेशक व कारोबारी भी भारत में बिजनेस करने को लेकर बड़े बदलाव की उम्मीद कर रहे थे। लेकिन उम्मीदों के अनुरूप ऐसा नहीं हुआ। हालांकि कई सुधारवादी कदम उठाए गए, लेकिन उन सुधारों का व्यापक असर दिखाई नहीं दे रहा है। भारत में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के मुद्दे पर सरकार का रूख सकारात्मक दिखाई तो है, लेकिन निवेशकों को आकर्षित करने में सफल नहीं हो रहे। नोटबंदी, जीएसटी में कई टैक्स स्लैब को लागू करने के बाद सप्लाई चेन पर असर पड़ा है। क्रॉल की ग्लोबल फ्रॉड रिपोर्ट के अनुसार सरकारी विभागों में बढ़ते करप्शन के कारण 20 फीसदी से ज्यादा विदेशी निवेशकों ने भारत का रुख नहीं किया है। विदेशी निवेशक और कंपनियां करप्शन, कॉरपोरेट गवर्नेंस और एसेट से जुड़े रिस्क को देखते हुए भारत में नया कोई प्रोजेक्ट शुरू नहीं कर पाईं। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल सर्वे की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार, एशिया-प्रशांत क्षेत्र में भ्रष्टाचार की दर भारत में सबसे ज्यादा है। काम कराने के लिए घूस देनी पड़ी। भारत में 69 फीसदी और वियतनाम में 65 फीसदी लोगों को घूस देना पड़ा। चीन में यह आंकड़ा महज 26 फीसदी है, जबकि पाकिस्तान में 40 फीसदी था। हालांकि क्रॉल की रिपोर्ट में वर्ल्ड बैंक की उस रिपोर्ट का भी जिक्र है, जिसमें ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग में भारत की रैंकिंग सुधर कर 100वें स्थान पर आने की बात कही गई थी। साल 2016 के मुकाबले भारत की रैंकिंग में इस साल 30 पायदान का सुधार आया है। ग्लोबल क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भी भारत की सॉवरेन रेटिंग बीएए-3 को सुधारकर बीएए-2 कर दी है। मूडीज ने 13 साल बाद भारत की रेटिंग में यह सुधार किया है। हाल ही में केंद्र सरकार ने इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (आईबीसी), रीयल एस्टेट रेग्युलेटरी एक्ट (रेरा), गूड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) जैसे रिफॉर्म्स किए हैं, जिससे ईज ऑफ डूइंग बिजेनस को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।