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महाराष्ट्र में बीज कंपनियों पर होगी कार्रवाई
By Deshwani | Publish Date: 27/12/2017 4:32:43 PMमुंबई, (हि.स.)। महाराष्ट्र में कपास का बीज बेचने वाली कई कंपनियों और उनके डीलरों के खिलाफ नकली व घटिया क्वालिटी वाले बीज वितरण किए जाने की शिकायत दर्ज होने के बाद जांच शुरू हो गई है। कुछ कंपनियों और डीलरों के यहां छापे मारे गए हैं। खराब बीजों के सैंपल जुटाए जा रहे हैं। महाराष्ट्र के कई जिलों में कपास उत्पादक किसानों की फसलें चौपट हो गईं हैं। कपास की फसल पर पिंक बॉलवर्म नामक कीट का प्रकोप लगातार बढ़ रहा है। इस कीट के प्रकोप के कारण प्रमुख रूप से कपास उत्पादक महाराष्ट्र के किसानों को सबसे ज्यादा नुकसान होने की आशंका जताई जा रही है। मराठवाड़ा के कुछ इलाकों के साथ ही विदर्भ में 50 फीसदी तक की फसल के बर्बाद होने की आशंका जताई गई है। विदर्भ के यवतमाल, वर्धा और मराठवाड़ा के जालना व औरंगाबाद में कपास की फसलों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा है। किसानों ने बीज कंपनियों के खिलाफ नकली बीज देने की शिकायत लिखाई थी। राज्य सरकार के पास भी बीज कंपनियों के खिलाफ शिकायतें भेजी गई थीं। सरकार की ओर से कड़े कदम उठाने के संकेत दिए गए थे। नकली बीज वितरण करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के बाद राज्य सरकार ने किसानों को राहत देने की योजना भी बनाई है। कपास, आलू, प्याज और अन्य सब्जियों को घाटे में बेचने वाले किसानों के लिए सरकार की ओर से एमएसपी की तर्ज पर मार्केट सपोर्ट प्राइज नीति बनाई जा रही है। केंद्र सरकार के पास एक प्रस्ताव भी विचाराधीन है। नई नीति के तहत घाटे में फसल बेचने पर किसानों को मुआवजा दिए जाने का प्रस्ताव है। सरकार फसलों और सब्जियों के लिए न्यूनतम कीमत तय करेगी। यह नई नीति उन फसलों के लिए लागू होगी, जो एमएसपी के दायरे में नहीं आते। किसानों को मिले दाम का आकलन मंडी के औसत कीमत पर तय किया जाएगा। किसानों को भुगतान सीधे उनके बैंक खाते में होगा। बता दें कि मौजूदा दौर में प्याज, आलू, मिर्ची की एमएसपी किसानों को नहीं मिल रही है। सरकार ने केवल 25 कृषि उत्पादों पर ही एमएसपी तय की है।