मुंबई,(हि.स.) । बैंकिंग उद्योग जहां इस समय भारी-भरकम गैर-निष्पादित संपत्तियों (एनपीए) से जूझ रहा है, वहीं उसके लिए एक दिक्कत यह भी है कि उसके खिलाफ शिकायतों में लगातार वृद्धि हो रही है। इसमें भी खास बात यह है कि ये शिकायतें दिल्ली व मुंबई से सर्वाधिक आ रही हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक उसके बैंकिंग ओंबुड्समैन के पास कुल 1.3 लाख शिकायतें आई हैं। इसमें पिछले साल की तुलना में 27.4 फीसदी की बढ़त हुई है। बैंकिंग ओंबुड्समैन स्कीम (बीओएस) के मुताबिक वित्त वर्ष 2016-17 में कुल 1,36,511 शिकायतें मिली थीं, जिसमें से 92 फीसदी शिकायतें एक साल के अंदर खत्म कर दी गई थीं। ओंबुड्समैन को जो शिकायतें प्राप्त हुईं उसमें 27 फीसदी की बढ़त दिखी, जबकि उसके पहले के साल में 21 फीसदी की बढ़त दिखी थी।
बैंकिंग ओंबुड्समैन ग्राहकों की शिकायतों पर ध्यान देता है और यह तमाम तरह की शिकायतों को सुनता है जिसमें छोटी मुद्राओं को बैंकों द्वारा अस्वीकार करना, बिना कोई सूचना दिए जमा को रख लेना या कोई अन्य शिकायतें हों जिसमें एटीएम भी जुड़ा है। वित्तीय वर्ष 2016-17 में शिकायतों को निपटाने में 3,780 रुपये खर्च हुए तो 2015-16 में यह 4,396 रुपये थी। इस तरह से देखा जाए तो वित्त वर्ष 2016 में यह लागत 45.2 करोड़ रुपये थी तो वित्त वर्ष 2017 में यह 49.5 करोड़ रुपये हो गई।
ओबीओ में शिकायतों सहित जो भी खर्च होता है, उसका वहन रिजर्व बैंक करता है। रिजर्व बैंक के पूर्वी जोन ने सबसे अधिक शिकायतें प्राप्त कीं जिसमें 33 फीसदी की बढ़त दिखी है और यह भी कोलकाता से ज्यादा है, जहां उसका हिस्सा 61.6 फीसदी है। इसके बाद पश्चिमी जोन में शिकायतों में 32.4 फीसदी की बढ़त दिखी है और इसमें अहमदाबाद 61.65 फीसदी के साथ शीर्ष पर है। उत्तरी जोन में 44.5 फीसदी के साथ जयपुर शीर्ष पर है जो दक्षिणी जोन में 37.5 फीसदी के साथ बंगलुरु शीर्ष पर है।
कुल शिकायतों में दिल्ली से 18.9 फीसदी तथा मुंबई से 12.4 फीसदी शिकायतें आती हैं जबकि अहमदाबाद से 7.3 फीसदी शिकायतें आती हैं। कुल 20 ओबीओ ने 130,987 शिकायतें प्राप्त कीं, जबकि साल 2006-07 में यह संख्या 38,000 थी। इन शिकायतों में एटीएम से संबंधित शिकायतें 18.9 फीसदी रही हैं। इन शिकायतों में 44 फीसदी लोग अपनी शिकायतें ईमेल, पोस्ट या फिर कूरियर से करते हैं।