मुंबई, (हि.स.)। बैंकिंग उद्योग इस समय जहां गैर निष्पादन संपत्तियों के बोझ तले दबा है और भारी भरकम राशि कर्जखोर जान बूझकर नहीं चुका रहे हैं, वहीं पता चला है कि 5,490 से ज्यादा ऐसे कर्जखोर हैं, जिन्होंने जान बूझकर कर्ज की अदायगी नहीं की है और इनका कुल कर्ज 60,739 करोड़ रुपये से ज्यादा है।
ट्रांस यूनियन सिबिल के आंकड़े बताते हैं कि उपरोक्त कर्जखोरों की जो सूची है, वह 25 लाख रुपये से ज्यादा की सूची है। यानी उससे कम जिन लोगों ने कर्ज लिया और नहीं चुकाया है, उनकी संख्या अलग है। आश्चर्यजनक यह है कि इस सूची में उन 12 बड़े कॉर्पोरेट खातों का भी समावेश नहीं है, जो बैंकिंग उद्योग में दिक्कत वाले कुल कर्ज का करीबन 25 फीसदी हिस्सा रखते हैं। हालांकि ये मामले इनसाल्वेंसी एवं बैंकरप्सी कोर्ड के तहत चल रहे हैं।
हालांकि पिछले साल की समान तिमाही से अगर इसकी तुलना की जाए तो इसमें गिरावट देखी गई है। पिछले साल यह संख्या 9,077 थी और कुल राशि 1.07 लाख करोड़ रुपये थी। लेकिन अब यह घटकर 60,739 करोड़ रुपये पर आ गई है। बता दें कि बैंकिंग उद्योग में जो 12 बड़े कर्जखोर हैं और जिन पर सख्ती बरती जा रही है, उसमें जूम डेवलपर्स, किंगफिशर एयरलाइंस, विजडम डायमंड्स, वरुण इंडस्ट्रीज आदि का समावेश है।
इन कंपनियों ने जान बूझकर बैंकों का कर्ज नहीं चुकाया है। किंगफिशर के विजय माल्या तो इस वजह से देश छोड़कर फरार हो गए हैं। कुछ कंपनियों के प्रवर्तकों के पास तो कर्ज चुकाने के लिए पैसे भी थे, लेकिन उन्होंने इन पैसों को या तो अन्य जगह पर लगा दिया या फिर उसे किसी और कारणों से छुपा दिया। इन डिफॉल्टरों द्वारा लिए गए कर्ज में सालाना आधार पर 20.4 फीसदी की बढ़ोत्तरी देखी गई है और वित्तीय वर्ष 2016-17 के अंत तक 92,376 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है।
आंकड़े बताते हैं कि मार्च 2017 तक कुल 8,642 कर्जखोरों ने जान बूझकर पैसा नहीं चुकाया। इसकी तुलना में बैंकों ने 1900 मामलों में प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज कराई है और इसकी कुल राशि 32,484 करोड़ रुपये रही है। देश के सबसे बड़े कर्जदाता भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने जिन लोगों को कर्ज दिया है उसमें 1,659 लोग ऐसे हैं जिन्होंने जान बूझकर कर्ज नहीं चुकाया है। पंजाब नेशनल बैंक में 963 लोग ऐसे हैं जिनकी राशि 11,880 करोड़ रुपये है।