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जीएसटी रिफंड फंसने से वाहन निर्यातकों पर दबाव
By Deshwani | Publish Date: 20/11/2017 10:54:47 AM
जीएसटी रिफंड फंसने से वाहन निर्यातकों पर दबाव

नई दिल्ली। भारत से यात्री वाहनों के निर्यात की राह में माल एवं सेवाकर (जीएसटी) प्रणाली से जुड़ी अड़चने खड़ी हो गयी हैं क्योंकि वाहन विनिर्माता जुलाई से अब तक अपना रिफंड दावा नहीं कर सके हैं और इस मद में उनका बकाया 1,000 करोड़ रुपए से ऊपर जा चुका है। उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि जीएसटी की अग्रिम भुगतान और इनपुट टैक्स क्रेडिट रिफंड दावा करने की मौजूदा प्रणाली ठीक से काम नहीं कर रही है। कंपनियों के लिए कार्यशील पूंजी की जरूरत बढ़ गई है और जब तक इन मुद्दों का समाधान नहीं हो जाता तब तक वह निर्यात को लेकर दोबारा विचार कर सकते हैं।
 
फोर्ड इंडिया के मुख्य वित्त अधिकारी डेविड शॉक ने कहा कि जीएसटी के तहत मुआवजा उपकर को बढ़ाकर 1-22 प्रतिशत कर दिया गया है जो पुरानी व्यवस्था में 1-4 प्रतिशत था। इससे नकदी की आवश्यकता बढ़ी है और कंपनियों पर इसका दबाव है। भारतीय वाहन विनिर्माताओं के संगठन सियाम के उप महानिदेशक सुगतो सेन ने कहा, निर्यात पर ध्यान देने वाली कंपनियां ज्यादा परेशान हैं क्योंकि जीएसटी में अग्रिम भुगतान और रिफंड का दावा करने की मौजूदा प्रणाली ठीक से काम नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि जीएसटी क्रेडिट का संग्रह होता जा रहा है जिसका नुकसान निर्यातकों को हो रहा है।
 
सेन ने कहा, कई कंपनियां है जिनका रिफंड कई सैकड़ों करोड़ रुपये को पार कर चुका है। कंपनियों की कार्यशील पूंजी की जररत बढ़ गई है, जिसके चलते उनका निर्यात को लेकर सावधानी पूर्ण रख है। जुलाई-अक्तूबर की अवधि में यात्री वाहन का निर्यात 14.45% घटकर 2,35,933 इकाई रहा है जो पिछले साल समान अवधि में 2,75,789 वाहन था। हालांकि इसी अवधि में दोपहिया और वाणिज्यिक वाहनों समेत कुल वाहन का निर्यात 8.07% सुधरकर 13,17,936 वाहन रहा है जो पिछले साल इस दौरान 12,19,460 वाहन था। वाहन उद्योग जगत से जुड़े सूत्रों के अनुसार देश के चार शीर्ष यात्री वाहन निर्यातकों का बकाया रिफंड 1,000 करोड़ रुपए पार कर गया है।
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