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कारोबारियों के लिए 10 वर्षों में इस बार की दिवाली सबसे फीकी : कैट
By Deshwani | Publish Date: 21/10/2017 4:02:11 PM
कारोबारियों के लिए 10 वर्षों में इस बार की दिवाली सबसे फीकी : कैट

नई दिल्ली, (हि.स.)। कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने इस वर्ष दिवाली पर व्यापार की समीक्षा करते हुए इसे गत 10 वर्षों के मुकाबले सबसे फीका करार दिया है। व्यापारियों की उम्मीदें अब शादियों के सीजन पर टिकी हैं। ऐसे में कैट ने केंद्र सरकार से रिटेल व्यापार में छायी सुस्ती को दूर करने के लिए एक राष्ट्रीय नीति बनाने की मांग की है। 

 

कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने शनिवार को कहा की गत वर्षों के मुकाबले इस वर्ष व्यापारियों के लिए दिवाली की रौनक लगभग न के बराबर रही और व्यापार में घोर मंदी का माहौल रहा। बाज़ार के जानकारों के मुताबिक गत 10 वर्षों में इस बार की दिवाली सबसे फीकी रही जिसमें व्यापारियों और उपभोक्ताओं दोनों में ही त्योहारी माहौल नहीं बन पाया।

 

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.सी.भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने यहां जारी एक संयुक्त बयान में कहा की देश के रिटेल व्यापार में प्रतिवर्ष लगभग 40 लाख करोड़ का कारोबार होता है यानी लगभग 3 .5 लाख करोड़ प्रति महीना जिसमें से केवल 5 प्रतिशत का हिस्सा संगठित क्षेत्र का है जबकि बचा हुआ 95 प्रतिशत हिस्सा स्वयं संगठित क्षेत्र का है जिसे गलत रूप से असंगठित क्षेत्र कहा जाता है। दिवाली से पहले के 10 दिनों में दिवाली से सम्बंधित वस्तुओं की बिक्री गत वर्षों में लगभग 50 हजार करोड़ रही है जिसमें इस साल 40 प्रतिशत की कमी दिखाई दी।

 

उन्होंने कहा कि रेडीमेड गारमेंट,कन्सूमर डयूरबल , एफ एम सी जी प्रॉडक्ट्स , इलेक्ट्रॉनिक्स , किचन सामान, लगेज सामान , घड़ियाँ, गिफ़्ट आइटम , मिठाइयाँ , ड्राई फ़्रूट, होम डेकोर , बिजली फ़िटिंग , फर्नीचर, डेकरेशन आइटम , फ़र्निशिंग फ़ैब्रिक, बिल्डर हार्डवेयर, पेंट, बर्तन आदि वो वस्तुएं हैं जिनकी बिक्री मुख्य रूप से दिवाली पर होती है।

 

व्यापारी नेताओं ने कहा की उपभोक्ताओं के पास नकदी तरलता की कमी के कारण उनकी खरीद क्षमता पर गहरा असर पड़ा जिसके कारण बाज़ारों में मायूसी छायी रही वहीं दूसरी ओर विमुद्रीकरण के बाद बाज़ारों में आई अस्थिरता और जब तक बाजार सम्भला तब जीएसटी के लागू होने के बाद जो दिक्कतें एवं जीएसटी पोर्टल का ठीक तरह से काम न कर पाने के कारण से बाज़ारों में अनिश्चितता का वातावरण बना जिसका असर उपभोक्ताओं पर भी पड़ा वहीं 28 प्रतिशत के जीएसटी कर स्लैब का खासा असर भी खरीददारी पर रहा। 

 

उन्होंने कहा कि अब जबकि दिवाली का त्यौहार जा चुका है ऐसे में अब व्यापारियों की निगाहें 31 अक्टूबर से शुरू होने वाले शादियों के सीजन पर अच्छे व्यापार के उम्मीद पर टिकी हैं। यह सीजन पहले सत्र में 14 दिसम्बर तक चलेगा और फिर दोबारा 14 जनवरी से शुरू होगा। ऐसे में बाजार में छायी सुस्ती को दूर करने के लिए सरकार को रिटेल व्यापार को चुस्त दुरस्त करना जरूरी है जिससे अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा ओर बाज़ारों में खरीद का माहौल बनेगा। इस सन्दर्भ में कैट ने कहा है की अर्थव्यवस्था से सभी सेक्टरों में केवल रिटेल व्यापार ही अकेला ऐसा सेक्टर है जिसके लिए न तो कोई नीति है और न ही कोई मंत्रालय है इसलिए सरकार को तुरंत रिटेल व्यापार के लिए एक राष्ट्रीय नीति बनानी चाहिए और केंद्र में अलग से एक आतंरिक व्यापार मंत्रालय गठित करना चाहिए। इसके अलावा रिटेल व्यापार को रेगुलेट एवं मॉनिटर करने के लिए एक रिटेल रेगुलेटरी अथॉरिटी भी बनायी जानी चाहिए।

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