नई दिल्ली, (हि.स.)। राजधानी दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में राष्ट्रीय हथकरघा विकास निगम लिमिटेड(एनएचडीसी) द्वारा आयोजित 14 दिवसीय सिल्क फैब प्रदर्शनी में नौवें दिन भी महिलाओं की खासी भीड़ देखने को मिली। इस प्रदर्शनी को उद्देश्य यह है कि इसके माध्यम से हथकरघा बुनकर अपने उत्पादों को सीधे उपभोक्ताओं के सामने पेश कर सके|
मेले के प्रभारी हरिमोहन शर्मा ने ने बताया कि शादियों के मौसम शुरु होने वाले हैं जिससे बनारसी सिल्क साड़ियों खासी मांग देखने को मिल रही है। साथ ही साउथ सिल्क की भी काफी डिमांड है|
लड़कियों में मखमली दुपट्टे, बनारसी सिल्क के दुपट्टे, फ्लावर डिजाइन के दुपट्टे खासा पसंद किया जा रहा है। इस प्रदर्शनी में ज्यादातर स्टाल उत्तर प्रदेश के बनारस और मुबारकपुर के देखने को मिले।
इस सिल्क फेब में राज्य सरकारों की संस्था, शीर्ष समितियां, प्राथमिक हथकरघा बुनकर समितियां और हथकरघा संस्थाएं शामिल हैं।
इस प्रदर्शनी में राज्यवार सिल्क साड़ियां हैं- आंध्र प्रदेश की गडवाल, पोचमपल्ली, धर्मावरम,असम की मुगा सिल्क, बिहार की तसर, कांथा, मधुबनी प्रिंट्स, छत्तीसगढ़ की आदिवासी कार्य, कोसा सिल्क, दिल्ली की मुद्रित सिल्क साड़ी, जम्मू और कश्मीर की मुद्रित सिल्क साड़ी, ड्रेस सामग्री, झारखंड की कोसा सिल्क, कर्नाटक की चिंतामणि, कासूती काम, कर्नाटक रेशम, मध्य प्रदेश की चंदेरी, माहेश्वरी, महाराष्ट्र की पैठानी, पुणे साड़ी, ओडिशा की बोमकाई, संबलपुरी, राजस्थान की बंधेज, उत्तर प्रदेश की तांचोई, जमदानी, जामवार (बनारसी) और पश्चिम बंगाल की बलूची, कांथा, तंगाईल।