मुंबई, (हि.स.)। देश के सबसे बड़े कर्जदाता भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की चेयरमैन अरुंधति भट्टाचार्य शुक्रवार को इस बैंक में 4 साल के कैरियर के बाद सेवानिवृत्त हो गईं। लेकिन उनका कहना है कि वह बैंकिंग क्षेत्र में अप्रत्यक्ष रूप से कार्यरत रहेंगी, भले ही प्रत्यक्ष रूप से वह कार्यरत न रहें।
शुक्रवार को एसबीआई चेयरमैन के रूप में अपने अंतिम संवाददाता सम्मेलन में अरुंधति भट्टाचार्य ने बताया कि आज यह बैंक दुनिया के शीर्ष 50 बैंकों की सूची में शामिल है और रोजाना एक लाख बचत खाता इस बैंक में खोले जाते हैं। उन्होंने हाल में बैंक द्वारा विभिन्न लेन देन और खातों से संबंधित अन्य रखरखाव पर लगाए गए शुल्कों को सही ठहराया। उन्होंने कहा कि यदि आपको अच्छी सेवा चाहिए, बैंक का विकास चाहिए और टेक्नोलॉजी के साथ-साथ खोज परख वाले उत्पाद चाहिए तो उसके लिए आपको भुगतान करना चाहिए।
भट्टाचार्य ने कहा कि बिना किसी शुल्क के बेहतर सेवा देना संभव नहीं है। उन्होंने नोटबंदी और जीएसटी जैसे सुधारों के प्रमुख कदम को बेहतर बताया और कहा कि लघु समय में यह भले ही आपको तकलीफ दे, लेकिन लंबे समय के लिहाज से यह सुधार के कदम जरूरी हैं। देश के अधिकतर राज्यों में बड़े –बड़े प्रोजेक्ट आ रहे हैं जिसमें इंफ्रा, सस्ते आवास , फर्टिलाइजर, रिनुएबल एनर्जी, ट्रांसमिशन जैसे प्रोजेक्ट हैं और यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए प्रमुख हैं।
अरुंधति ने बताया कि 60 साल में रिटायर होना काफी जल्दी होता है, इसलिए मैं अभी भी आगे बैंकिंग क्षेत्र में सक्रिय रहूंगी। किस भूमिका में रहूंगी, यह अभी कहना मुश्किल है। एसबीआई की 24 वीं चेयरमैन के रूप में सेवा निवृत्त होनेवाली अरुँधति 1977 में इस बैंक से जुड़ी थीं और करीबन 4 दशकों की यात्रा के बाद वे सेवानिवृत्त हो गई। उनके कार्यकाल में बैंक जहां दुनिया के शीर्ष 50 बैंकों की सूची में शामिल हुआ, वहीं जीएसटी और नोटबंदी जैसे प्रमुख सुधारों की भी वह चेयरमैन के रूप में गवाह रहीं तथा बैंक में 5 असोसिएट बैंकों के विलय की भी वे साक्षी रहीं।
उनके मुताबिक डिजिटल के मोर्चे पर कुछ काम बाकी रह गया है, जो भविष्य में होगा, लेकिन हमने इस मोर्चे पर अच्छा काम किया है। बता दें कि इसी हफ्ते बैंक के प्रबंध निदेशक रजनीश कुमार को बैंक का 25 वां चेयरमैन बनाया गया है और शनिवार से वे बैंक का कार्यभार संभालेंगे। चेयरमैन के रूप में उनकी प्राथमिकता क्रेडिट की वृद्धि दर और बुरे फंसों कर्जों से निपटने की है।