नई दिल्ली, (हि.स.)। नवंबर 8-9, 2016 को सरकार द्वारा नोटबंदी की घोषणा के बाद से अब तक जांच एजेंसियों को देश के अंदर फर्जी कंपनियों के काले कारनामों को लेकर लगातार खुलासे हो रहे हैं। सरकार को 13 बैंकों से ऐसी कंपनियों के बैंक खातों की जानकारियां मिली हैं, जिन्हें जांच के दायरे में लाया गया है। पहले चरण की जांच में पता चला है कि हजारों फर्जी कंपनियां अपने सैंकड़ों बैंक खातों के जरिए कालेधन के कारोबार में लिप्त थीं।
सरकार को 13 बैंकों द्वारा सौंपे बैंक खातों के आंकड़ों की जांच से पता चला कि 5800 फर्जी कंपनियों के नाम से 13 हजार 140 बैंक खाते पाए गए। ये 5800 कंपनियां, नोटबंदी के बाद जांच के दायरे में आई 2 लाख 9 हजार 32 कंपनियों में से हैं। एक कंपनी के तो 2134 बैंक खाते मिले। ऐसी कई फर्जी कंपनियां मिलीं, जिनके 300 से 900 तक बैंक खाते थे। 100 बैंक खाते वाली तो कई कंपनियां निकलीं।
जांच में पता चला कि नोटबंदी के दौरान इन कंपनियों के बैंक खातों में 4573 करोड़ रुपये जमा किए गए, वहीं इसी समय काल में 4552 करोड़ रुपए निकाले गए। जैसे एक बैंक में 429 कंपनियों के खातों में जीरो बैलेेंस था, लेकिन नोटबंदी के दौरान इन कंपनियों के बैंक खातों में करोड़ों रुपये जमा किए गए और निकाले गए। इसी तरह एक दूसरे बैंक में ऐसी 3800 से ज्यादा फर्जी कंपनियों के हजारों बैंक खातेे थे, जिनमें नोटबंदी के दौरान ही 3800 करोड़ रुपये का वित्तीय लेन-देन हुआ।
जांच एजेंसियों ने बताया कि अभी तो सिर्फ 2.5 फीसदी कंपनियों के बैंक खातों की ही जांच की गई हैं। शेष 97.5 फीसदी फर्जी कंपनियों की जांच अभी जारी है। लेकिन मात्र 2.5 फीसदी फर्जी कंपनियों की जांच से ही पता चल गया कि कितने बड़े पैमाने पर कालेधन, भ्रष्टाचार और काले धंधों का खेल चल रहा था।