ब्रेकिंग न्यूज़
मोतिहारी निवासी तीन लाख के इनामी राहुल को दिल्ली स्पेशल ब्रांच की पुलिस ने मुठभेड़ करके दबोचापूर्व केन्द्रीय कृषि कल्याणमंत्री राधामोहन सिंह का बीजेपी से पूर्वी चम्पारण से टिकट कंफर्मपूर्व केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री सांसद राधामोहन सिंह विभिन्न योजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास करेंगेभारत की राष्ट्रपति, मॉरीशस में; राष्ट्रपति रूपुन और प्रधानमंत्री जुगनाथ से मुलाकात कीकोयला सेक्टर में 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को 9 गीगावॉट से अधिक तक बढ़ाने का लक्ष्य तय कियाझारखंड को आज तीसरी वंदे भारत ट्रेन की मिली सौगातदेश की संस्कृति का प्रसार करने वाले सोशल मीडिया कंटेंट क्रिएटर को प्रधामंत्री ने संर्जक पुरस्कार से सम्मानित किया'दंगल' फेम सुहानी भटनागर की प्रेयर मीट में पहुंचीं बबीता फोगाट
बिज़नेस
कर संग्रह बढ़ाने के लिए नहीं थी नोटबंदी की जरूरत : घोष
By Deshwani | Publish Date: 14/9/2017 7:48:19 PM
कर संग्रह बढ़ाने के लिए नहीं थी नोटबंदी की जरूरत : घोष

 नयी दिल्ली। जानी-मानी अर्थशास्त्री जयंती घोष ने बड़े उद्योगपतियों को दी जाने वाली कर माफी सवाल उठाते हुये गुरूवार को कहा कि कर संग्रह और कर का दायरा बढ़ाने के लिए सरकार को नोटबंदी जैसे अर्थव्यवस्था को तबाह करने वाले कदम उठाने की जरूरत नहीं थी। 

 
घोष ने आज यहाँ संयुक्त राष्ट्र कार्यालय में अंकटाड की एक रिपोर्ट जारी करने के मौके पर कहा यदि हम नोटबंदी जैसे कदमों से घरेलू माँग को तबाह करते रहे तो कर संग्रह नहीं बढ़ सकता। उन्होंने कहा कि माँग आने से उत्पादन बढ़ता है जिससे लोगों की आमदनी बढ़ती है और अंतत: कर संग्रह बढ़ता है।
 
वित्तीय घाटा कम करने और सार्वजनिक निवेश में संतुलन के बारे में पूछे गये एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि देश में जरूरत कर नियमों को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए मजबूत और ईमानदार तंत्र की है। पहले भी हर मोबाइल फोन धारक को और विदेश यात्रा करने वाले के लिए आयकर रिटर्न भरना जरूरी था। लेकिन, कितने मोबाइल फोन धारक आयकर रिटर्न भर रहे थे। 
 
अंबानी जैसे बड़े उद्योगपतियों की कर माफी पर सवाल उठाते हुये उन्होंने कहा कि पिछले साल उद्योगों को दी गयी कर छूट सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 6.7 प्रतिशत पर रही जबकि वित्तीय घाटा इससे काफी कम रहा था। यानी सिर्फ इसी रकम से पूरे वित्तीय घाटे की भरपाई हो सकती थी। उन्होंने कहा कि देश में कर की उ‘चतम दर 30 प्रतिशत है जबकि अंबानी जैसे उद्योगपति 20 प्रतिशत कर दे रहे हैं। 
 
घोष ने कहा कि यदि सरकार चाहती तो बिना नोटबंदी के भी कर का दायरा और कर संग्रह बढ़ाया जा सकता था। यह कोई मुश्किल काम नहीं है। अंकटाड की रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि दुनिया के 10 प्रतिशत सबसे अमीर लोगों पर कर की दर पाँच प्रतिशत बढ़ा दी जाये तो एक हजार अरब डॉलर का अतिरिक्त राजस्व इससे मिल जायेगा जिसका इस्तेमाल विकास पर किया जा सकता है।
 
image
COPYRIGHT @ 2016 DESHWANI. ALL RIGHT RESERVED.DESIGN & DEVELOPED BY: 4C PLUS