ब्रेकिंग न्यूज़
मोतिहारी के केसरिया से दो गिरफ्तार, लोकलमेड कट्टा व कारतूस जब्तभारतीय तट रक्षक जहाज समुद्र पहरेदार ब्रुनेई के मुआरा बंदरगाह पर पहुंचामोतिहारी निवासी तीन लाख के इनामी राहुल को दिल्ली स्पेशल ब्रांच की पुलिस ने मुठभेड़ करके दबोचापूर्व केन्द्रीय कृषि कल्याणमंत्री राधामोहन सिंह का बीजेपी से पूर्वी चम्पारण से टिकट कंफर्मपूर्व केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री सांसद राधामोहन सिंह विभिन्न योजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास करेंगेभारत की राष्ट्रपति, मॉरीशस में; राष्ट्रपति रूपुन और प्रधानमंत्री जुगनाथ से मुलाकात कीकोयला सेक्टर में 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को 9 गीगावॉट से अधिक तक बढ़ाने का लक्ष्य तय कियाझारखंड को आज तीसरी वंदे भारत ट्रेन की मिली सौगात
बिज़नेस
ट्रंप के राज में गिर रहा है डॉलर का भाव
By Deshwani | Publish Date: 13/8/2017 2:18:40 PM
ट्रंप के राज में गिर रहा है डॉलर का भाव

 वाशिंगटन, (हि.स.)। डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर के मूल्य सूचकांक में लगभग 10 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। इससे ऐसा प्रतीत हो रहा है कि ट्रंप का आर्थिक एजेंडा पिछड़ रहा है। 

हालांकि सूचकांक पिछले साल के मुकाबले थोड़ा ही गिरा है, लेकिन इसमें पिछले साल भी गिरावट दर्ज की गई थी। लेकिन अमरीका और उत्तर कोरिया के बीच तनातनी के बीच शुक्रवार को डॉलर अपने निचले स्तर पर पहुंच गया।
 
विदित हो कि साल 2014 में डॉलर के मुकाबले यूरो काफी कमज़ोर था। ऐसा तब हुआ था जब यूरोप के केंद्रीय बैंकों ने प्रोत्साहन नीति आपनाई थी, जबकि अमरीका इससे दूरी बनाने लगा था। लेकिन अब यूरोप की अर्थव्यवस्था सुधर रही है और इमैनुएल मैक्रों के चुनाव जीतने के बाद यूरो मज़बूत हुआ है। नतीजा है कि डॉलर कमज़ोर हो रहा है। आज एक यूरो की कीमत 1.17 डॉलर से ज़्यादा है, जो पिछले साल के मुकाबले दस सेंट अधिक है।
 
यह सिर्फ यूरो के मामले नहीं है। डॉलर अन्य देशों की मुद्राएं, जैसे जापान के येन, मैक्सिको की पेसो और स्वीडेन के क्रोना के आगे भी कमज़ोर हो रहा है। इतना ही नहीं, ब्रेक्जिट के बाद ब्रिटिश पॉन्ड भी डॉलर के मुकाबले मजबूत हुआ है।
उल्लेखनीय है कि साल 2016 के अंतिम महीनों में डॉलर काफी मज़बूत था। टैक्स में कटौती और बुनियादी ढांचे में निवेश की उम्मीद के बाद ऐसा लगा था कि डॉलर की मांग बढ़ेगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
अमरीकी चुनाव में रूस के कथित हस्ताक्षेप की चल रही पड़ताल ने ट्रंप प्रशासन की मुश्किलें बढ़ा दी है। दूसरी तरफ इस सप्ताह उत्तर कोरिया और अमरीका के बीच तनातनी भी बढ़ी है।
उच्च ब्याज़ दर मजबूत अर्थव्यवस्था से जुड़ा होता है। उच्च दरें निवेश को बढ़ावा देती है, लेकिन अभी ब्याज दरें अभी काफी कम है। फेडरल रिजर्व बैंक के अध्यक्ष जनेट येलेन ने हाल ही में कहा था कि भविष्य में बेहतरी के आसार दिख रहे हैं, लेकिन ब्याज दरें फिर भी कम रहेगी।
 
image
COPYRIGHT @ 2016 DESHWANI. ALL RIGHT RESERVED.DESIGN & DEVELOPED BY: 4C PLUS