मोतिहारी का छोरा ‘अभिनव’ को सूफी गायिकी ने दिलाई अलग पहचान, संगीत की बुलंदियां छूने की हसरत
मोतिहारी। देशवाणी न्यूज नेटवर्क।
– छह साल में ही शुरू हो गया था मौशिकी का सफर, बनारस घराने से ली विधिवत तालीम
– अब तक कई मंचों पर दे चुका है अपनी प्रस्तुति, बेस्ट गायक के अवार्ड से भी सम्मानित
– हाल ही में आयोजित मोतिहारी महोत्सव में भी बटोरी बाहबाही व स्नेह की तालियां
इरादे बुलंद हों और मेहनत आपकी रगों में दौड़ती हो तो मंजिल की राह आसान हो जाती है। संगीत एक साधना है, पूजा है, इबादत है और जो जितनी तबीयत के साथ साधना करता है, उसे इसका बेहतर प्रतिसाद अवश्य मिलता है। हम बात कर रहे हैं मोतिहारी के लाल अभिनव आकर्ष की, जिसने सूफी गायिकी में अपनी अलग पहचान बनाई है। अब तक कई राष्ट्रीय स्तर के मंच से लेकर टीवी पर कई प्रोग्राम पेश कर चुके आकर्ष ने हाल ही में मोतिहारी महोत्सव में भी अपनी गायिकी से श्रोताओं के दिलोें में अमिट छाप छोड़ी। सीखने की भूख, अच्छा करने का जुनूं व अपने टैलेंट पर भरोसा करने वाले अभिनव को भरोसा है कि एक दिन वह भी गायिकी में अपना अलग मुकाम बनाएगा। सूफी के अतिरिक्त भोजपुरी लोक गीत, भजन व गजल भी सहजता से गा सकता है।
सफरनामा
अभिनव ने खेलने-कूदने की उम्र में ही अपने हाथ में हारमोनियम थाम लिया। छह साल की उम्र में शुरू हुआ यह सफर निरंतर जारी है। उसने संगीत की प्रारंभिक शिक्षा बनारस घराने के पंडित मार्कंडेय मिश्रा से ली। इसके बाद उसने क्लासिकल संगीत में भाष्कर व सुगम संगीत में प्रभाकर की डिग्री ली। हालांकि इसके साथ ही इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी चलती रही। अभिनव की पारिवारिक पृष्ठभूमि संगीत की नहीं रही। हां, माता-पिता को जरूर संगीत से लगाव था। मगर संगीत को ही जीवन मान चुके अभिनव को तो इस दिशा में काफी आगे का सफर तय करना था। उसके पिता फोटोजर्नलिस्ट अजीत वर्मा कन्हैया ने पुत्र की इस प्रतिभा को पहचाना और विधिवत संगीत की शिक्षा दिलानी आरंभ कर दी। इस बीच स्टेज प्रोग्राम भी चलता रहा। समय के साथ अभिनव की प्रतिभा और निखरती गई और आज वह गायिकी के क्षेत्र में किसी परिचय का मोहताज नहीं।
सूफी संगीत से है खास लगाव-
सूफी गायिकी के प्रति खास लगाव की वजह पूछने पर बताते हैं कि यह गायिकी शैली शुरू से ही उसे प्रभावित करती रही। समय के साथ जब सूफी रचनाओं के अर्थ समझ में आने लगे तब इसके साथ गहरा जुड़ाव हो गया। सूफी आत्मा की आवाज है, इसके अल्फाज सुकूं देते हैं। लगता है मानो आत्मा और परमात्मा के बीच सीधा संबंध कायम हो गया है। इससे मेरा रूहानी रिश्ता है। वैसे तो सूफी गायिकी मेरी प्राथमिकता है, मगर हर तरह का गाना गाना चाहता हूं। और भविष्य में खुद को प्ले बैक सिंगर के रूप में भी स्थापित करना चाहता हूं। वैसे स्टेज शो मेरा पहला प्यार रहेगा,क्योंकि लाइव परफारमेंस में आपको श्रोता-दर्शकों की प्रतिक्रिया तुरंत मिल जाती है, इससे खुद की परख में आसानी होती है।
अब तक की उपलब्धियां
– दूरदर्शन व आकाशवाणी से अनेकों प्रस्तुतियां।
– ईटीवी के कार्यक्रम फोक जलवा, महुआ चैनल व कात्यानी चैनल पर सराहनीय प्रस्तुति।
– कला, संस्कृति व युवा विभाग,बिहार सरकार द्वारा पटना में आयोजित युवा प्रतिभा खोज प्रतियोगिता, 2003 में सर्वश्रेष्ठ गायन
पुरस्कार।
– पूर्वी चंपारण जिला प्रशासन द्वारा 2003 में गायन के क्षेत्र में विशिष्ट उपलब्धियों के लिनए सर्वश्रेष्ठ गायक सम्मान।
– केसरिया महोत्सव 2012 व 13 में सूफी गायन।
– मोतिहारी महोत्सव 2015,2016 व 2017 में विशेष प्रस्तुति
– हिंदुस्तान दैनिक के जश्न ए सूफी में सराहनीय प्रस्तुति।
– मोतिहारी महोत्सव 2016 के दौरान कला संस्कृति मंत्री द्वारा सर्वश्रेष्ठ गायक अवार्ड से सम्मानित किया गया।