साहित्यिक मंचों पर विदाई गीत गाने वाले मशहूर कवि अश्विनी कुमार आंसू की अंतिम रुखसती ने सांस्कृतिक जगत को झकझोर दिया
मोतिहारी। साहित्यिक मंचों पर विदाई गीत गाने वाले मशहूर कवि अश्विनी कुमार 'आंसू' की अंतिम विदाई ने सांस्कृतिक जगत को झकझोर दिया। वैसे तो इस गीतकार के सभी रचनाएं अनमोल हैं। लिहाजा उनकी विदाई गीत लोगों को आंदोलित व भावुक कर देने वाली है। जब वे इस गीत को गाकर श्रोताओं को सुनाते तो नपे-तुले लय में उनकी मखमली आवाज श्रोतोओं का बहुत रिझाती थी। बार-बार सुनने के बाद भी मन नहीं भरता था। और आज उन्होंने दुनिया को अलविदा कहकर अपने श्रोताओं को गमगीन कर दिया। आंखरी सलाम याद रखना।। आंखरी आंखरी।।
उनके चाहने वालों का मानना है कि वे अपनी रचनाओं के माध्यम से उनके चाहने वालों के दिलों दिमाग में हमेशा जीवित रहेंगे।
मशहूर यशस्वी कवि एवं सुमधुर गीतकार अश्विनी कुमार "आंसू " ने शुक्रवार को अंतिम सांसे लीं। वे 78 वर्ष के थे। पिछले कई दिनों से वे बीमार चल रहे थे। उनका निधन पूर्वी चंपारण के सुगौली के पास उनके पैतृक गांव सुगांव में आज सुबह हुआ। जिस साहत्यिक मंचों पर अश्विनी कुमार आंसू की मौजूदगी रहती थी। उस साहित्यिक आयोजनों के श्रोता उस कार्यक्रम के अंत तक इंतजार इसलिए करते कि कवि आंसू के विदाई गीत वे जरूर सुन सके। आज उनकी दुनिया से हुई विदाई ने साहित्यिक जगत को झकझोर दिया।
वे वस्तुत: चंपारण की एक साहित्यिक निधि थे और उनके निधन से चंपारण ने अपनी एक मूल्यवान साहित्यिक संपदा को खो दिया है। आंसू अपनी रचना "निलही कोठी " "निरालय"और भोजपुरी गद्य-पद्य संग्रह के लिए विशेष रूप से जाने जाते हैं। वे चंपारण भोजपुरी साहित्य परिषद के मंत्री भी रह चुके हैं।
वे अपने पीछे चार पुत्रों और कई पौत्र-पौत्रियो से भरापूरा परिवार छोड़ गए हैं। उनके निधन पर प्रो. डॉ. शोभाकांत चौधरी, प्रो. राम निरंजन पांडेय, डॉ .अरुण कुमार, अशोक कुमार "राकेश", डॉ. सुरेश चंद्र प्रसाद, संजय पांडेय, हिन्दुस्तन हिन्दी के स्थानीया प्रबंधक सुजीत कुमार सिंह, एलआईसी डीओ अनिल कुमार वर्मा, म्यूजिशियन रंजन सहाय, रामचन्द्र साह ब्यास, तबला वादक कुंदन वत्स, अभय अनंत व लोक गीत गायक प्रमोद कुमार दुबे व संजय उपाध्याय सहित दर्जनों बुद्धिजीवियों ने गहरी संवेदना प्रकट की है और दिवंगत आत्मा की शांति एवं सद्गगति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की है।