कौन हैं रवि सर? जिनके मोतिहारी में चांदमारी स्थित The Times English नामक संस्थान से जुड़ गये हैं हजारों छात्र
मोतिहारी। कौन हैं रवि सर? जिसने हाल ही में शुरू किए गए The Times English के classes से जुड़ गए हैं, हजारों छात्र। छात्र-छात्राएं तो उनकी पढ़ाई के मुरीद हैँ ही। जिले के कई कन्वेंट स्कूल के मैनेजमेंट भी इनसे बेहद प्रभावित रहते हैं। यही सब जानने को सभी उत्सुक हैँ।
यह भी कि इनकी शख्सियत में कौन सी खूबी है? इनकी पर्सनाल्टी जिले में संचालित अधिकांश लिडिंग प्राइवेट स्कूल के मैनेजमेंट को भा जाती है। अधिकांश स्कूलवाले चाहते हैं कि रवि सर उनके स्कूल में भी कम-से-कम एक-दो पिरियड इंग्लिस वर्ग को दें। लिहाजा वे अभी एमपीएस में समय दे रहे हैं और अपने द टाइम्स इंग्लिस को भी। तो उनके पास समय का काफी आभाव है।
यही सबकुछ जानने को देशवाणी अखबार के सीनियर कोरेस्पोंडेंट राज रौशन ने चांदमारी स्थित द टाइम्स इंग्लिश नामक इंस्टि्यूट का रूख किया। यह इंस्टिट्यूट चांदमारी चौक से रामशरण द्वार होते हुए मॉडर्न पब्लिक स्कूल के पास संचालित है। माडर्न पब्लिक स्कूल के गेट के पास ही ठीक दक्षिण की तरफ जा रही सड़क में अवस्थित तीन चार मकान आगे एक विल्डिंग के प्रथम तल्ले पर The times english classes स्थित है।
देशवाणी कॉरेस्पोंडेंट जब इंटस्टिट्यूट के सामने पहुंचे तो वहां का गजब का मंजर देखने को मिला। सैकड़ों छात्र द टाइम्स इंग्लिस के गेट पर अपने क्लास की बारी आने का इंतजार कर रहे हैं। एक छात्र ने देशवाणी को बताया कि रवि सर एक वर्ग में ज्यादा बच्चों को बैठने की इजाजत नहीं देते। लिहाजा क्लास रूम में बच्चें खचाखच भरे थें और कई छात्र क्लास रूम के गेट पर पर बैठकर पढाई कर रहे थे।
द टाइम्स इंग्लिस के रवि सर का पूरा नाम रवि रौशन सिंह है। वे केसरिया थाना क्षेत्र कढ़ान गांव निवासी मशहूर गायक सह व्यास गंगानाथ सिंह के सुपुत्र हैं। इनके पिता श्री सिंह ने मोतिहारी चीनी मिल के सीनियर सुपरवाइजर पद से अवकाश प्राप्त किया है। श्री सिंह ने अपनी देख-रेख में अपने बच्चों की पढ़ाई करायी है।
रवि सर ने बताया कि उनके पिताजी आघ्यात्मिक विचारधारा के व्यक्ति हैं। यहीं कारण है कि अपने पिताजी की देखरेख में उन्होंने रामायण और भगवत गीता की पढ़ाई में विशेष रुचि रही। तो उन्होंने अंग्रेजी में भगवत गीता को आत्मसात कर लिया। जिससे उन्हें हिन्दी, संस्कृत व अंग्रेजी पर पकड़ मजबूत होती गयी ही। उनके व्यक्तित्व के विकास में भी काफी सहायता मिली। जो अभी भी निरंतर जारी है।