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बच्चों को है मानसिक व भावनात्मक समर्थन की आवश्यकता
By Deshwani | Publish Date: 17/1/2023 10:22:48 PM
बच्चों को है मानसिक व भावनात्मक समर्थन की आवश्यकता

डॉ के आर रंजन।
मोतिहारी। जिले के एलएनडी कॉलेज में राष्ट्रीय सेवा योजना के सौजन्य से मंगलवार को पाक्सो जागरूकता पर बेविनार का आयोजन किया गया। ज्ञातव्य हो कि यह बेविनार भारत सरकार युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय, युवा मामले के राष्ट्रीय सेवा योजना निदेशालय के निर्देशानुसार साक्षी द्वारा संपन्न हुआ।
 
महिलाओं और बच्चों के खिलाफ यौन हिंसा की रोकथाम व जागरूकता के प्रयोजन से 1992 में स्थापित साक्षी एक क्षमता निर्माण करनेवाला गैर-सरकारी संगठन है। यह भारत में बाल यौन शोषण को रोकने के लिए एनएसएस स्वयंसेवकों के साथ कार्यशाला आयोजित करती है। द रक्षिन प्रोजेक्ट के तहत आहूत कार्यशाला एक यूथ लीड मूवमेंट है। कार्यक्रम का संचालन करते हुए एनएसएस पीओ प्रो.अरविंद कुमार ने तकनीकी सहयोग प्रदान किया।
 
प्राचार्य प्रो.(डॉ.) अरुण कुमार ने बेविनार के प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि संविधान में प्रदत्त लैंगिक समानता की स्थापना हेतु धरातल पर लोगों की संवेदनशीलता अत्यावश्यक है। उन्होंने कहा कि यदि कोई व्यक्ति खुद हिंसक व्यवहार करता है तो उसे दूसरों से अहिंसक व्यवहार की कल्पना नहीं करनी चाहिए।
 
 
       साक्षी की रिसोर्स पर्सन डॉ.सुंबुल दाउद ने फिल्म, एनिमेशन व शॉर्ट वीडियो आदि द्वारा लैंगिक हिंसा को समझाते हुए उनके रोकथाम को रेखांकित की। यौन हिंसा केवल बालिकाओं के साथ ही नहीं होती है बल्कि यह बालकों के साथ भी हो सकता है। बच्चे व बच्चियां कई बार अपने साथ हुए यौन दुर्व्यवहार को  शर्म व सामाजिक कलंक के कारण मौन रहकर साझा नहीं करते हुए इनकार कर देते हैं। ऐसी स्थिति में उनके मनोबल पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
 
 
ऐसे पीड़ितों को समाज से भौतिक, मानसिक, भावनात्मक व आध्यात्मिक समर्थन की आवश्यकता पड़ती है। इसके उपचार के लिए उनकी मनोवैज्ञानिक सबलता आवश्यक है। आज चाइल्ड पोर्नोग्राफी, साईबर क्राइम, साईबर बुलिंग द्वारा भी बच्चों को सेक्सुअली एब्यूज किया जा रहा है इन स्थितियों में एब्यूजर की पहचान कर भावी नैनिहालों को शोषणमुक्त किया जाय।
 
 
उन्होंने समावेशी समानता पर विस्तृत प्रकाश डालते हुए शिक्षा व अधिकारों के आधार पर बच्चों के लिए सुरक्षित वातावरण बनाने का सुझाव दिया। उन्होंने रक्षिन प्रतिभागियों का क्षमता वर्धन करते हुए उन्हें संघर्ष, लैंगिक हिंसा और संघर्ष की स्थितियों में बाल अधिकारों के सम्मान के लिए संवेदनशील बना दिया। डॉ.सुंबुल दाउद ने जनहित याचिका द्वारा किशोर न्याय अधिनियम, यौन उत्पीड़न अधिनियम, विविधता और समावेशिता, लिंग और यौन अधिकार, मानसिक स्वास्थ्य, स्वच्छता व शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व जैसे मूल्यों को रेखांकित कर प्रतिभागियों का ज्ञानवर्धन किया।
 
 
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग, पोक्सो कंप्लेन बॉक्स, टोल फ्री दुरभाष संख्या, न्यायालय में ऑनकैमरा प्रोसिडिंग में बाल यौन हिंसा के मामले की बाल मित्रवत सुनवाई जैसे सरकारी तंत्र भी बाल अधिकारों की रक्षा के लिए तत्पर हैं। मीडिया प्रभारी डॉ. कुमार राकेश रंजन ने संवाद प्रेषित करते हुए कहा कि इस ऑनलाइन बेविनार में साक्षी की डॉ.रूपाली फूले,  शिक्षकों की ओर से डॉ.पिनाकी लाहा, डॉ. सर्वेश दूबे,  डॉ.राधेश्याम, डॉ.नीरज कुमार व स्वयंसेवियों की ओर सुप्रिया, सलोनी वत्स, अंशिका अनुरंजिनी, शिवानी, अंजलि, पूजा, शिवम्, आदर्श, हिमांशु, कमलेश, संदीप सहित काफी संख्या में एनएसएस स्वयंसेवक व विद्यार्थी जुड़े थे।
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