रक्सौल बड़ी मस्जीद के इमाम मो. जैद ने कहा- रमजान का महीना शब्र और हमदर्दी का महीना होता है
रक्सौल। अनिल कुमार। रमजान का महीना शब्र और हमदर्दी का महीना होता है। रोजा हमे, अपने गांव और मोहल्ले में रहने वाले गरीब लोगों के भूख और दर्द का एहसास दिलाता है। उक्त बातें रक्सौल बड़ी मस्जीद के इमाम मो. जैद ने शुक्रवार को अलवीदा जुमा के नमाज के दौरान नामाजियों को संबोधित करते हुए कहीं। रमजान का रोजा हमे यह सबक देता है कि भूखों का ख्याल रखा जाये और जरूरतमंदो की मदद की जाये। मो. जैद ने बताया कि रमजान का महिना पाक महिना होता है।
इस महिने नेकी का फल 70 गुना अधिक मिलता है। इस महिने में नेकियो की किमत बढ़ जाती है। इसके साथ ही अतिरिक्त नमाज का फर्ज शबाब के फर्ज के बराबर दिया जाता है।साथ ही, उन्होंने बताया कि रमजान के अंतिम जुमे की नमाज के साथ ही अपने मुल्क हिंदूस्तान के साथ-साथ पूरे विश्व में अमन और शांती की दुआ की गयी है। इंसानियत के लिए अमन का पैगाम दिया गया है।सबकी सलामती के लिए दुआ की गयी है। आपसी भाईचारे के साथ आगामी ईद का त्योहार मनाने की भी अपील की गयी।इधर, अलविदा जुमा की नमाज को लेकर रक्सौल में प्रशासनिक तैयारी काफी चुस्त दुरूस्त थी।
दंडाधिकारी के रूप में अंचलाधिकारी विजय कुमार, इंस्पेक्टर शशिभूषण ठाकुर सशस्त्र बल के साथ मौजूद थे।जबकि नमाज की तैयारियों को लेकर मस्जीद कमिटी के सदस्य शुक्रवार की सुबह से ही लगे हुये थे। नमाज की व्यवस्था करने में कमिटी के अध्यक्ष मो. हाजी अकिल अहमद, उपाध्यक्ष मो. शमीम अहमद, सचिव डॉ मसिउल्लाह, कोषाध्यक्ष नेयाज अहमद उर्फ सोनू, सौहेल अहमद, मो. असरफ आलम, अलाउदिन आलम, इरशाद अहमद, नायाब आलम, मो. शमसुदिन आलम सहित अन्य की भूमिका सराहनीय रही।