हमेशा फोन करके अपने जुनियर्स का हालचाल जानने वाले अंग्रेजी के विद्वान पत्रकार आरएन सिन्हा का अचानक जाना सबको मर्माहत कर गया
पटना। निखिल कुमार सिंह।
अंग्रेजी के वरिष्ठ पत्रकार व एमएमटी प्रयास के संस्थापक सदस्य राजेश नारायण सिन्हा का अचानक इस दुनिया से चले जाने की दुखद खबर पर किसी को विश्वास नहीं हो रहा है। कोई कह रहा है कि तीन-चार दिन पहले ही तो उन्होंने फोन करके हमारा हाल-चाल पूछा था। तो कोई यह कि वे फलां तारीख को मेरे निवास पर यह कहते हुए आए थे कि आपके घर के बगल में आया था तो आपसे मिलना जरूरी था।
उनके निधन से लोग काफी मर्माहत हैं। पत्रकारों का कहना है कि दो-चार दिनों पर हमेशा फोन करके कुशल-क्षेम पूछने वाले जिले के जर्नलिस्ट्स के वरिष्ठ अभिभावक व अंग्रेजी के विद्वान पत्रकार उन्होंने खो दिए। यह एक ऐसी दुख:द घटना है जिसकी क्षतिपूर्ति संभव नहीं है।
श्री सिन्हा ने पटना के पारस अस्पताल में मंगलवार को अंतिम सांसें लीं। श्री राजेश नारायण सिन्हा एक जमींदार परिवार से आते थे। वे पूर्वी चम्पारण में पताही स्थित बखरी गांव के मूल निवासी थे। जिला मुख्यालय मोतिहारी के भवानीपुर जिरात में अपने एकलौते पुत्र पंकज कुमार (बबुआजी) व धर्मपत्नी के साथ साथ निवास करते थे। उनकी एकलौती सुपुत्री की शादी गुजरात में हुई है। कुछ ही दिनों में उनके पुत्र पंकज की भी शादी होने वाली थी। इसके पूर्व ही यह दुखद व असहनीय घटना घटित हो गई।
एलएनडी कॉलेज, मोतिहारी के ऑफिस सुपरिटेंडेंट डॉ भुवनेश्वर सिंह ने देशवाणी प्रतिनिधि को बताया कि वे सुगर व हर्ट की दवाइयां लेते थें। लिहाजा काफी संयमित जीवन जीते थे। बीते 25 दिसंबर को उन्हें चेहरे पर पैरालाइसिंस का अनुभव हुआ था। तब उन्हें शहर के ही त्रिभुवन नर्सिंग होम में ले जाया गया। लेकिन यहां पर चिकित्सक मौजूद नहीं थे। जिससे उन्हें आरसी होस्पिटल में भर्ती कराया गया। वहां से ठीक होकर वे घर आ गए थे।
लेकिन फिर दूसरे दिन यानी 26 दिसंबर को उन्हें परेशानी का अनुभव हुआ तो उन्हें पटना के पारस होस्पिटल में भर्ती कराया गया। उनकी तबीयत खराब होने की सूचना पर गुजरात से उनके सुपुत्री व दामाद पटना पहुंच गए थे।
पारस हॉस्पिटल में इलाज के दौरान ही मंगलवार की सुबह वे जीवन से जंग हार गए। उनके निधन की खबर मोतिहारी आई तो किसी को विश्वास नहीं हो रहा था। लोग कह रहे थे कि ऐसा नहीं हो सकता।
श्री सिन्हा का स्मरणीय कार्य-
वे लोक अदालत के भी सदस्य रह चुके थे। उन्होंने 'द हिंदुस्तान टाइटम्स' व 'द टेलीग्राफ' में जिला प्रतिनिधि के रूप में कार्य किया। इस दौरान उन्होंने रिपोर्टिंग में अपनी उत्कृष्ट लेखनी दक्षता का प्रदर्शन किया।
कई विषयों पर लिखी उनकी कई स्टोरी हमेशा चर्चा में रहती है। थंब इंप्रेशन व जॉर्ज ऑरवेल पर उन्होंने ही स्टोरी ब्रेक की थी। इस तरह की कई स्टोरी लोगों की जुबान पर रहती हैं। फिलहाल वे 'हिन्दुस्थान समाचार' न्यूज एजेंसी के लिए काम कर रहे थें।
'हिन्दुस्तान' हिन्दी दैनिक के मोतिहारी स्थित जिला कार्यालय के स्थानीय प्रबंधक सुजीत कुमार सिंह ने एक घटना का जिक्र करते हुए बताया कि कुछ वर्ष पहले मोतिहारी में अंग्रेजी लेखक जॉर्ज आरवेल पर एक पत्रकारवार्ता आयोजित थी। जिसमें शामिल होने के लिए बिहार सरकार के तात्कालीन विभागीय सचिव भी आए थे। सचिव ने वरिष्ठ पत्रकार श्री सिन्हा को वार्ता अनुपस्थित देख, मौजूद पत्रकारों से आश्चर्यचकित होकर पूछा था- अरे़ भाई! श्री राजेश सिन्हाजी इस विशेष पत्रकारवार्ता में नहीं दिख रहे। जिन्होंने जॉर्ज ऑरवेल पर बेहद खोजपूर्ण रिपोर्टिंग की हैं।
अपनापन के साथ व्यवहार कुशलता-
उनसे बात करने वाले पत्रकारों को लगता था कि वे अपने सगे बड़े भाई से ही बात कर रहे हों। वे अपने शुभेच्छुओं से दिखावा न करते हुए उन्हें दिल से मानने थे। यही कारण है कि तीन-से-चार दिनों तब भेंट नहीं होने पर वे फोन करके कुशल-क्षेम जरूर पूछते।
इतना ही नहीं, फोन से बात नहीं होने अपने चाहने वालों के निवास पर खुद पहुंचते। चाहे वह उनसे जुनियर ही क्यों न हो।
दैनिक जागरण हिन्दी दैनिक अखबार के पूर्वी चम्पारण जिला प्रभारी अनिल तिवारी का कहना है कि श्री सिन्हा ने सीनियर व जुनियर पत्रकारों में कभी भेद नहीं किया। जूनियर पत्रकार भी कभी उन्हें अपने किसी छोटे समारोह में भी अपने घर आने का निमंत्रण दिया तो वे वहां जरूर पहुंचते।
अपने तो मीठी चीजें नहीं खाते लेकिन उनके घर पहुंचने पर अपने हाथों से फल काटकर या उपलब्ध रहने पर मिष्टान्न जरूर खिलाते थे।
शोक संवेदनाओं का तांता-
उनके निधन को सांसद सह पूर्व केंद्रीय मंत्री राधामोहन सिंह, विधि मंत्री प्रमोद कुमार व ढाका के पूर्व विधायक अवनीश कुमार सिंह ने अपूरणीय क्षति बताई है। एमएमटी प्रयास के अध्यक्ष सह वरिष्ठ चिकित्सक बिहार के मशहूर सर्जन डा. आशुतोष शरण, जानेमाने हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ प्रभात प्रभात प्रकाश व डॉ मणिशंकर मिश्र ने गहरी संवेदना व्यक्त की है।
श्री सिन्हा के अचानक इस दुनिया रुखसत हो जाने को वरिष्ठ फोटो जर्नलिस्ट इम्तेयाज अहमद ने अपनी व्यक्तिगत क्षति बताई है। उन्होंने कहा है कि श्री सिन्हा से उनका पारिवारिक व गहरा लगाव था। वे पत्रकारिता व रिपोर्टिंग इतनी परफेक्ट करते व यह ध्यान रखते कि विषय-वस्तु का कोई पहलू अधूरा न रह जाए। इसीलिए श्री सिन्हा उनसे रिपोर्टिंग की संबंधित सबजेक्ट्स के छाया-चित्रों की मांग अक्सर किया करते थे। बताया कि अभी कुछ ही दिनों पहले उन्होंने कुछ पुरानी तस्वीरें मांगी थीं। लेकिन फिलहाल दिल्ली प्रवास के कारण उन्हें फोटो मुहैया नहीं करा सका। जिसका श्री अहमद को काफी अफसोस है।
उनके निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त करनेवालों में पत्रकार चंद्रभूषण पाण्डेय, प्रभात खबर हिन्दी दैनिक पटना के पूर्व स्थानीय संपादक सह बीबीसी के झारखंड रिपोर्टर रवि प्रकाश, संजय ठाकुर, संजय कौशिक, विद्वान अधिवक्ता सह पत्रकार रमाकांत पाण्डेय, विनय परिहार, सच्चिदानंद सत्यार्थी, संजय पाण्डेय, अरुण तिवारी, सचिन पाण्डेय, संजय कुमार सिंह, मुक्ति सिंह, छायाकार अजीत कुमार कन्हैया, सामाजिक कार्यकर्ता श्रीमती नीता शर्मा, सांस्कृतिकर्मी सह एलआइसी के पदाधिकारी अनिल वर्मा, जानेमाने म्यूजिशियन रंजन सहाय, दबलावादक सह संगीत शिक्षक कुंदन वत्स, लोगगीत सह पूरबी गायक प्रमोद दुबे, दीपक कुमार, गायक गंगानाथ सिंह, बनारस घराने के गायक अनुराग मिश्र, सिटीजन फोरम आफ मोतिहारी के अध्यक्ष वीरेंद्र जालान, लोक गायिका नीतू कुमारी, रामभजन, बिंटी शर्मा, अभय अनंत, प्रशांत जयसवाल, अंकुर कुमार, शशिभूषण कुमार, पूर्व वार्ड पार्षद विनोद श्रीवास्तव, रविशंकर वर्मा, उद्यो सिंह, नसीम अहमद, अजीत कुशवाहा, डा. राजेश कुमार श्रीवास्तव, जदयू नेता डा. दीपक कुमार, उदय नारायण सिंह, वैद्यनाथ सिंह, रामनाथ सिंह, डॉ. संजय कुमार, मनीष सिंह, राजनारायण कुशवाहा व अनिल श्रीवास्तव सहित अनेक गण्यमान्य लोग हैं।