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रंगमंच के नामचीन कलाकार, पूर्व एमएलसी हाइकोर्ट के अधिवक्ता रामजी शर्मा अब नहीं रहें, मोतिहारी के बैरिया में अंतिम सांसें लीं
By Deshwani | Publish Date: 30/10/2021 11:44:56 PM
रंगमंच के नामचीन कलाकार, पूर्व एमएलसी हाइकोर्ट के अधिवक्ता रामजी शर्मा अब नहीं रहें, मोतिहारी के बैरिया में अंतिम सांसें लीं

पूर्व एमलएसी रामजी प्रसाद शर्मा की फाइल फोटो।

मोतिहारी। संजय पाण्डेय की रिपोर्ट। पूर्व मुखिया, सह विधानपरिषद सदस्य व पटना हाईकोर्ट के अधिवक्ता एवं राजनीति के प्रखर नेता रामजी प्रसाद शर्मा का निधन हो गया। श्री शर्मा का निधन बैरिया बाजार स्थित उनके पैतृक निवास पर शनिवार की दोपहर में हुई। वे लम्बे समय से बीमार थें। 

इनके निधन की खबर पूरे जिले में तेजी से फैल गई। जहां उनके अंतित दर्शन को शुभचिन्तकों भीड़ जमा हो गई। बताते हैं कि श्री रामजी प्रसाद शर्मा जी समाजिक रंगमंच के एक अच्छे कलाकार रहते हुए शंकर सरैया पंचायत के सम्मानित मुखिया रहें। उपरांत इसके राजनीतिक क्षेत्र में उन्होंने काफी रुचि रखीं। और 1990 के पहले मोतिहारी विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार बनकर कुर्सी छाप चुनाव चिन्ह पर चुनाव लडें । इनके राजनीति के संघर्षमय यात्रा को देख राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने अपने दल में शामिल किया। उन्हें राजद कोटा से बिहार विधानपरिषद सदस्य की जिम्मेदारी मिली। उक्त पद का कर्तव्य उन्होंने निष्ठापूर्वक उन्होंने निर्वाहन किया था।

 

उन्होंने अपने राजनीति काल में क्षेत्र के 10 दर्जन युवाओं के राजनीति गुरु बनें। इनके राजनीति शिष्यों में कई जिला परिषद सदस्य व विधायक भी बनें। अलावे इसके कई शिष्य ने पंचायत व प्रखंड के जनप्रतिनिधि बने हुए हैं। इनके निधन पर सैकड़ो लोगों ने गहरा शोक व्यक्त किया है।

 

 

चंपारण के कला- क्षितिज पर देदीप्यमान रंगमंच की दुनिया का सशक्त नाम, सुविख्यात अभिनेता व पूर्व एमएलसी रामजी प्रसाद शर्मा आज सांसारिक लोक छोड़ परलोक की अनंत यात्रा पर निकल गए।

श्री शर्मा पिछले कुछ दिनों से कैंसर रोग से ग्रसित थे। दिल्ली में उनका इलाज हुआ।

आज वे जिंदगी की जंग हार गए। अपने पैतृक गांव बैरिया स्थित निवास पर आज दोपहर 2:50 बजे उन्होंने अंतिम सांसें लीं। सांवला रंग, खादी का चमचमाता कुर्ता-पायजामा के शौकीन, मृदुभाषी, सभ्य, शालीन तथा बहुआयामी व्यक्तित्व से लबरेज श्री शर्मा का किसी से मिलने का अंदाज बेहद निराला था। वे  ऐसी आत्मीयता व आदर से मिलते कि सामने वाला उनका मुरीद हो जाता था।  

श्री रामजी शर्मा की रंगमंच व साहित्यिक यात्रा-

  संजय पाण्डेय की रिपोर्ट। रंगमंच जीवन व अभिनय यात्रा की शुरुआत उन्होंने महज आठ वर्ष की उम्र (वर्ष 1965 - 66) से ही तुरकौलिया उच्च विद्यालय में मंचित ऐतिहासिक नाटक 'कुणाल की आंखें' से की थी। शहर के मुंशी सिंह कालेज में वर्ष 1979 - 80 के दौरान अखिल भारतीय साहित्य सम्मेलन में 'बेखबर जी का बिआह' नामक नाटक में सेठ का किरदार निभाया।

 

वर्ष 1983 में तात्कालीन सिकरहना अनुमंडल पदाधिकारी एसएस मुसहरी लिखित नाटक 'दूसरा कैंसर' में एक भ्रष्ट इंजीनियर की भूमिका निभा, सुर्खियां बटोरी। चर्चित नाटक 'थैंक्यू मिस्टर गेलार्ड' में अंग्रेज की दमदार भूमिका के लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है। मुंशी प्रेमचंद लिखित चर्चित नाटक ' कफन' में उन्होंने जमींदार की सशक्त भूमिका निभा कला समीक्षकों को अपनी ओर आकर्षित किया। क़रीब पच्चीस वर्ष पहले शंकर सरैया मध्य विद्यालय परिसर में मंचित नाटक 'कफन' में उनके साथ अभिनय का अवसर मिला।

 

एक सशक्त अभिनेता के तौर पर बचपन से उनका नाम सुनता आया था। जमींदार के रौबीले अंदाज व उनकी भाव- भंगिमाएं मानस पटल पर आज भी अंकित हैं। कला,संस्कृति एवं युवा विभाग (बिहार ) तथा जिला प्रशासन, पूर्वी चंपारण के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित 'केसरिया महोत्सव - 2016' की स्मारिका में मैं संपादक के तौर पर कार्य कर रहा था। उस स्मारिका के लिए मैं अपना आलेख 'नाट्य परंपरा का इतिहास और चंपारण' (चंपारण का नाट्य इतिहास) लिख रहा था। आलेख श्री रामजी शर्मा के बगैर पूरा नहीं हो सकता था। समय लेकर मैं बैरिया स्थित उनके आवास पर गया। जहां उनके रंगमंच जीवन के अलावा उनके दौर में प्रदर्श कला की स्थिति, संसाधन, वातावरण आदि विषयों पर सविस्तार चर्चा हुई। बात करते - करते श्री शर्मा अतीत की गहरी यादों में खो गए थे... उन्होंने कहा कि उनके ज़माने में मुख्यत: पौराणिक, धार्मिक व ऐतिहासिक नाटकों का मंचन होता था। तुरकौलिया बाजार में दो से तीन दिनों तक लगातार नाटक होते थे।

उन्होंने बताया कि दौर में चूंकि टेंट- शामियानें उपलब्ध नहीं थे। लोग अपने-अपने घरों से बोरा-चट्टी लेकर आते और बैठकर नाटक का भरपूर आनंद लेते थे। अपनी अभिनय यात्रा के बारे में उन्होंने बताया कि तुरकौलिया के छोटे-छोटे मंच से सफर की शुरुआत हुई। फिर सूबे के दूसरे जिलों में विभिन्न नाट्य मंच से जुड़ें। कालान्तर में मोतिहारी के प्रमुख रंगकर्मियों से उनका जुड़ाव होता रहा। अभिनय का यह सफर निर्बाध गति से अनवरत जारी रहा....

आज आपके निधन की खबर से स्तब्ध हूं..नि: शब्द हूं...

 उर्दू के मशहूर शायर अहमद फ़राज़ की चंद पंक्तियां आपको समर्पित है-:

    एक समंदर मेरी आंखों में बसा करता है...!!

 जब तेरा दर्द मेरे साथ वफ़ा करता है '

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' सुना है लोग उसे आंख भर के देखते हैं

सो उसके शहर में कुछ दिन ठहर के देखते हैं

 

   अलविदा उस्ताद ---

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