ब्रेकिंग न्यूज़
मोतिहारी के केसरिया से दो गिरफ्तार, लोकलमेड कट्टा व कारतूस जब्तभारतीय तट रक्षक जहाज समुद्र पहरेदार ब्रुनेई के मुआरा बंदरगाह पर पहुंचामोतिहारी निवासी तीन लाख के इनामी राहुल को दिल्ली स्पेशल ब्रांच की पुलिस ने मुठभेड़ करके दबोचापूर्व केन्द्रीय कृषि कल्याणमंत्री राधामोहन सिंह का बीजेपी से पूर्वी चम्पारण से टिकट कंफर्मपूर्व केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री सांसद राधामोहन सिंह विभिन्न योजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास करेंगेभारत की राष्ट्रपति, मॉरीशस में; राष्ट्रपति रूपुन और प्रधानमंत्री जुगनाथ से मुलाकात कीकोयला सेक्टर में 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को 9 गीगावॉट से अधिक तक बढ़ाने का लक्ष्य तय कियाझारखंड को आज तीसरी वंदे भारत ट्रेन की मिली सौगात
बिहार
गन्ना का दाम 5 सौ रुपए प्रति क्विंटल किया जाय: प्रभुराज नरायण राव
By Deshwani | Publish Date: 30/9/2021 8:02:42 PM
गन्ना का दाम 5 सौ रुपए प्रति क्विंटल किया जाय: प्रभुराज नरायण राव

बेतिया। हृदयानन्द सिंह यादव। बिहार राज्य ईख उत्पादक संघ के महासचिव प्रभुराज नारायण राव ने कहा कि बिहार के गन्ना मंत्री प्रमोद कुमार द्वारा पश्चिम चंपारण के भ्रमण के क्रम में सूखे हुए गन्ने का हर्जाना पोर्टल के माध्यम से देने की बात कही गई । लेकिन गन्ना मंत्री प्रमोद कुमार को पता है कि बिहार में सबसे ज्यादा गन्ना की खेती पश्चिम चंपारण में होता है । आज भी यहां पांच चीनी मिलें चल रही हैं । जो बिहार के 10 चीनी मिले जो चालू हैं , उसका आधा हिस्सा पश्चिम चंपारण में ही है। 

         



19 चीनी मिल बिहार की जो बंद है । उसमें पश्चिम चंपारण का एक चीनी मिल चनपटिया भी बंद है । हम कहना चाहते हैं कि बिहार के गन्ना मंत्री आप किसानों के खेती में लागत को ध्यान में रखते हुए एस ए पी के द्वारा यानी राज्य सरकार के द्वारा समर्थित दर देकर गन्ना का मूल्य बिहार में पाँच सौ रुपया प्रति क्विंटल दें । ताकि बिहार में गन्ने की खेती करने वाले किसान को थोड़ी राहत मिले। 





अगर आप ऐसा नहीं करते तो बहुत साफ बात है कि बिहार के किसानों के साथ भी वैसा ही व्यवहार बिहार सरकार कर रही है जैसा कि केंद्र की मोदी सरकार किसान विरोधी काला कानून लाकर देश के किसानों के साथ कर रही है । जिसके विरोध में आज दिल्ली के सभी बॉर्डर पर पिछले 10 महीने से किसान धरना दे रहे हैं और किसानों की साफ-साफ मांग है कि जब तक इस किसान विरोधी तीनों काले कानूनों की वापसी नहीं हो जाती और एमएसपी को कानूनी दर्जा नहीं दिया जाता , तब तक बॉर्डर से किसानों की वापसी संभव नहीं है । हमने भी देखा है पिछले 27 सितंबर को भारत बंद के अवसर पर पूरे बिहार में किसानों के द्वारा ऐतिहासिक  बिहार बन्द करके , खासकर चंपारण में अभूतपूर्व  बंद करके बिहार सरकार को बता दिया है कि आप किसानों की समस्याओं पर ध्यान दो।  किसानों को एमएसपी के आधार पर गेहूं , धान एवं गन्ना का दाम दिया जाए । जबकि यह सर्व  विदित है कि बिहार के 99% किसानों को इसका लाभ नहीं दिया जाता है। जो किसानों के साथ बे इंसाफी है । किसानों का लूट है ।
       



इसलिए बिहार के मुख्यमंत्री और गन्ना मंत्री से हम मांग करते हैं कि आप नए सिरे से बिहार के किसानों के समस्याओं का आकलन करें और सरकार के द्वारा निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य एमएसपी बिहार के सभी छोटे बड़े किसानों को देने की गारंटी करें। 




दूसरी बात हम करना चाहते हैं कि पिछले चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि किसानों को 2022 तक फसल का दाम दुगुना कर दिया जाएगा ।  लेकिन दुख के साथ कहना पड़ता है कि 2022 आने वाला है । लेकिन किसानों का फसल लगा पाना संभव नहीं हो पा रहा है।  खेती बहुत ही महंगी हो गई है और देश के बड़े उद्योगपति जो खाद और दूसरे कृषि  योकार्मो को बनाते हैं , वह अपने सामानों को बहुत महंगे दामों पर किसानों के बीच दे रहे हैं।  इस साल डीएपी खाद का दाम 1200 रुपए बोरी से बढ़कर उन्नीस सौ रुपया कर दिया गया । जिसका देशभर के किसानों ने विरोध किया । कहां तो मोदी सरकार को खाद की बड़ी हुई दर को कम करने या उसका उचित दर करने की जरूरत थी।  तो उस स्थान पर किसानों और देश की जनता कि जो पैसे टेक्स  के जरिए सरकार के पास पहुंचा है । उस पैसे को देश के खाद बनाने वाले उद्योगपतियों को बड़े हुए दर के आधार पर दे दिया गया । 900 प्रति 50 केजी के बोरी पर बढ़ोतरी और जनता के पैसे से सरकार द्वारा उसका  भरपाया । यह किसान हित की नहीं बल्कि कॉर्पोरेट और उद्योगपतियों के प्रति समर्पित है।
image
COPYRIGHT @ 2016 DESHWANI. ALL RIGHT RESERVED.DESIGN & DEVELOPED BY: 4C PLUS