काफी मशक्कत के बाद एसएसबी व एनडीआरएफ की टीम ने सयुक्त रूप से 65 वीं वाहिनीं के लापता जवान के शव को खोज निकाला
बेतिया। भास्कर कुमार। बगहा कमरछिनवा दोन के हरहा नदी के पास लापता 65 वीं वाहिनी एसएसबी जवान मोहम्मद अशरफ के शव को आर्म्स के साथ बरामद कर लिया गया है। एसएसबी 65 वीं वाहिनी के जवान का शव दो दिन बाद हरहा पहाड़ी नदी से एनडीआरएफ की टीम ने बरामद किया है। समाचार के मुताबिक मंगलवार की रात्रि में गश्ती में गए एसएसबी 65 वीं वाहिनी में तैनात जवान मोहम्मद अशरफ की मौत नदी के पानी में डूबने से हो गई थी। मोहम्मद अशरफ अपने छह साथियों के साथ कमरछिनवा बीओपी से हाथीनाला जा रहे थे।
हाथीनाला में तेज लहर होने के कारण पैर फिसला और सिर में चोट आने के कारण तेज बहाव में एसएसबी के जवान डूब गये। एसएसबी के एसआई ने अपने जवान को बचाने की कोशिश की। लेकिन वह भी चपेट में आ गए। अन्य एसएसबी जवानों ने कैसे भी करके उन्हें बचाया और नजदीकी बीओपी से सम्पर्क कर एसएसबी की टीम बुलाई और रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया।
एसएसबी 65 वीं वाहिनी के द्वितीय कमांडेंट पंकज डंगवाल के नेतृत्व में रेस्क्यू ऑपरेशन की गई। एसएसबी 65 वीं वाहिनी के जवान का शव दो दिन बाद हरहा पहाड़ी नदी से एनडीआरएफ की टीम ने बरामद किया है। एसएसबी ने शव का बगहा अनुमंडलीय अस्पताल में पोस्टमार्टम कराया।
दो दिनों के प्रयास एवं एसएसबी के आरआरटी की टीम,एनडीआरएफ की टीम एवं स्थानीय लोगों की मदद से लापता जवान मो.अशरफ का शव हरहा नदी से गुरुवार को बाहर निकाला गया साथ ही जवान की राइफल, मोबाइल टोपी समेत सभी सामानों को भी बरामद किया गया।मृतक के शव को एसएसबी कैम्प लाया गया। जहां से शव को पोस्टमार्टम के लिए अनुमंडलीय अस्पताल बगहा भेज दिया गया।एसएसबी के द्वितीय कमांडेंट पंकज डंगवाल ने बताया कि 65वीं वाहिनीं एसएसबी के छः जवान थें।जिसमें हेड कांस्टेबल मोहम्मद अशरफ था।
इनलोगों को ड्यूटी के लिए हाथीनाला और हरहा नाला भेजा गया था।वही ड्यूटी के दौरान जो क्षण चल रहा था।जहां मोहम्मद अशरफ जो सबसे आगे गाईड के तौर पर कार्य कर रहे थे। काफी सकरा रास्ता था।जहां हमारे कमांडो ने जवानों को उस रास्ते से बारी-बारी से निकाला। मोहम्मद अशरफ चुकी गाइड था। जो सबसे पहले उस जगह को पार किया था। जहां वह बैठा था वहां धूप ज्यादा था। उसने कहा मैं आगे रास्ता पार कर लेता हूं, जहां नाला था।पार करते हुए उसमें काफी तेज लहर उठ रही थी।जब जवान पार कर रहा था तो उसका पांव फिसल गया,वहां पत्थर थे।जहां उसके सिर पर चोट लगी और सीधा बहाव में जाकर वही डूब गया। हमारे एक एसएसबी के एसआई ने उन्हें बचाने की कोशिश की। लेकिन वह भी उसके चपेट में आ गए। जिन्हें जवानों की मदद से त्वरित बाहर निकाला गया। लेकिन इसी बीच में ऐसी स्थिति हो गई कि उनके नेत्र से बाहर हो गया था। जहां उन्होंने नजदीकी बीओपी गए।
वहां से अपनी टीम लेकर लापता जवान की खोजबीन शुरू कराई गई।यह घटना 7 सितंबर को 3:20 पर हुई थी। कोई समस्या कुछ नही था।जिन्होंने हमें नही बताएं।जब ज्यादा समस्या हुआ।तब उन्होंने बैठकर बीओपी से इस संबंधित सूचना दी।जहां त्वरित करवाई करते हुए रात्रि उक्त स्थल पहुँचा।जहां देखा तो पता चला कि पार करते हुए यह हादसा हुआ।दो दिन एनडीआरएफ की टीम ने हमारी काफी मदद की और जो हमारी एसएसबी की आरआरटी की टीम और फॉरेस्ट के कर्मी एवं स्थानीय ग्रामीणों ने संयुक्त रेस्क्यू ऑपरेशन में मदद किये।काफी मशक्कत बाद एसएसबी के हेड कॉन्स्टेबल मो. अशरफ के शव को 9 सितम्बर को 11: 30 मिनट पर रिकवरी की गई।जो बालू के नीचे दबा हुआ था और उसके ज सामान और हथियार भी मिले। उन्होंने बताया कि हमारे सभी वन कर्मी,स्थानीय लोग और एसएसबी की आरआरटी की टीम और विशेष तौर पर एनडीआरएफ की टीम को धन्यवाद देता हूँ। जिन्होंने रेस्क्यू ऑपरेशन में पूरा सहयोग दिया।
आपको बता दें कि गांव फलानी, पुलिस स्टेशन बुदाल,जिला राजौरी,जम्मू कश्मीर निवासी मो.असलम एसएसबी 65वीं वाहिनी एसएसबी में हेड कांस्टेबल थे।वर्तमान समय में कमरछिनवा कैंप में कार्यरत थे।जो एसएसबी में 15 साल तक कार्यरत थे।मोहम्मद अशरफ के पिता गुलाम मोहम्मद,माता साहिन अख्तर,पत्नी गुलशन अख्तर हैं। जिनके दो बच्चे भी हैं,13 वर्षीय बेटी मिजान अशरफ और 9 वर्ष का बेटा रिजवान अशरफ हैं। द्वितीय कमांडेंट पंकज डंगवाल ने बताया कि 13 सितम्बर को 65वीं वाहिनीं एसएसबी बेतिया बगहा सीमांत प्रशिक्षण केंद्र का स्थापना दिवस हैं।इस अवसर पर शहीद मोहम्मद अशरफ के नाम पर वृक्षारोपण कर उनके नाम से मोहम्मद अशरफ नर्सरी बनाई जाएगी।