अंकिता गुप्ता (श्रीमती सरस्वती देवी की पोती)।
मोतिहारी। शुक्रवार को शहर के प्रसिद्ध दवा व्यवसायी प्रभात कुमार गुप्ता की माता जी का निधन हो गया। ब्रह्मा मुहूर्त में श्रीमती सरस्वती देवी, अपने 106 साल के शरीर को त्याग कर ब्रह्मांड के असिमित उर्जा में समा गई ।
अपने जीवन शैली में उन्होंने बड़े से बड़े ऐतिहासिक घटनाओं को देखा है जैसे- विश्व युद्ध, महा भूकंप, ब्रिटिश राज, आपातकाल, इत्यादि । उन्होंने भारत देश को बनते देखा। जिस ज़माने में औरतों को रसोई घर के बाहर की दुनिया का पता नहीं होता था, तब उन्होंने D.A.V स्कूल से मैट्रिक की परीक्षा अंग्रेजी मीडियम से दी।
जमीनदार की बेटी के ठाठ और आराम से, एक मामूली व्यापारी के साथ जीवन व्यतीत करने का निश्चय कर उन्होंने प्रेम को उस ज़माने में परिभाषित किया। वे सदैव कहा करती थी- "जीवन में किसी भी चीज की कमी हो जाए, परंतु प्रेम के कमी नहीं होनी चाहिए। "विवाह के 6-7 साल के पश्चात तब जब संतान की प्राप्ती नहीं हुई तो समाज ने कई तरह के लांछन लगाए परन्तु दोनों के बीच का प्रेम कीसी भी समस्या से पार था।
कहते हैं प्रेम सबके बस की बात नहीं होती। उसके लिए अडिग अटूट हिम्मत और विश्वास की जरूरत होती है। दादा-दादी को देखकर हमने प्यार को समझा, मुश्किल से मुश्किल परिस्थितियों में एक दूसरे को स्वयं से उपर रखना सीखा, आज-कल की भाग- दौड़ वाली जिन्दगी में हमने उनसे ठहराव सीखा। जीवन व्यतीत करना नहीं बल्कि जिन्दगी खुल कर जीना सीखा। जिस ज़माने में जब औरतें रिक्शा में भी निकलती तो, रिक्शा में परदा हुआ करता था, उस जमाने में दादा जी दुकान बंद कर दादी को पिक्चर दिखाने रॉक्सी सिनेमा ले जाया करते थे। टीवी और सिनेमा की दादी ऐसी शौकीन भी कि यदि रविवार की "रंगोली" कीसी ने उनके बगैर शुरू कर दी तो घर में हाहाकार मच जाता था।