मोतिहारी के वरिष्ट फोटो जर्नलिस्ट इम्तेयाज अहमद की माताजी का निधन, धर्मपरायण व ममतामयी शख्सियत अंतिम सांसों तक बाल-बच्चों व बेटों के दोस्तों की खैरियत पूछती रहीं
मोतिहारी। पूर्वी चम्पारण जिले के वरिष्ट फोटो जर्नलिस्ट सैयद इम्तेयाज अहमद की माताजी बीवी आयसा बेगम का 29 अप्रैल गुरुवार की सुबह निधन हो गया। उन्होंने शहर के ज्ञानबाबू चौक स्थित अपने निवास रानी कोठी में आज सुबह करीब 8 बजे अंतिम सांसे लीं। वे करीब 80 वर्ष की थीं।
इधर कई महीनों से उनकी तबीयत काफी खराब चल रही थी। इस दौरान डॉ उमैश अख्तर हरवक्त उनकी चिकित्सीय सेवा को मौजूद रहें।
वे अपने पीछे दो पुत्र क्रमश: फिल्मकार सैयद इफ्तेखार अहमद (साहेब) व पत्रकार सैयद इम्तेयाज अहमद के साथ नाती-पोतों से भरापूरा परिवार छोड़कर गई हैं। पत्रकार के पिताजी मो. जफर हसनैन उर्फ मो. लालबाबू का स्वर्गवास आज से करीब 50 वर्ष पूर्व हो गया था।
पूरा जीवन जरूरतमंदों की मदद व धार्मिक विधानों में बीता-
पत्रकार की माताजी का जीवन जरूरतमंदों की आर्थिक मदद, नमाज व जकात जैसे धार्मिक विधानों में बीता। वे बेहद दयालू व धर्मपरायण शख्सियत के रूप में जानी जाती रहीं। जमींदारी व समाजिकता के बीच की डोर पर उन्होंने अपना संतुलन बनाए रखा।
बताया जाता है कि जो भी उनके पास मदद के लिए जाता वह खाली हाथ नहीं लौटता। इसीलिए उनके निधन की दुखद खबर को सुनकर काफी संख्या में महिलाएं उनके अंतिम दर्शन को रानी कोठी में पहुंची थीं।
अपने स्वास्थ्य से ज्यादा रही दूसरों की चिंता-
वैसे तो वे काफी दिनों से बीमार चल रही थी। लिहाजा उन्हें अपने स्वास्थ्य से ज्यादा अपने बाल-बच्चों व बेटों के दोस्तों की भी फिक्र लगी रही थी।
पत्रकार इम्तेयाज अहमद के बड़े पुत्र फरहान ने बताया कि उनकी तबीयत के बारे में पूछने पर वे बाल-बच्चों व इम्तेयाज अहमद के दोस्तों की खैरियत पूछा करतीं थी। पूछती थी कि दीपक ठाकुर, जितेन्द्र, फिरोज अहमद, शोएब रजा, विनय परिहार, संजीव पाण्डेय, अनिल व शमीम की खैरियत तो है न ?
रानी कोठी के एक स्टाफ ने बताया कि वे दो दिनों से उसे देखकर पूछ रही थीं कि काफी कमजोर हो गए हो, दूध पी लो। उसने जवाब दिया कि हां दादीजी वह पी लेगा।
उनका अंतिम संस्कार कोटवा रोड स्थित पत्रकार के पैतृक गांव मथुरापुर में हुआ। जहां पर जनाने की नमाज पढ़ी गई और मिट्टी दी गई। पत्रकार इम्तेयाज के सिर से अपनी माता की छाया नहीं रहीं। इसका उन्हें काफी गम है। लिहाजा उन्हें इस बात का संतोष भी है कि उन्हें अपनी माता की काफी सेवा करने का अहम सौभाग्य मिला।