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मोतिहारी के लिए निजी कोचिंग के जनक माने जाने वाले राजकिशोर सर का असमय जाना, सबको दुखदायी लगा
By Deshwani | Publish Date: 20/4/2021 12:56:10 PM
मोतिहारी के लिए निजी कोचिंग के जनक माने जाने वाले राजकिशोर सर का असमय जाना, सबको दुखदायी लगा

 मोतिहारी। विनय कुमार परिहार।

 इस शहर को पहली बार निजी कोचिंग का कंसेप्ट देनेवाले राजकिशोर सर का जाना जिले के लोगों को बड़ा ही दुखदायी लगा। इनके निधन की खबर जिसने भी सुनी वह आवाक रह गया। इनके लिए शोक संवेदना वाला पोस्ट सोशल मीडिया पर सबसे ‍ऊपर चल रहा है। क्योंकि इनके चाहने वालों की फेहरिस्त बड़ी लंबी है। और लोग बेहद मर्माहत हैं।
 

1993 में राजकिशोर वर्मा ने ही मोतिहारी के चांदमारी चौक के पास रामशरण द्वार के सामने भारती इंटरमीडियट कोचिंग की शुरुआत की थी। उन दिनों एलएनडी व एमएस कॉलेज के प्रोफेसर ही अपने-अपने विषयों का अपने घर पर ट्यूशन चलाते थे।
 
 
80 से 1990 की शुरुआती दशक में कोचिंग या ट्यूशन में ब्लैकबोर्ड का प्रयोग भी नहीं होता था। छात्र अपना-अपना थिन पेपर व कार्बन लाते थे। सभी कार्बन व थिन पेपर को एक दूसरे पर रखा जाता था। सबसे ‍ऊपर वाले पर प्रोफेसर लिखकर पढ़ाते थे। फिर छात्र अपना-अपना थिन पेपर लेकर घर आते थे। जिनका थिन पेपर सबसे ऊपर रहता, वे भाग्यशाली रहते। बाकियों पर लिखावट थोड़ी कम ही दिखती थी। तो वे एक दूसरे से पूछकर लिखावट को अपनी कलम से थोड‍़ा चटख कर लेते थे। तो इन्हीं दिनों राजकिशोर ने की थी पटना की तर्ज पर इंटरमीडिएट कोचिंग की शुरुआत।
 

राजकिशोर सर का भारती इंटरमीडिएट कोचिंग संस्थान उस समय का बिहार के सबसे पोपुलर ऑब्जेक्टिव कॉचिंग, राममोहन राय सेमीनरी पटना की तर्ज पर खुला था। जिसमें इंटरमीडिएट के प्रत्येक विषय के लिए अलग-अलग टीचर रखे गए थे। शिक्षकों को क्लासवाइज पेमेंट दिया जाता था।
 
उस कोचिंग से निकले कई शिक्षकों का अब अपना नामी कोचिंग संस्थान इस शहर में संचालित है। जिसमें इस शहर का वनस्पति विज्ञान, जीवविज्ञान, भौतिकी, रसायन, मैथ,अंग्रेजी व हिन्दी का प्रसिद्ध कोचिंग संस्थान का नाम शामिल है।
 
 
 
बाद में राजकिशोर सर का इंटरमीडियट कोचिंग धीरे-धीरे बंद हो गया। क्योंकि वे छात्रों से बहुत ही कम फी लेते थे। और उनके कोचिंग में कोई तड़क-भड़क नहीं थी। सिर्फ पढ़ाई होती थी। सीधे-साधे राजकिशोर सर इस फ्रोफेशनल युग के ताम-झाम को नहीं समझ पाए थे। फिलवक्त भारती कोचिंग नाम से प्राइवेट स्कूल व मैट्रिक तक ही कोचिंग चलता है। 

इनके निधन पर वैसे शिक्षकों को सामने आना चाहिए जिन्होंने राजकिशोर सर के इंटरमीडिएट भारती कोचिंग में किसी विषय को पढ़ाया हो और आज उस विषय का नामी कोचिंग संस्थान संचालित कर रहे हों। इसमें किसी तरह की सुपरिटी कंप्लेक्स को नहीं पालना चाहिए।
 
 
 
 मैं आइडियल पब्लिक स्कूल, चांदमारी के प्रधानाचार्य ललन सिंह का शुक्रगजार हूं। जिन्होंने सोशल मीडिया पर यह कहा कि राजकिशोर सर उनके अभिन्न मित्र रहे और दोनों ने 1993 में इंटरमीडिएट भारती कोचिंग की शुरुआत की थी। जहां खुद उन्होंने (ललन सिंह ने) भी अंग्रेजी पढ़ाई थी।
 
 

भारती कोचिंग संस्थान के राजकिशोर कुमार वर्मा नाम सामने आते ही सबके जेहन में एक ऐसे विशाल हृदय वाली शख्सियत का चित्र उभर कर आता है। जो बेहद भोला-भाला व सिंपल लिविंग हो। लेकिन उच्च आदर्शो का स्पष्ट पालनकर्ता हो। मुस्कुरात चेहरा। व्यंग्यात्मक बाते सुनते ही जोरदार ठहाके लगाने वाले। हमेशा सच का साथ देने वाला और दूसरों की मदद के लिए हरवक्त कहीं भी जाने को तैयार हो। 
 
 

पिछले ही वर्ष चन्द्रहियां स्थित एक प्राइवेट स्कूल ने जब एक छात्र का रुपयों के चलते फार्म नहीं भरने दे रहा था। तब मैंने राजकिशोर सर को कहा था कि कृपया, छात्र की मदद करें। जाकर पैरवी करें। तब उन्होंने उस छात्र के पिता के साथ उस प्राइवेट स्कूल में जाकर पैरवी की थी। जिससे उस छात्र का सीबीएससी का फॉर्म फिलअप हो सका था।
 
 
 
52 वर्षीय राजकिशोर सर मंगलवार 19 अप्रैल को मुजफ्फरपुर के एक प्राइवेट नर्सिंग होम में अंतिम सांसें लीं। उनके परिजन ने बताया कि वे 4 दिनों पूर्व उन्हें इलाज के लिए मुजफ्फरपुर भेजा गया था।
 
 
 
 
राजकिशोर सर पूर्वी चम्पारण जिला के कोटवा थाना क्षेत्र के टलवा गांव निवासी रेलवेकर्मी स्व. भागीरथ प्रसाद वर्मा के सुपुत्र थे। राजकिशोर सर के पिताजी ने मोतिहारी बाबूधाम रेलवे स्टेशन से ही अवकाश प्राप्त किया था। चांदमारी में भी राजकिशोर सर का निवास है। एमएस कॉलेज रोड से होकर इनका निवास मिलता है। उन्होंने 1983 में मोतिहारी जिला स्कूल से मैट्रिक की थी। फिर आगे की पढ़ाई एमएस कॉलेज से की।
 
 

 ये अपने पीछे माताजी, दो भाई क्रमश़: रवि किशोर वर्मा, व राणा किशोर वर्मा के अलावा एक सुपुत्री व सुपुत्र सहित भरापूरा परिवार छोड़ गए हैं। इनके अनुज रवि किशोर वर्मा संस्कृत व राणा किशोर वर्मा गणित के शिक्षक हैं।
 
 
 
इनकी 20 वर्षीय बेटी पलक राज मोतिहारी महात्मा गांधी सेंट्रल यूनिवर्सिटी से पढ़ाई पूरी कर रांची में आगे की पढ़ाई कर रही हैं। जबकि इनका बेटा किंशु (पुकार का नाम) रुढकी में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं। बेहद दुखद खबर के बाद थोड़ा संतोषप्रद बात यह दिख रही है कि इनका परिवार अटूट संयुक्त परिवार है।
 
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