मोतिहारी के चांदमारी से बच्ची के अपहरण के आरोपित को पकड़ा, पोक्सो एक्ट के तहत ट्रांजिट रिमांड पर पुलिस ले गई दिल्ली, जानिए क्या है POCSO Act 2012
मोतिहारी। दिल्ली पुलिस ने नगर थाने के सहयोग से अपहरण व POCSO Act की तहत मो. अप्पू उर्फ सब्बू को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार मों अप्पू को पुलिस ट्रांजिट रिमांड पर अपने साथ दिल्ली ले गई। दिल्ली के सुभाषनगर थाने से दारोगा नीरज ठाकुर के साथ पुलिस टीम मोतिहारी आई थी। दारोगा नीरज ठाकुर के साथ नगर पुलिस ने चांदमारी मुहल्ले में रेडकर मो. अप्पू को गिरफ्तार किया।
नगर थाने की पुलिस का कहना है कि सुभाष नगर से एक बच्ची का अपहरण कर लिया गया था। जिसे करीब चार माह पूर्व मोतिहारी से पुलिस ने मुक्त करा लिया था। लिहाजा अपहरण के आरोपित मो. अप्पू मौके से फरार होने में सफल हो गया था।
क्या है पोक्सो एक्ट-
POCSO
उस कानून का नाम (POCSO Act) पॉक्सो एक्ट है। पॉक्सो शब्द अंग्रेजी का एब्रिविएशन है। POCSO मतलब होता है- प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रेन फ्राम सेक्सुअल अफेंसेस एक्ट (The Protection of children from Sexual offence act 2012) यानी लैंगिक उत्पीड़न से बच्चों के संरक्षण का अधिनियम 2012.
इस एक्ट के तहत नाबालिग बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराध और छेड़छाड़ के मामलों में कार्रवाई की जाती है।
पॉक्सो एक्ट के तहत नाबालिग बच्चों के साथ होने वाले अपराधों के मामलों में कार्रवाई की जाती है। इसके तहत बच्चों को यौन उत्पीड़न, यौन शोषण और पोर्नोग्राफी जैसे गंभीर अपराधों से सुरक्षा प्रदान की जाती है।
कानून की धारा 3 के तहत "पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट' को परिभाषित किया गया है। जिसके तहत अगर कोई व्यक्ति किसी बच्चे के शरीर के किसी भी पार्ट में प्राइवेट पार्ट डालता है या बच्चे के प्राइवेट पार्ट में कोई चीज डालता है या बच्चे को ऐसा करने के लिए कहता है तो यह धारा-3 के तहत अपराध होगा। पॉक्सो एक्ट की धारा 4 में बच्चे के साथ दुष्कर्म या कुकर्म के मामले को शामिल किया गया है। जिसके तहत 7 साल से लेकर उम्रकैद और अर्थदंड का प्रावधान है। पॉक्सो एक्ट की धारा 6 के अधीन वे मामले लाए जाते हैं जिनमें बच्चों को दुष्कर्म या कुकर्म के बाद गम्भीर चोट पहुंचाई गई हो। इसमें दस साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है और साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
यह अधिनियम पूरे भारत पर लागू होता है, पॉक्सो कनून के तहत सभी अपराधों की सुनवाई, एक विशेष न्यायालय द्वारा कैमरे के सामने बच्चे के माता-पिता या जिन लोगों पर बच्चा भरोसा करता है, उनकी उपस्थिति में होती है।