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गोरैया संरक्षण के लिए एलएनडी कॉलेज में आयोिजत हुआ जागरूकता कार्यक्रम
By Deshwani | Publish Date: 21/3/2021 9:14:13 PM
गोरैया संरक्षण के लिए एलएनडी कॉलेज में आयोिजत हुआ जागरूकता कार्यक्रम

डा. कुमार राकेश रंजन।

जिले के लक्ष्मी नारायण दूबे महाविद्यालय में शनिवार को गोरैया संरक्षण दिवस के शुभ अवसर पर एक जागरूकता कार्यक्रम का सफल आयोजन किया गया। यह जागरूकता कार्यक्रम महाविद्यालय के जंतु विज्ञान विभाग द्वारा आईक्यूएसी एवं पर्यावरण और समाज कल्याण, सोसायटी, खजुराहो के संयुक्त समन्वयन में संपन्न हुई।इसका मुख्य विषय "चैलेंजेज, थ्रेट्स एंड कंजर्वेशन स्टेटस ऑफ आवर स्टेट बर्ड हाउस स्पैरो" (हमारा राजकीय पक्षी घरेलू गौरैया: चुनौतियां, संकट एवं संरक्षण) था। प्राचार्य प्रो.अरुण कुमार द्वारा दीप प्रज्वलन करते हुए कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ किया गया। 

उन्होंने आगंतुकों का स्वागत करते हुए विलुप्ति की ओर पहुंची घरेलू गौरैया के संरक्षण पर अपना बहुमूल्य सुझाव दिया। उन्होंने गोरैया को पारिस्थितिकी का एक शुभ संकेतक कहते हुए रासायनिक दृष्टिकोण से सोडियम क्लोराइड का उदाहरण देकर हाउस स्पैरो को समझाया। उन्होंने उपस्थित प्रतिभागियों को आत्मीय रूप से सेव द स्पैरो, सेव द नेचर के प्रति  जागरूक किया।

इतिहास विभागाध्यक्ष डॉ.सुबोध कुमार ने ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में गौरैया पर अपना व्याख्यान देते हुए 'रहे परिंदे पास, जगे जीवन की आस' कहा। वर्तमान पीढ़ी प्रौद्योगिकी से इतनी अधिक घिरी हुई है कि वे प्रकृति के बारे में भूल गए हैं। आधुनिकीकरण की बढ़ती लालसा, जीवन शैली तथा मकानों व भवनों के वास्तु में बदलाव के कारण गौरैया के घोंसले वाले स्थान समाप्त हो गए हैं। परिणामस्वरूप हमारे घर-आंगन में चहकने वाली गोरैया ढूंढते नहीं मिल रही है। 

तकनीकी सत्र के प्रारंभ में आईक्यूएसी समन्वयक डॉ. पिनाकी लाहा ने विश्व गौरैया संरक्षण दिवस पर विषय प्रवर्तन कराते हुए इस संकटापन्न प्रजाति पर आए संकट को बताया। अनियोजित शहरीकरण, शहरों व महानगरों में खड़े होते मोबाइल टावरों से निकलने वाले तरंगों ने न केवल इनके अस्तित्व पर गहरा असर डाला है बल्कि इनकी प्रजनन प्रवीणता को भी प्रतिकूल रूप से प्रभावित किया है। मोबाइल टावरों से उत्पन्न तरंगे गोरैया के दिशा ज्ञान पर भी विपरीत प्रभाव डालती है और संभव है कि घोंसले से अधिक दूर चले जाने पर उनका वापस लौटना मुमकिन न हो। 

इस जागरूकता कार्यक्रम के संयोजक व सूत्रधार जंतु शास्त्री डॉ.नीरज कुमार ने पाॅवर प्वाइंट के माध्यम से नर व मादा गोरैया का विस्तृत परिचय, विश्व में वितरण, विलुप्ति व बचाव को बताया। पर्यावरणविद् मो.दिलावर के प्रयासों से 2010 में 20 मार्च को  घरेलू गोरैया के लिए गौरैया संरक्षण दिवस घोषित किया गया। गोरैया संरक्षण अभियान को समर्थन देते हुए 2012 में घरेलू गौरैया को दिल्ली का और 2013 में बिहार का राजकीय पक्षी घोषित किया। वैज्ञानिकों के अनुसार गौरैया की कुल 45 प्रजातियां देखी गई हैं। इसे अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग नामों से जाना जाता है। इसकी मुख्यत: छ: प्रजातियां पाई जाती हैं- हाउस स्पैरो, स्पेनिश स्पैरो, सिंड स्पैरो, रसेट स्पैरो, डेडसी स्पैरो और ट्री स्पैरो। गौरैया पक्षी देखने में सुंदर छोटी और आकर्षक होती है। इसके दो छोटे छोटे पंख होते  हैं। नर गोरैया की पीठ का रंग लाल होता है और मादा गोरैया की पीठ पर भूरी-भूरी धारियां होती है।

ये प्राकृतिक रूप से मांसाहारी होते हैं। यह अपने भोजन की तलाश में कई मीलों का सफर तय करती है। इनका खाना मुख्य रूप से कीट-पतंग है लेकिन ये बीज, जामुन और फल भी खाते हैं। आधुनिक घरों में कृत्रिम घोंसले बनाकर भी इनके अस्तित्व को बचाया जा सकता है। इनके लिए हमलोगों को अपने घरों की छतों पर अनाज के दाने और पानी की व्यवस्था करनी चाहिए।

भौतिकी प्राध्यापक डॉ.सर्वेश दुबे ने भी सृष्टि की इस अमूल्य कृति को बचाने पर अपना व्याख्यान दिया।वनस्पति विज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो.अरविंद कुमार ने भी खेतों में फसलों को बचाने हेतु हानिकारक कीटनाशकों का छिड़काव, पारिस्थितिकी असंतुलन व खाद्य श्रृंखला को समझाते हुए घटते गोरैयों के बचाव पर अपना सारगर्भित व्याख्यान दिया।
पंजीकृत प्रतिभागियों के लिए निर्धारित उपशीर्षकों में काव्य पठन, मौखिक, पोस्टर एवं चित्रांकन प्रतियोगिता भी संपन्न हुई। उपशीर्षकों/सबथीम के तहत घरेलू गौरैया की जैव विविधता व वर्गीकरण, विलुप्ति के भय व कारण, घरेलू गोरैया का संरक्षण, घरेलू गौरैया का प्रजनन व्यवहार, घरेलू गौरैया की पैतृक देखभाल, घरेलू गोरैया का सामाजिक व्यवहार, घरेलू गौरैया पर प्रदूषण का प्रभाव एवं घरेलू गौरैया पर कीटनाशकों का प्रभाव को रखा गया था।

वैज्ञानिक समिति द्वारा मूल्यांकनोपरांत चारों विधाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले विजेता प्रतिभागियों की घोषणा की गई। काव्य पठन प्रतियोगिता में एलएनडी कॉलेज से आशीष कुमार ने प्रथम स्थान, सचिन तिवारी ने द्वितीय स्थान व एसएनएस कालेज की पूजा कुमारी ने तृतीय स्थान प्राप्त की। मौखिक प्रतियोगिता में प्रथम मुकाम रोशनी कुमारी, द्वितीय मुकाम शहर शकील एवं तृतीय मुकाम अंजनी कुमार ने हासिल किया है। पेंटिंग के प्रतियोगिता में प्रथम स्थान ताविंदा नवाज, द्वितीय स्थान रोशनी कुमारी तथा तृतीय स्थान छोटी कुमारी ने प्राप्त की है। चारों विधाओं में विजेता सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान किया गया। 

प्राचार्य प्रो.अरुण कुमार व डॉ.नीरज कुमार ने सभी पंजीकृत प्रतिभागियों के बीच प्रमाण पत्र वितरित किया। मीडिया प्रभारी डॉ. कुमार राकेश रंजन ने संवाद प्रेषित करते हुए कहा कि समूह में उड़ान भरने वाली चुलबुली व चंचल घरेलू गौरैया को संरक्षित करना मानवता का  प्राथमिक दायित्व है।

इस शुभ अवसर पर अतिथि प्राध्यापकों की ओर से प्रो.राकेश रंजन कुमार, डॉ.राधे श्याम, डॉ.जौवाद हुसैन, डॉ.परमानंद त्रिपाठी, श्री वरुण कुमार ठाकुर, श्री जयपाल कुमार, डॉ.बब्लू ठाकुर व डॉ.नीलमणि तथा कर्मियों की ओर से प्रधान सहायक राजीव कुमार, लेखापाल कामेश भूषण, लेखा सहायक अखिलेश कुमार, संजीव किशोर, अमित, आलोक पांडेय, आशुतोष, मुन्ना कुमार सहित सभी छात्र-छात्राएं उपस्थित थे। जंतु विज्ञान विभाग की छात्रा रोशनी कुमारी ने मंचासीन बुद्धिजीवियों के सम्मान में मनमोहक स्वागत गान की प्रस्तुति दी। जागरूकता कार्यक्रम का सफल संचालन भूगोल विभाग की अतिथि प्राध्यापिका सुश्री प्रीति प्रिया ने की। इतिहास के अतिथि प्राध्यापक प्रो. वरूण कुमार ठाकुर ने कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु उपस्थित सभी लोगों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। राष्ट्रगान वंदना के साथ कार्यक्रम की समाप्ति हुई।
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