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बड़े कारपोरेट घरानों के बजाय सरकार करे किसानों का समर्थन : सुभाषिनी शरद यादव
By Deshwani | Publish Date: 6/12/2020 9:12:29 PM
बड़े कारपोरेट घरानों के बजाय सरकार करे किसानों का समर्थन : सुभाषिनी शरद यादव

पटना देश के दिग्‍गज नेता शरद यादव की पुत्री व कांग्रेस नेत्री सुभाषिनी शरद यादव ने किसानों के खिलाफ केंद्र की मोदी सरकार के रवैये को अनुचित बताया और कहा कि सरकार अनावश्यक रूप से मुद्दों को लंबा कर रही है और किसानों को अनुचित दर्द दे रही है, क्योंकि सरकार द्वारा किसानों को इस सर्द मौसम में सड़क पर बैठने के लिए मजबूर किया गया है। सुभाषिनी ने सरकार पर कृषि सुधारों के नाम पर जल्‍दबाजी में पारित कानून को हटाने की मांग करते हुए कहा कि सरकार को बड़े कारपोरेट घरानों के समर्थन के बजाय किसानों का समर्थन करना चाहिए।

 
 
 
 
इससे पहले कांग्रेस नेत्री सुभाषिनी ने विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों से मिलकर उनको पूर्ण समर्थन भी दिया। उन्‍होंने कहा‍  कि किसान अपनी मांगों के लिए कृषि सुधारों के नाम पर सरकार द्वारा बनाए गए कानूनों को निरस्त करने के लिए एकत्र हुए हैं। वे बहुत मजबूती और बहादुरी से अपनी जायज मांगों को लेकर डटे हुए हैं। वे सरकार द्वारा अपनी मागों को पूरा करवाए बिना पीछे नहीं हटने वाले नहीं हैं। उनकी मांगें वास्तविक हैं और देश के हित में हैं।
 
 
 
 
कांग्रेस नेत्री ने कहा कि मैं भी किसान के परिवार से हूं और मुझे पता है कि खेती करना लाभदायक भी नहीं है। क्‍योंकि किसानों  को प्रकृति पर निर्भर रहना होता है, मगर फिर भी हमें अन्‍न देने के लिए रात दिन किसान मेहनत करते हैं। किसानों के प्रति सरकार का रवैया उनके साथ सहकारी और सहायक नहीं है। उन्‍होंने कहा कि इन कानूनों को लाने और उन्हें जल्दबाजी में पारित करने की कोई आवश्यकता नहीं थी। यह किसानों के जख्मों पर नमक डालने जैसा है। वे देश को पर्याप्त खाद्य सुरक्षा प्रदान करने के लिए किसी न किसी तरह से प्रबंध करते रहे हैं। हमारे देश के किसी भी राज्य में किसानों की स्थिति अन्य देशों की तुलना में उत्साहजनक नहीं है, जैसे कि अमरीका,  यूरोप। इसीलिए अन्य देशों के कुछ किसान भी हमारी किसानों की मांगों के समर्थन में आए हैं।
 
 
 
उन्‍होंने कहा कि मैंने कई किसानों से व्यक्तिगत रूप से भी मुलाकात की और उनका विचार जाना कि इन कानूनों को केवल बड़े कॉर्पोरेट घरानों की मदद के लिए लाया गया है, अन्यथा सरकार को इन कानूनों के माध्यम से सदियों पुराना कृषि उपज बाजार समिति की पुरानी मंडी व्यवस्था को तोड़ने की क्या जरूरत थी। ए पी एम सी की विनियमित मंडियों में किसानों की रक्षा और सुविधा होती है। वे इससे खुश हैं और सरकार उनकी बची हुई खुशियों को खत्म करना चाहती है। सरकार को ऐसा कानून लाना चाहिए, जिसमें यह स्पष्ट रूप से उल्लेखित हो कि किसानों को उनकी फसल का M.S P हर राज्य में मिलेगा। सरकार से अपील करती हूं कि किसानों के कल्याण में नए कृषि कानूनों को निरस्त करने का तत्काल निर्णय ले। ताकि किसानों का आंदोलन खत्म हो सके और वे अपने घर लौट जाएं।
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