सरकारी स्कूलों की सूरत बदलने की कवायद, बच्चे करेंगे अपने निकटवर्ती स्कूलों का भ्रमण
मोतिहारी/रामगढ़वा। मेराज आलम बबलू। प्रारंभिक विद्यालयों को हर मामले में प्राइवेट स्कूलों से बेहतर बनाने के लिए एजुकेशनल एक्सचेंज प्रोग्राम शैक्षणिक सत्र 2020 /21 से शुरू होगा। इसके लिए सरकार ने ‘ट्वीनिंग ऑफ स्कूल कार्यक्रम शुरू किया है। इसके तहत वर्ग अष्टम के बच्चों को निकटतम मध्य व माध्यमिक विद्यालयों में भ्रमण कराना है। वहां से पढ़ने-पढ़ाने से लेकर स्कूल की हर गतिविधि से बच्चे जानकारी लेकर अपने स्कूल के बच्चों को बेहतर बनने के लिए मोटिवेट करेंगे।इसके लिए जिले के 139 विद्यालय चयनित किये गये हैं। इसमें कक्षा आठ के सभी बच्चों व दो शिक्षकों का समूह बनाना है। ट्वीनिंग के लिए समूह को 2020 से 2021 की शैक्षणिक अवधि में चयनित विद्यालय भेजे जाने का प्रस्ताव है। यह कार्यक्रम एक दिवसीय होगा। विद्यालय समयानुसार यह कार्यक्रम चार घंटों का होगा। प्रत्येक विद्यालय में दो हजार रुपये की दर से खर्च होने वाली राशि का आवंटन डीईओ कार्यालय से होगा।
परिभ्रमण पर जाने वाले बच्चों के लिए अल्पाहार से लेकर स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था स्कूल की ओर से की जानी है।
‘ट्वीनिंग ऑफ स्कूल का उद्देश्य :-
उद्देश्य यह है कि छात्र-छात्राएं एक दूसरे के विद्यालय में परिभ्रमण करेंगे। वहां की बेस्ट प्रैक्टिस का अवलोकन करने के साथ ही स्मार्ट क्लास, प्रयोगशाला, पुस्तकालय, कॉमन रूम, साफ-सफाई, अनुशासन आदि के बारे में जानकारी ले सकेंगे व आपसी तालमेल बनाने के गुर भी सीखेंगे। इसके अलावा यूथ व इको क्लब, बाल संसद, वर्ग मॉनिटर के साथ उनके अनुभवों व विचार का आदान-प्रदान करेंगे।
बच्चों को किया जाएगा जागरुक
शारीरिक शिक्षक बच्चों को विभिन्न खेलों जैसे चूहा-बिल्ली, खो-खो, लीडर ढूंढना, कबड्डी आदि के माध्यम से स्वास्थ्य के प्रति, शरीर की सफाई व पौष्टिक भोजन खाने का लाभ बताएंगे। साथ ही, फास्टफूड खाने से परहेज के प्रति भी जागरुक करेंगे।
इसके माध्यम से बच्चे वहां की बेहतर शिक्षण व्यवस्था व पाठ्यक्रम को कैसे सरल बनाया जाता है, आदि की जानकारी हासिल करेंगे। ट्वीनिंग के बाद अगले कार्यदिवसों में ट्वीनिंग पर गये छात्र-छात्राओं के द्वारा डायरी लेखन किया जाएगा। अपने अनुभवों को चेतना सत्र के दौरान अन्य बच्चों के साथ साझा करेंगे।
कहते हैं अधिकारी:-
सरकारी विद्यालयों व वहां पढ़ने वाले बच्चों की बेहतरी के लिए सरकार की ओर से उठाया जा रहा यह कदम मील का पत्थर साबित होगा। इससे सरकारी स्कूल के बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ेगा व उनमें सीखने की भावना जागृत होगी।