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मोतिहारी केविवि में मनाई गई भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी व महामना मालवीय की जयंती
By Deshwani | Publish Date: 25/12/2019 7:37:32 PM
मोतिहारी केविवि में मनाई गई भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी व महामना मालवीय की जयंती

मोतिहारी। महात्मा गाँधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय के रघुनाथपुर स्थित डॉ. भीमराव अम्बेडकर प्रशासनिक भवन में बुधवार को भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी व भारत रत्न महामना मदन मोहन मालवीय की जयंती मनाई गई। प्रभारी ओएसडी प्रशासन व सामाजिक विज्ञान संकाय के अधिष्ठाता प्रो. राजीव कुमार ने वरिष्ठ शिक्षकों व अधिकारियों के साथ अटल बिहारी वाजपेयी व महामना की तस्वीर के सम्मुख पुष्प अर्पित कर दोनों ही महापुरुषों को श्रद्धांजलि दी।

 

 इस अवसर पर प्रो. राजीव ने अपने संबोधन में कहा कि वाजपेयी जी के व्यक्तित्व में प्रमुख विशेषता यह थी कि वैचारिक विभिन्नता होते हुए भी वे सभी को स्वीकार्य थे। राजनीति में अवसरवादिता का उन्होंने विरोध किया। यही कारण था कि 1999 से 2004 के बीच उन्होंने अनेक दलों को मिलाकर पहली गैर कांग्रेसी पूर्णकालिक सरकार चलाई। संयुक्त राष्ट्र संघ में पहली बार हिंदी में भाषण, पोखरण-2 परमाणु परीक्षण, पाकिस्तान बस यात्रा व परवेज मुशर्रफ के साथ आगरा शिखर वार्ता आदि घटनाओं के लिए देश उनको सर्वदा याद करेगा।

 

शिक्षा शास्त्र संकाय के अधिष्ठाता प्रो. आशीष श्रीवास्तव ने कहा कि शिक्षा जगत के आज के परिदृश्य में महामना मदन मोहन मालवीय के यदि चंद गुण ही ग्रहण कर लिया जाए तो शैक्षणिक परिदृश्य का सम्पूर्ण कायाकल्प संभव है। सरलता, सहजता, मृदुभाषिता, वाकपटुता, उद्दात्त विचार, स्त्री शिक्षा पर विशेष ध्यान इत्यादि गुणों की आज शिक्षा के सभी स्तरों पर अनिवार्यता है। सनातन धर्म, भारतीय संस्कृति व हिंदी भाषा पर महामना मालवीय जी के विचार हमारे लिए प्रेरणास्रोत हैं।

 

 राजनीति विज्ञान विभाग की सह प्रोफेसर डॉ. सरिता तिवारी ने कहा कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक महामना पंडित मदन मोहन मालवीय का जीवन दर्शन सम्पूर्ण शैक्षणिक, राजनीतिक, सामाजिक व सांस्कृतिक क्षेत्र में हमें आज पथ प्रदर्शित करता हुआ समीचीन जान पड़ता है। मूलतः प्रयाग निवासी होते हुए भी उन्होंने तुलनात्मक दृष्टि से पिछड़े हुए काशी क्षेत्र में उच्च शिक्षा का महान केंद्र अपने दृढ़ निश्चय एवं अथक प्रयासों से साकार किया। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के वास्तु स्थापत्य के सुक्ष्म विश्लेषण से स्पष्ट होता है कि स्त्री शिक्षा, स्वास्थ्य, प्राचीन वेद से लेकर आधुनिकतम अभियांत्रिकी तकनीकी तक के सारे विषयों को उन्होंने अपने संस्थान में उचित स्थान प्रदान किया। इतना ही नहीं उन्होंने राजनीति के कई सर्वथा नये प्रतिमान स्थापित किये। भारत के समेकित विकास के लिए सभी विश्वविद्यालयों में महामना पीठ की स्थापना होनी चाहिए, ताकि उनके शैक्षणिक दृष्टिकोण से वर्तमान पीढ़ी अवगत हो सके।

 

 अपने संदेश में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संजीव कुमार शर्मा ने अटल बिहारी वाजपेयी व मदन मोहन मालवीय की जयंती पर विश्वविद्यालय में कार्यक्रम के आयोजित होने पर हार्दिक प्रसन्नता जताई। आगे कहा कि हमें गर्व है कि अटल बिहारी वाजपेयी जैसे सर्वप्रिय व्यक्तित्व हमारे बीच लम्बे समय तक राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय रहे हैं और अपने उदार व ओजस्वी विचारों द्वारा विविधताओं से भरे इस देश में सबको साथ लेकर चलने की शिक्षा देते हैं। वहीं महामना को याद करते हुए उनके शैक्षणिक योगदानों की सराहना की। इस अवसर पर पुस्तकालय विज्ञान विभाग के सह प्रोफेसर डॉ. शिवराम राव के, उप कुलसचिव सच्चिदानंद सिंह, सिस्टम एनालिस्ट दीपक कुमार, आदित्य मिश्रा, रॉबिन बलियान आदि अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित रहे।

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