बिहार
खेतों में पराली जलाने से ज्यादा खतरनाक अस्पताल का कचरा जलाना
By Deshwani | Publish Date: 7/12/2019 10:17:28 AMबेतिया। अवधेश कुमार शर्मा। पश्चिम चम्पारण जिला के नरकटियागंज अनुमंडल अस्पताल परिसर में इमरजेंसी वार्ड के पीछे बिखरे हुए सभी प्रकार के कचरों(कचड़ों) को इकठ्ठा कर आग के हवाले कर दिया गया। जिससे पूरा इमरजेंसी वार्ड धुआं से भर गया। उस समय यदि वार्ड में कोई अस्थमा या सांस कष्ट रोगी होता तो क्या होता? ये तो समय आने पर पता चलता। आखिर इसे क्या संज्ञा देंगे ? बिहार सरकार में शामिल भाजपा, जदयू, लोजपा इस मुद्दे पर चुप है। बिहार सरकार के मुखिया एक तरफ पूरे बिहार में "जल-जीवन-हरियाली" को लेकर लोगों के बीच जागरूकता पैदा करने में लगे हैं।
सबसे ज्यादा किसानों पर खेत मे कृषि अवशेष "पराली" जलाने को पर्यावरण प्रदूषण फैलाने का आरोप लगाते रहे और किसान भाइयों को खेत में पुआल नहीं जलाने की नसीहत दे रहे हैं। इसे खेतों के नुकसान होने के साथ वातावरण दूषित होने की बात कह रहे हैं। अलबत्ता उन्हीं के अस्पताल परिसर में दूषित प्लास्टिक के साथ सूखे (कचड़ों) कचरों में आग लगा दिया जाता है, क्या इससे पर्यावरण प्रदूषण नहीं होता? क्या खेतों की "पराली", अस्पताल के कचरों से ज्यादा खतरनाक है। ऐसे मामलों को मुख्यमंत्री संज्ञान लें और अपने अभियान में इसकी चर्चा करें, की अस्पताल में कचरा जलाने वालों पर एफआईआर किया जाएगा। नरकटियागंज सरकारी अनुमण्डल अस्पताल प्रशासन कचरा जलाने के मामले में मौन है। उन्हें क्या मरीज मरे या पर्यावरण प्रदूषित हो किसी का ध्यान इस तरफ नहीं है। पर्यावरण प्रदूषण व मरीजों की मौत से अस्पताल कर्मियों का क्या लेना देना? अब समझने की बात है की वायु प्रदूषण ज्यादा पुआल जलने से फैलती है या प्लास्टिक समेत कचड़ों को जलाने से फैलती है। नीतीश कुमार और उनके प्रशासनिक अधिकारियों का कुनबा इस बात को कब समझेगा?