ब्रेकिंग न्यूज़
मोतिहारी के केसरिया से दो गिरफ्तार, लोकलमेड कट्टा व कारतूस जब्तभारतीय तट रक्षक जहाज समुद्र पहरेदार ब्रुनेई के मुआरा बंदरगाह पर पहुंचामोतिहारी निवासी तीन लाख के इनामी राहुल को दिल्ली स्पेशल ब्रांच की पुलिस ने मुठभेड़ करके दबोचापूर्व केन्द्रीय कृषि कल्याणमंत्री राधामोहन सिंह का बीजेपी से पूर्वी चम्पारण से टिकट कंफर्मपूर्व केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री सांसद राधामोहन सिंह विभिन्न योजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास करेंगेभारत की राष्ट्रपति, मॉरीशस में; राष्ट्रपति रूपुन और प्रधानमंत्री जुगनाथ से मुलाकात कीकोयला सेक्टर में 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को 9 गीगावॉट से अधिक तक बढ़ाने का लक्ष्य तय कियाझारखंड को आज तीसरी वंदे भारत ट्रेन की मिली सौगात
बिहार
डॉक्टरों के एक समूह का दावा- बिहार में बच्चों की मौत के लिए ‘प्रशासनिक विफलता' जिम्मेदार
By Deshwani | Publish Date: 29/6/2019 11:46:46 AM
डॉक्टरों के एक समूह का दावा- बिहार में बच्चों की मौत के लिए ‘प्रशासनिक विफलता' जिम्मेदार

नई दिल्ली/मुजफ्फरपुर। मुजफ्फरपुर जिले में बच्चों की हाल में हुई मौतों की स्वतंत्र जांच करने वाले डॉक्टरों के एक समूह ने इस त्रासदी के लिए प्रशासनिक विफलता और लोगों के प्रति राज्य की उदासीनता को जिम्मेदार ठहराया है।

 
डॉक्टरों के समूह ने यह भी दावा किया गया है कि अधिकांश मृत बच्चों के माता-पिता की सार्वजनिक वितरण प्रणाली तक पहुंच नहीं थी क्योंकि उनके पास राशन कार्ड नहीं थे। प्रोग्रेसिव मेडिकोस एंड साइंटिस्ट्स फोरम (पीएमएसएफ) के बैनर तले डॉक्टरों की एक तथ्यान्वेषी टीम द्वारा तैयार प्रारंभिक रिपोर्ट में कहा गया है कि ज्यादातर बच्चे कुपोषित थे और किसी का भी इलाज नहीं हुआ था। इसके अलावा, उनमें से किसी के पास भी विकास निगरानी कार्ड नहीं थे। समूह में यहां अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डॉक्टर भी थे।
 
पीएमएसएफ के राष्ट्रीय संयोजक और एम्स रेजिडेन्ट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) के पूर्व अध्यक्ष डा. हरजीत सिंह भाटी ने कहा कि ये मौतें पिछले दस वर्षों से हो रही हैं और अभी भी खास बीमारियों या क्षेत्र में अतिसार जैसी आम बीमारी के लिए कोई निवारक तंत्र और स्वास्थ्य जागरूकता नहीं है। उन्होंने कहा, पेयजल की भारी कमी है और पूरे मुजफ्फरपुर में समुचित सीवरेज प्रणाली नहीं है। स्वास्थ्य केन्द्रों में सफाई की स्थिति खराब है।
 
टीम ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है, आशा कार्यकर्ता, उप-केंद्रों और आंगनवाड़ी सेवाओं की संख्या और कार्यों में कमी है और लोगों का स्थानीय स्वास्थ्य प्रणाली में विश्वास नहीं है। टीकाकरण सेवाएं खराब हैं।
 
रिपोर्ट में कहा गया है कि निकटतम मेडिकल कॉलेज श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (एसकेएमसीएच) में आपातकालीन कक्ष में एक दिन में 500 रोगियों की देखभाल के लिए केवल चार डॉक्टर और तीन नर्स हैं और दवाओं और उपकरणों की कमी है। डॉक्टरों के समूह ने दावा किया कि विभिन्न स्तरों पर खामियों के बावजूद किसी अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।
image
COPYRIGHT @ 2016 DESHWANI. ALL RIGHT RESERVED.DESIGN & DEVELOPED BY: 4C PLUS