बेतिया(पश्चिम चम्पारण)
पश्चिम चम्पारण जिला अंतर्गत दो लोकसभा सीट पर हुए चुनाव में वाल्मीकिनगर लोकसभा क्षेत्र से जदयू के बैद्यनाथ प्रसाद महतो अबतक के सर्वाधिक मत से चुनाव जीत गए हैं। मिली खबर के अनुसार उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी आईएनसी प्रत्याशी शाश्वत केदार को 2 लाख 46 हज़ार मत से पराजित किया है। दूसरी संसदीय सीट पश्चिम चम्पारण से निवर्तमान सांसद डॉ. संजय जायसवाल भी दो लाख वोट के अंतर से अपने प्रतिद्वंद्वी रालोसपा के डॉ ब्रजेश कुमार कुशवाहा को पराजित कर हैट्रिक बनाया है।
इसके साथ ही पश्चिम चंपारण लोस से जीत की हैट्रिक बनाने वाले निवर्तमान सांसद डॉ. संजय जयसवाल को मंत्री बनाने की जोरदार मांग उठने लगी है। भाजपा नेताओं ने डॉ. संजय जयसवाल को बधाई देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी से डॉ. जायसवाल को केंद्र में मंत्री बनाने की जोरदार मांग की है। बैद्यनाथ प्रसाद महतो की जीत पर बगहा, रामनगर, लौरिया, सिकटा, मैनाटाँड़, गौनाहा और नरकटियागंज में राजग कार्यकर्ताओं में जश्न का माहौल है। वैसे लोग भी बैद्यनाथ प्रसाद महतो का गुणगान करने लगे हैं, जिन्होंने उनका खूब मज़ाक उड़ाया है। बेतिया, मझौलिया, नौतन, सुगौली, रक्सौल और चनपटिया में लोग पटाखे छोड़ रहे हैं और मिठाइयां बाँट रहे हैं। दोनो लोकसभा क्षेत्र के परिणाम ने स्पष्ट कर दिया है कि महागठबंधन में जिन पार्टियों के कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की गई और गठबन्धन में शामिल नेताओं ने टिकट की खरीद फ़रोख़्त किया उन्हें जनता ने एक सिरे से नकार दिया है।
उधर पश्चिम चंपारण राजद नेताओं ने लगाया ईवीएम मशीन में छेड़छाड़ का आरोप राजद प्रखंड अध्यक्ष मझौलिया सुरेंद्र मुखिया कार्यकारी अध्यक्ष मोहम्मद मुस्तफा जय लाल यादव विक्रम साह, विनोद चौरसिया, अमीन अहमद, फूल देव यादव, प्रभु यादव, शाह आलम, भुट्टी यादव, मैनेजर यादव आदि ने ईवीएम मशीन में छेड़छाड़ का आरोप लगाया है। राजद नेताओं का कहना है कि टीवी चैनलों द्वारा मतगणना के पूर्व ही एनडीए गठबंधन के पक्ष में प्रचंड बहुमत की हवा बहा दी जाती है। प्रचंड सीट के जीत का दावा कर दिया जाता है। नेताओ ने कहा कि अनुमान मतगणना में पूरी तरह हुबहू साबित हो जाता है । राजद नेताओं ने शक की सुई उठाते हुए कहा कि इसमें अवश्य ईवीएम मशीन में कोई न कोई छेड़छाड़ हुई है। जिसके कारण अनुमान से ज्यादा सीट एनडीए गठबंधन को आया है, जो सरासर जनता की भावनाओं के साथ खिलवाड़ है और चुनाव आयोग की भूमिका भी संदेह के दायरे में आती है।