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बिहार
घुटने के दर्द को Arthroscopic सर्जरी से ठीक कर रहे मोतिहारी के हड्डी एवं जोड़ विशेषज्ञ डॉ प्रभात प्रकाश
By Deshwani | Publish Date: 25/1/2019 7:25:47 PM
घुटने के दर्द को Arthroscopic सर्जरी से ठीक कर रहे मोतिहारी के हड्डी एवं जोड़ विशेषज्ञ डॉ प्रभात प्रकाश

Dr Prabhat Prakash फोटो-देशवाणी।

मोतिहारी। देशवाणी न्यूज नेटवर्क।

अपने शहर में Artroscopic Surgery संभव है। इसके लिए उत्तर बिहार के लोगों को पटना, वाराणसी, लखनऊ या दिल्ली का रूख नहीं करना पड‍़ेगा। ऐसी सर्जरी को सफलता से अंजाम दे रहे हैं उत्तर बिहार के नामी अर्थोपेडिक चिकित्सक डॉ प्रभात प्रकाश। इतना ही नहीं ये Knee replacement में भी सिद्धहस्त बताए जाते हैं।
 
 
देशवाणी की टीम इसकी जानकारी लेने शहर के सदर अस्पताल के सामने स्थित 'मोतिहारी रीढ़ एवं हड्डी अस्ताल' पहुंची। इस सर्जरी के बारे में हड्डी एवं जोड़ रोग विशेषज्ञ डॉ प्रकाश से विस्तृत बातें हुईं। चिकित्सक ने बताया कि मेडिकल साइंस अब काफी उन्नत हो चुका है। अब बड़ी सर्जरी की जगह घुटने में छोट होल बनाकर Arthroscopic Surgery की जा सकती है। बताया कि करीब दो दर्जन से अधिक लोगों के घुटने के दर्द का इस तरह की सर्जरी से ठीक किया जा चुका है। पूछने पर बताया कि मरीज इसतरह की सर्जरी के बाद दो से चार घंटों में अपने घर भी जा सकते हैं। 14 दिनों के रेस्ट के बाद मरीज दौड़ सकते हैं। बताया कि बुढ़ापे में घुटना नहीं मुड़ने की परेशानी को भी इस सर्जरी से ठीक किया जाता है।
 
 
 
 यह ठीक उसी तरह की सर्जरी है। जैसा कि  Laparoscopic sergery (लेप्रोस्कॉपिक सर्जरी )।  Laparoscopic sergery (लेप्रोस्कॉपिक सर्जरी) के नाम से ज्यादातर लोग वाकिफ हैं। जिस तरह पेट के अंदर के अंगों की सर्जरी एक छोटा होल कर किया जाता है तो उसे लेप्रोस्कॉपिक सर्जरी कहते है। उसी प्रकार अर्थ्रो मतलब ज्वांट्स को भी एक छोटे होल बनाकर रिपेयर किया जाता है। इसे देखने के लिए एक मोनिटर लगा होता है। मोनिटर पर भीतर के अंगों को देखकर चिकित्सक ऑपरेशन को सफल बनाते हैं।

आपने अक्सर सुना होगा कि लिगामेंट टूटने के कारण कई लोग भीषण दर्द की शिकायत करते हैं। जिसकी वजह से उन्हें चलने-फिरने में भी काफी समस्‍या होती है। लिगामेंट कई बार अचानक या फिर धीरे से गिर जाने की वजह से भी टूट जाते हैं। चूंकि लिगामेंट हड्डियों को जोड़ने का काम करता है, इसलिए जब भी ये अंग मुड़ते हैं तो अधिक दबाव के कारण लिगामेंट टूट जाते हैं, यानी लिगामेंट्स का टूटना इसकी प्रवृत्ति भी होती है। लिगामेंट जब बहुत कमजोर हो जाते हैं तभी वे टूटते हैं।
 
 
लिगामेंट्स घुटनों को स्थिर रखने का काम करते हैं। हमारे शरीर में चार प्रकार के लिगामेंट्स होते है। दो कोलेटरल लिगामेंट्स होते हैं और दो क्रुशिएट लिगामेंट्स पाये जाते हैं। एक कोलेटरल लिगामेंट्स घुटने के अंदर होते हैं और दूसरा लेटरल कोलेटरल लिगामेंट्स घुटनों के बाहर होता है। ये घुटने को अनियंत्रित गति से मूवमेंट करने से रोकता है। क्रुशिएट घुटनों के भीतर पायें जाते हैं। एंटीरियर क्रुशिएट लिगामेंट आगे की तरफ होता है और पोस्टीरियर क्रुशिएट लिगामेंट नीचे की ओर होता है। इस लिगामेंट की वजह से घुटनों को आगे-पीछे मोड़ा जा सकता है। इसी लिगामेंट में टूट के कारण मरीज को चलने और संतुलन में परेशानी होती है। यह प्रोब्लम कम उम्र में भी किसी को हो सकती है।
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