ब्रेकिंग न्यूज़
मोतिहारी के केसरिया से दो गिरफ्तार, लोकलमेड कट्टा व कारतूस जब्तभारतीय तट रक्षक जहाज समुद्र पहरेदार ब्रुनेई के मुआरा बंदरगाह पर पहुंचामोतिहारी निवासी तीन लाख के इनामी राहुल को दिल्ली स्पेशल ब्रांच की पुलिस ने मुठभेड़ करके दबोचापूर्व केन्द्रीय कृषि कल्याणमंत्री राधामोहन सिंह का बीजेपी से पूर्वी चम्पारण से टिकट कंफर्मपूर्व केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री सांसद राधामोहन सिंह विभिन्न योजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास करेंगेभारत की राष्ट्रपति, मॉरीशस में; राष्ट्रपति रूपुन और प्रधानमंत्री जुगनाथ से मुलाकात कीकोयला सेक्टर में 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को 9 गीगावॉट से अधिक तक बढ़ाने का लक्ष्य तय कियाझारखंड को आज तीसरी वंदे भारत ट्रेन की मिली सौगात
बिहार
मोतिहारी से शुरू हुई राष्‍ट्रीय समान अधिकार यात्रा 31 जिलों में संपन्‍न, 25 फरवरी को पटना में महारैली, संबोधित करेंगे राजा भैया
By Deshwani | Publish Date: 17/1/2019 9:58:32 PM
मोतिहारी से शुरू हुई राष्‍ट्रीय समान अधिकार यात्रा 31 जिलों में संपन्‍न, 25 फरवरी को पटना में महारैली, संबोधित करेंगे राजा भैया

पटना। रंजन सिन्हा। देशवाणी।
 
 गांधी जयंती के अवसर पर 2 अक्‍टूबर 2018 में गांधी संग्राहलय से,चंपारण से ई. रविंद्र कुमार सिंह के नेतृत्‍व में शुरू हुई राष्ट्रीय समान अधिकार यात्रा सफलतापूर्वक बिहार के 31 जिलों में संपन्‍न हो गई। इस यात्रा को लोगों का भरपूर समर्थन मिल रहा है। यात्रा का मकसद देश में समान शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य, नागरिकता, कानून और किसानों के सवाल पर लोगों में जनजागृति पैदा करना है। उक्‍त बातें आज पटना के आईएमए हॉल में एक संवाददाता सम्‍मेलन के दौरान राष्ट्रीय समान अधिकार यात्रा समिति के संयोजक ई. रविंद्र कुमार सिंह ने कही।
 

 उन्‍होंने बताया कि समिति अब 21 जनवरी को पटना के रविंद्र भवन में राज्‍य स्‍तरीय कार्यकारिणी के गठन के लिए कार्यकर्ता सम्‍मेलन करेगी, जिसमें प्रदेश से लेकर जिला कमेटी का गठन किया जायेगा और जिला व कमिश्‍नरी वाइज प्रभार दिया जायेगा। वहीं, 25 फरवरी को पटना में ऐतिहासिक सवर्ण महारैली का आयोजन भी किया जायेगा, जिसमें हमने जनसत्ता दल (लो) अध्‍यक्ष सह यूपी के पूर्व मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया और शेर सिंह राणा को भी आमंत्रित किया है।   

संवाददाता सम्‍मेलन में ई. रविंद्र कुमार सिंह ने मोदी सरकार को सवर्णों आरक्षण के लिए धन्‍यवाद देते हुए कहा कि कम से कम भाजपा की सरकार ने संविधान में आर्थिक आधार पर आरक्षण के लिए सोचा तो। हालांकि हमें आरक्षण के तरीके पर एतराज है। हमारा स्‍पष्‍ट मानना है कि आरक्षण जाति या धर्म के आधार पर नहीं, बल्कि आर्थिक गरीबी के आधार पर मिले और उसका समय – सीमा तय हो। क्‍योंकि 1947 में कमजोर लोगों को मुख्‍य धारा से जोड़ने के लिए 10 साल के लिए आरक्षण दिया गया था, मगर बाद में यह राजनीतिक फायदे के लिए मुद्दा भर बनकर गया, इसलिए आरक्षण के बावजूद आज भी दलित – महादलित –आदिवासी भाई लोगों की हालत नहीं सुधरी है। इसका इस्‍तेमाल समाज के लिए लड़ने वालों सवर्णों के खिलाफ किया गया, जिसने देश में नफरत की खाई पैदा की है।
 

सिंह ने कहा कि चुनावी साल में वोट बैंक के लिए सवर्ण आरक्षण में 8 लाख तक इनकम वाले लोगों को गरीब माना गया है। जबकि इनकम टैक्‍स अदा करने का प्रावधान 3 लाख रूपये  पर है, जो लोगों को भ्रमित करने वाला है। सरकार पहले इसे परिभाषित करे। उन्होंने ये भी कहा कि 10% आरक्षण देकर अगर भाजपा सरकार यह सोचती है कि सवर्ण उन्हें वोट दे देंगे, तो यह उनकी गलत फहमी है। सवर्ण उन्हें तभी वोट देंगे, जब वे माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा एससी एसटी आरक्षण कानून को शत प्रतिशत मंजूरी देंगे।

उन्‍होंने सवर्णों को सामाजिक न्‍याय का सच्‍चा सिपाही बताया और कहा कि आज सवर्ण जाति के लोगों को मनुवादी, दलित विरोधी और सामंतवादी कहा जाता है, जो सरासर गलत है। सवर्णों ने हमेशा समाज को साथ लेकर चलना स्‍वीकार किया है। सर्व विदित है कि संविधान सभा के अध्‍यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद थे, जो सवर्ण थे। और डॉ भीमराव अंबेदकर ड्राफटिंग कमेटी के चेयरमैन थे। उस वक्‍त राजेंद्र बाबू के हस्‍ताक्षर से ही एससी – एसटी आरक्षण बिल पास हुआ था। यह दर्शाता है कि सवर्णों ने ही सामाजिक बराबरी के लिए पिछड़े वर्ग को आरक्षण दिया।

सिंह ने कहा कि लालू यादव, नीतीश कुमार, राम विलास पासवान जैसे नेता सामाजिक न्‍याय का ढि़ढोरा पिटते हैं, मगर उनसे पूछा जाये कि सामाजिक न्‍याय के लिए उन्‍होंने क्‍या किया। इसका जवाब बस यही है कि हमारे पिछड़े भाईयों को नफरत की आग में झोंक कर कुर्सी हासिल की। आज ऐसे नेता जिस मंडल कमीशन के 27 प्रतिशत आरक्षण की बात करते हैं। वह भी विश्‍वनाथ प्रताप सिंह के प्रधानमंत्रित्‍व काल में हुआ और उन्‍होंने ही एससी – एसटी एक्‍ट कानून को लाया। विश्‍वनाथ प्रताप सिंह भी सवर्ण ही थे। यहां ध्‍यान रखना होगा कि जब भी जरूरत पड़ी, सवर्णों ने सामाजिक न्‍याय को बिना किसी स्‍वार्थ के मजबूत करने का काम किया। फिर भी कहते हैं कि सवर्ण मनुवादी, दलित विरोधी और सामंतवादी है, तो पूरी तरह से झूठ है। जबकि सच्‍चाई यह है कि भारत को एकसूत्र में बांधने और न्‍यायप्रिय शासन देने का काम आज भी सिर्फ सवर्ण नेतृत्‍व ही कर सकती है।    
 

उन्‍होंने गांधी सत्‍याग्रह में अहम भूमिका निभाने वाले शताब्‍दी वर्ष 2017 में राजकुमार शुक्‍ला के डाक टिकट का विमोचन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों नहीं होने पर भी नाराजगी जाहिर की और कहा कि ऐसा इसलिए हुआ, क्‍योंकि वे सवर्ण थे। राजकुमार शुक्‍ला ने ही मोहन दास करमचंद गांधी को महात्‍मा की उपाधि दी थी और 1917 का चंपारण सत्‍याग्रह उनकी ही देन थी। उनके डाक टिकट का विमोचन नहीं होने की बात को राष्‍ट्रीय समान अधिकार यात्रा के द्वारा उठाई गई, तब जाकर चुपचाप सांसद संजय जायसवाल के जरिये एक छोटी सी सभा में डाक टिकट का विमोचन कर दिया गया। यह हमारे लिए एक उपलब्धि थी।
 

ई. रविंद्र कुमार सिंह ने सभी राजनीतिक दलों द्वारा प्रकोष्‍ठ बनाकर राजनीति करने पर भी सवाल उठाये और कहा कि अक्‍सर आपने तमाम राजनीतिक दलों से सुना होगा कि वे जात – पात की राजनीति नहीं करते हैं। धर्म की राजनीति नहीं करते हैं। तो इनके नाम पर सभी दलों में प्रकोष्‍ठ क्‍यों है। सभी दलों ने सामान्‍य, पिछड़ा,अतिपिछड़ा, दलित, महादलित और अल्‍पसंख्‍यक वर्ग में बांट दिया है। इसमें पांच वर्ग के प्रकोष्‍ठ हैं और उनके सम्‍मेलन कराये जाते हैं। तो हम जानना चाहते हैं क्‍या ये जात – पात की राजनीति नहीं है, जो समाज में विभेद पैदा करती है। और वहीं दूसरी ओर सवर्णों कोई प्रकोष्‍ठ नहीं है, तो क्‍या सवर्ण नागरिक नहीं हैं।

 
संवाददाता सम्‍मेलन में राष्‍ट्रीय समान अधिकार यात्रा के सह संयोजक सुजीत कुमार, सुनील पांडेय, प्रवक्ता राजीव रंजन, विशाल सिंह परमार, ए एन कॉलेज छात्र संघ अध्यक्ष राजवीर सिंह, बच्चा सिंह, निखिल कुमार, राधेश्याम (पूर्व ए एन कॉलेज छात्र संघ अध्यक्ष), सोनू सिंह, राजन सिंह, हिमांशु सिंह इत्यादि मौजूद रहे। 
 
image
COPYRIGHT @ 2016 DESHWANI. ALL RIGHT RESERVED.DESIGN & DEVELOPED BY: 4C PLUS